(04/08/2016) 
ग्रुरु आ रहे हैं 11 अगस्त को , क्या कहता है ग्रुुरु- चांडाल योग।
खगोलीय दृष्टि से, सूर्य के बाद गुरु को , सबसे बड़ा ग्रह माना गया है जिसका रंग पीला है। यह ग्रह , ज्ञान, शिक्षा, विस्तार व विद्वानों का प्रतीक है। इस मास 11 अगस्त की रात्रि 21:27 पर श्रावण शुक्ल पक्ष, गुरुवार के दिन , गुरु सिंह राशि से निकल कर शत्रु राशि कन्या में आ रहे हैं।

 ग्रह चाल में यह 6 फरवरी, 2017 से लेकर 9 जून, 2017 तक वक्री रहेंगे।    स्थान हानि करो जीवा अर्थात गुरु जिस भाव में होता है, उस भाव से संबंधित बातों की हानि करता है परंतु  पांचवीं ,सप्तम और नवम दृष्टि जहां डाले उस भाव को लाभ देता है। वक्री होने पर भी किसी को लाभ तो किसी को हानि होती है।

गुरु , धनु व मीन राशि का स्वामी है तथा कर्क में उच्च कहलाता है जबकि मकर राशि में यह नीच का हो जाता है।  धनु राशि में यह शुभ फल कारक है। सूर्य , चंद्र व मंगल , इसके मित्र ग्रह है। परंतु बुध ,शुक्र एवं शनि इसके शत्रु हैं। यह लग्न, पंचम, नवम व दशम भावों का कारक ग्रह है। गुरु 6,8,12 भाव में हो या नीच राशि में हो या इन भावों के स्वामियों से संबंध हो  तो अशुभ परिणाम होते हैं।  यह समय समय पर, मार्गी, वक्री और अस्त होता रहता है।  शुक्र की तरह जब यह अस्त होता  है तो आंचलिक भाषा में ,इसे तारा डूबना कहते है और विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किये जाते।

गुरु का कन्या में संचार किसी के लिए अच्छा तो किसी के लिए बुरा हो सकता है।

हालांकि इस दिन राशि परिवर्तन से , गुरु - चांडाल योग भी समाप्त हो रहा है।

ग्ुारु आकाश में एक बड़ा एवं सात्विक ग्रह माना गया है जो विकास, सुख समृद्धि, धन, वैभव, ज्ञान,आध्यात्म, शिक्षा, विवाह, संतान, सोना, का परिचायक है। यह एक राशि में लगभग 12 से 13 महीने रहता है। संयोगवश जनवरी 2016 से लेकर 11 अगस्त 2016 तक गुरु सिंह राशि में राहू के साथ रहा जिसे ज्योतिषीय भाषा में गुरु -चांडाल योग कहा जाता है। 12 अगस्त से इस राशि परिवर्तन के साथ साथ यह दुर्योग भी समाप्त हो जाएगा। इसके अतिरिक्त गुरु पर शनि की दृष्टि भी इसी दिन समाप्त हो जाएगी और काफी हद तक गुरु की स्थिति और सुदृढ़ हो जाएगी।

जिन लोगों की कुंडली में गुरु मुख्य ग्रह है, या जिनकी लग्न का स्वामी गुरु है या जिनकी गुरु की महादशा चल रही है, उनके अव्छे दिन आ गए हैं।

यहां हम चंद्र राशि के अनुसार गुरु के राशि परिवर्तन के फलों का उल्लेख कर रहे हैं, सन साईन अथवा सूर्य राशि के अनुसार नहीं अतः अपनी जन्म पत्रिका से अपनी राशि जान लें। कुंडली के मुख्य जन्मांग में जिस संख्या में चंद्र होगा वही आपकी राशि होगी। उदाहरणतः यदि चंद्र के साथ 6 अंक है तो समझें कि आपकी राशि कन्या है।

 

