(25/07/2016) 
फिक्की के श्वेत पत्र के अनुसार इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल से दवाओं तक पहुंच और उन्हें खरीदने की क्षमता में होगा सुधार
नई दिल्ली : भारत में ई-फार्मेसी पर फिक्की द्वारा तैयार व्हाईट पेपर (या श्वेत पत्र) दवाओं तक पहुंच और खरीद में आने वाली रुकावटों को दूर करने, विशेष रुप से शहरों में रहने वाले बुज़ुर्गों और स्वास्थ्य सेवाएं देने वालों से सुदूर ग्रामीणों तक पहुंचने के लिए इंटरनेट के व्यापक इस्तेमाल की सिफारिश करता है।

इस बात को ध्यान में रखते हुए कि उपभोक्ता का स्वास्थ्य और सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, फिक्की ई-फार्मेसी के कारोबार के संचालन को न्यायसंगत बनाने के लिए व्यापक दिशा निर्देश तैयार करने की ज़रुरत को रेखांकित करता है।  
श्वेत पत्र कहता है भारत में क्रोनिक गैर-संक्रामक बीमारियां (एनसीडी) तेज़ी से बढ़ रही हैं जो वर्तमान में कुल मौतों में से लगभग 60% के लिए जिम्मेदार हैं। तेज़ शहरीकरण, गाड़ियों का बढ़ता इस्तेमाल, मशीनीकरण और सुस्त जीवनशैली, विशेष रुप से श्रमजीवी आयु वाले समूहों की आबादी समय से पहले ऐसी बीमारियों की चपेट में आ रही है।
इसलिए पहुंच, सामर्थ्य और जागरूकता की कमी दवाओं तक पहुँच के लिए प्रमुख चुनौतियां हैं। तकनीक अपनाकर इन बाधाओं पर प्रभावी तरीके से काबू पाया जा सकता है, विशेष रुप से हेल्थकेयर सिस्टम में इंटरनेट को अपनाकर। 
भारत में ई-फार्मेसी की मांग में बढ़ोत्तरी लाने वाले कारणों में बड़ी आबादी की अब तक इलाज की ज़रुरत पूरी न हो पाना और शहरी व ग्रामीण भारत दोनों में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच शामिल है। भारत में ई-फार्मेसी मॉडल की कुल फार्मा बिक्री में 5-15 प्रतिशत तक हो सकने की उम्मीद है।   
ई-फार्मेसी उपभोक्ता की पहुंच और सुविधा में सुधार लाती है। यह महत्वपूर्ण रुप से ऐसे क्रोनिक वृद्ध मरीजों के लिए फायदेमंद होगी जो एकल परिवारों में रहते हैं और ऐसे मरीजों के लिए भी जो बाहर जाकर दुकान से दवा लाने की स्थिति में नहीं हैं। ई-फार्मेसी प्रतिस्पर्धी दामों को बढ़ावा देता है जो कम समृद्ध लोगों को भी दवा खरीदने में सक्षम बनाता है। कई तरह की तकनीकी प्रगति हो रही हैं जो एप्लीकेशन के रुप में उपभोक्ताओं के लिए मूल्य में पारदर्शिता लाने, जागरुकता बढ़ाने, एक उपयुक्त स्वास्थ्य सेवा प्रदाता तलाशने, मेडिसिन रिमाईंडर्स, और प्रेगनेंसी अलर्ट्स लाने में सहायक होता है।
इसके अतिरिक्त, ई-फार्मेसी मॉडल्स खुदरा फार्मेसी की अहम मुद्दों जैसे की प्रामाणिकता का पता लगाने, दवा की उपलब्धता पता करने, दुरुपयोग रोकने, पर्चे के बिना दवाओं का इस्तेमाल करने, टैक्स के नुकसान और उपभोक्ताओं के सशक्तिकरण के लिए वैल्यू एडेड सर्विसेस का समाधान करती है, जो राष्ट्रीय विकास के सभी प्रमुख क्षेत्र हैं। यह मॉडल उद्यमिता भी बढ़ाता है और बदले में देश में धन सृजन में तेज़ी आती है।
वर्तमान में, पारंपरिक फार्मेसियों पर ई-फार्मेसी के असर के बारे में बहुत सारी गलतफहमियां हैं।
वास्तव में, ई-फार्मेसी मॉडल मौजूदा पारंपरिक उपभोक्ताओं के बड़े वर्ग तक पहुंचने में मददगार होगा और इनवेंटरी में सुधार करते हुए कार्यशील पूंजी की ज़रुरत को घटाकर और फायदे को बढ़ाकर इस मॉडल को टिकाऊ बनाएगा।  
व्हाईट पेपर के अनुसार आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इसके लाभ को देखते हुए और खुदरा दुकानों की तुलना में इसके अतिरिक्त महत्व को देखते हुए इंटरनेट पर दवाओं और संबंधित उत्पादों को खरीदने के लिए तैयार दिखता है। सर्वे बताता है कि कम कीमतें, डिस्काउंट, ऑर्डर करने में आसानी और अपनी पसंद के समय और पते पर होम डिलिवरी प्रमुख लाभों में से एक है जो उपभोक्ताओं को ई-फार्मेसी पर शिफ्ट होने के लिए प्रेरित करेगा।
ई-फार्मेसी को लेकर मेडिकल प्रैक्टिश्नर्स का सकारात्मक नज़रिया देखने को मिला है जवाब देने वालों में 90 प्रतिशत ने दवाओं की खरीद फरोख्त के लिए इसे एक स्वीकार्य साधन माना है। मेडिकल प्रैक्टिश्नर्स की नज़र में ई-फार्मेसी की आसान पहुंच और सहूलियत इसके उपभोक्ताओं  की बढ़ती तादाद की सबसे बड़ी वजह है। जवाब देने वाले 85 प्रतिशत और 75 प्रतिशत ने क्रमशः इन कारणों को बड़ी वजह बताया।
चूंकि, ई-फार्मेसी तकनीकी प्रगति है, यह सुझाव दिया जाता है कि इसे अनुमति दी जानी चाहिए और इसका लाभ भारतीय उपभोक्ताओं को उपलब्ध हो लेकिन पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कड़े नियामक नियंत्रण के साथ।

