(06/08/2016) 
प्रेम का सर्वोत्तम रूप- क्षमा
महात्मा गांधी ने कहा है कि एक कमज़ोर कभी माफ़ नहीं कर सकता एयह शक्तिशाली व्यक्ति का ही चरित्र है. अक्सर देखा जाता है जो हमें निचा दिखाने कोशिश करते हैंए हमें कटु शब्द बोलते हैं एऐसे व्यक्ति के प्रति हमारे मन में रोष की, आवेश की भावना घर कर जाती है और हम बदला लेने की सोचते हैं. क्यूंकि हम किसी कि बुराई को अपनी बुराई से खत्म करना चाहते है. बाकि सत्य तो यह है कि बुराई से बुराई को कभी खत्म नहीं किया जा सकता. बुराई केवल अच्छाई से ही खत्म हो सकती है.

 हम जब किसी कि बुराई को चित्त पर रखते हैं तो हम दुखी होने लगते हैं और धीरे धीरे ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाते हैं जिससे निकलना असम्भव हो जाता है माना बुराई किसी ओर की और फंस खुद जाते हैं.ऐसे में खुद को उलझा हुआ महसूस करते हैं और ऐसे में यदि हम क्षमा का गुण उपयुग करने में स्वयं को असमर्थ महसूस करते हैं तो हमारा ही नुकसान होने लगता है, किसी नें  सच कहा है कि माफ़ इसलिए नहीं करो कि वे माफ़ी के हक़दार हैं बल्कि इसलिए कि आप शांति के हक़दार हैंण्क्षमा के गुण से हमें शांति तो मिलती ही है इसके अलावा मन और दिल भी शुद्ध होता हैं, क्षमा वह गुण है जिसमे किसी व्यक्ति द्वारा आपके प्रति पैदा की गई कठिन से कठिन परिस्थिति में भी आप उससे प्रेम पूर्वक व्यव्हार करते हैं और प्रेम का गुण होने से आप उसके प्रति क्षमा भाव भी रखते हैं.जब हम लोगो को वैसे ही स्वीकार करे जैसे वो मूलतः हैं तो विरोध की भावना भी कम होती है और हमारी अपेक्षाएं भी कम होने लगती हैं जिससे दूसरों के प्रति प्रेम की भावना यदि हम खुश रहना चाहते हैं तो ऐसी घटनाओं के प्रति हम विस्मृति रखें अर्थात उन्हें चित्त पर धारण नहीं करें क्यूंकि यदि हमारे 
ज़हन में यह बातें घर कर जाती हैं तो गुस्से व घृणा की भावना भी बढ़ने लगती हैए समय नष्ट होता है और हमारी मानसिक व आध्यात्मिक ऊर्जा भी घटने लगती है इसलिए हमें अपना बिता हुआ कल भूलना चाहिए क्यूंकि भूतकाल की स्मृति भूत की तरह हमें तंग करती हैण् हम अपना बिता हुआ कल तो नहीं बदल सकते परन्तु भविष्य को हम ज़रूर बदल सकते हैं जब हम ऐसे व्यक्तियों के प्रति क्षमा भाव रखें जिन्होंने आपको ठेस पहुंचाई हो अथवा दुःख दिया हो क्यूंकि महानता इसी में ही है जो दूसरों की गलती सहन करने के साथ साथ हम उसे क्षमा कर दें.

क्षमा भी वही कर सकता है जिसका ह्रदय विशाल है क्युकि छोटी दिल वाले व्यक्ति का दिल संकुचित होने से उसमे प्रेम की भावना भी संकुचित होती है अर्थात नदी व सागर समान न होकर एक तालाब सामान होती हैण्क्यूंकि नदी का पानी बहता रहता है और तालाब का पानी अपने में सिमट कर रह जाता है.रात को सोने से पहले हर उस व्यक्ति को माफ़ कर दें जिसने आपका दिल दुखाया है फिर यह
गुण स्थाई तौर पर आपका चरित्र बन जायेगा और अचानक कोई बात आने पर इस गुण का प्रयोग आप तुरंत कर सकेंगे.
लेख- 
BK Poonam
Rajyoga Meditation Teacher
BrahmaKumaris World Spiritual University
(Affiliated to United Nations as NGO & Holds Consultative Status in UNICEF)
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