1.मेषः इस राशि में गुरु गोचरवश छठे भाव में आने से सेहत, ऋण, विरोधियों को सक्रिय कर सकता है। धन या न्यायालय संबंधी विवादों को लंबा न खिंचने दें । जोखिम वाला कोई व्यापार न करें । छात्र प्रतियागिताओं में सफल रहेंगे। राजनीति से जुड़े मेष राशि वालों के विरोध के बावजूद अच्छे दिन आ गए हैं। वैवाहिक कार्यों में विलंब हो सकता है। 

2.वृृषभः गुरु पंचम भाव में आकर धन स्थान को देखेगा। रुके धन की प्राप्ति, पार्टनर, अधिकारी, व संतान से अच्छे समाचार मिलेंगे। अविवाहितों की आस प्रबल होगी, भूमि संबंधी कार्य निपटेंगे । दांपत्य जीवन में सुखद बदलाव आएगा। सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्रों से जुड़े लोगों का मान सम्मान बढ़ेगा।

3.मिथुनः चैथे भाव में गुरु आकर धार्मिक या अन्य यात्राएं करवाने के साथ साथ पुराने रुके व्यावसायिक मामले, स्थानान्तरण , प्रोमाशन आदि जैसे लंबित कार्यों में सहायक रहेगा। घर में किसी शुभ कार्य का आयोजन, भूमि व भवन संबंधित लंबित कार्य, रियल एस्टेट से जुड़े डीलर्स को लाभादि इसी अवधि में होंगे। प्रापर्टी के रेट उठने आरंभ होंगे।

4.कर्कः तृतीय भाव में आकर गुरु भाग्य स्थान को देखेगा और भाग्य के द्वार खोलेगा। विदेश यात्रा से संबंधित मामले , लंबित पी.आर जैसे मसले सुलझेंगे और इमीगे्रशन से जुड़े व्यावसायियों ,ट्रैवल एजेंटों  आदि का कार्य क्षेत्र बढ़ेगा। छोटी यात्राएं , मित्रों से सहयोग, मनपसंद स्थान पर स्थानानन्तरण आदि प्रमुख विषय रहेंगे। जीवन साथी से पूर्ण सहयोग मिलेगा। पराक्रम बढ़ेगा। 

5.सिंहः दूसरे घर अर्थात धन भाव पर गुरु आ जाए तो धन में वृद्धि करता है या धन संबंधी समस्याओं का निराकरण हो जाता है। उधार दिया धन लौटने की संभावना रहेगी। आय के नए आयाम खुलेंगे।  व्यवसाय संबंधी चिंताएं  समाप्त होंगी। अविवाहितों के मार्ग भी प्रशस्त होंगे। पारिवारिक चिन्ताएं भी समाप्त होंगी। 

6.कन्याः इस अगस्त से लेकर सितंबर 2017 तक का समय अत्यंत सौभाग्यशाली रहेगा क्योंकि गुरु आपकी लग्न पर ही आ गए हैं। पुराना संघर्ष, वाद विवाद, तनाव, परेशानियां दूर होंगी। संबंधों में आकर्षण, ताजगी, भाग्य परिवर्तन , रुके कार्य, वैवाहिक संबंध , विवाह आदि जैसे कार्य संपन्न होंगे। व्यापार या नौकरी में तरक्की अधिकारियों से सहयोग प्राप्ति , समसज में प्रतिष्ठा , मान सम्मान में वृद्धि के संकेत हैं।

 

7.तुलाः गोचर में गुरु 12 वें स्थान पर होंगे। यह भाव व्यय, हस्पताल, कानूनी विवाद ,विदेश भ्रमण, चोरी आदि का है। बीमा आदि करवा के रखें, जोखिम वाले निवेश ,धन व मूल्यवान घरेलू वस्तुओं की सुरक्षा का प्रबंध रखें। वाद विाद से बचें। मसले कोर्ट के बाहर ही निपटाना अच्छा रहेगा। रिश्ता तय होने जा रहा हो तो दोबारा सोच लें जल्दबाजी न करें। नए प्रतिष्ठान न खोलें।  अफसर की अगाड़ी -घोड़े की पिछाड़ी वाली कहावत ध्यान में रख कर सतर्क रहें। साढ़ेसाती 26 जनवरी ,2016

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