ई-फार्मेसी मॉडल के लिए यथोचित परिश्रम और इसे चाक-चौबंद बनाने में शामिल कुछ सिफारिशें हैं

ई-फार्मेसी क्षेत्र के लिए अलग लाइसेंस और रजिस्ट्री बनाए जाने चाहिए 
फिजिकल फार्मेसी के माध्यम से ली जाने वाली दवाओं की व्यवस्था का दवा नियमों के भाग 4 के अंतर्गत विधिवत लाइसेंसीकरण होना चाहिए
शेड्यूलड (या अधिसूचित) दवाओं को एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिश्नर के पर्चे पर ही दिया जाना चाहिए (दवा का पर्चा) और एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट के निर्देश या उसकी निजी देख रेख में ही दी जानी चाहिए
शेड्यूल्ड ड्रग्स के लिए ई- फार्मेसी को ऑर्डर इन शर्तों को पूरा करने के बाद ही पूरा करने की अनुमति ही चाहिए - (i) दवा का मूल पर्चा; (ii) मूल दवा के पर्चे की स्कैन कॉपी
किसी भी तरह के दुरुपयोग को रोकने और किसी भी दवा के मामले में प्रतिकूल घटना की ट्रैकिंग के लिए (मरीज़ का नाम व पता समेत) ऑडिट डिजिटली संग्रहित होनी चाहिए
नारकोटिक दवाओँ (जैसे कि मॉरफीन) और अन्य लत लगाने वाली दवाओं (जैसे की नींद गोलियों) ई-फर्मेसी मॉडल से बेचे जाने के लिए प्रतिबंधित किया जाना चाहिए
दवाओं का ट्रांसपोर्टेशन और पैकिंग के लिए उपयुक्त व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि इसकी समग्रता, गुणवत्ता और इसका असर बनाए रखा जा सके 
वेबसाईट / मोबाईल एप्लीकेशन पर लोगो, लाइसेंस नंबर और मरीज़ों के सवालों और शिकायतों के लिए फार्मासिस्ट का संपर्क विवरण स्पष्ट दिखने चाहिए। 
यह उपयुक्त समय है जब भारत सरकार को ई-फर्मेसी के लिए नीति और दिशानिर्देश तय करने चाहिए और उपभोक्ताओं को लाभ प्रदान करने के साथ-साथ नियामक की चिंता को ध्यान में रखने हुए एक स्पष्ट ऑपरेटिंग मॉडल के साथ सामने आना चाहिए।
देवेंद्र कुमार समाचारवार्ता दिल्ली
Copyright @ 2019.