(25/08/2016) 
भगवान कृष्ण के प्रेम का अनुभूत - चंचलपति दास
वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के अध्यक्ष चंचलपति दास ने कहा कि जन्माष्टमी हमें सांसारिक दुनिया के परे जाकर भगवान कृष्ण के प्रेम का अनुभूति का खूबसूरत मौका देती है। वह आज वृंदावन चंद्रोदय मंदिर में पूरे दिन चलने वाले जन्माष्टमी समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम की शुरुआत जल्दी सुबह 4:30 बजे मंगलाआरती और जाप के साथ हुई। मंदिर का प्रांगण फूल बंगले में परिवर्तित हो गया था।

मूर्तियों को स्नान के बाद नए वस्त्रों, आभूषणों और पुष्पों से सजाया गया। सुबह 7:15 पर जनसाधारण के लिए खास जन्माष्टमी श्रृंगार दर्शन खोल दिए गए और आरती का आयोजन हुआ। इसके बाद गुरु पूजा हुई। विग्रहों को 56 भोग अर्पित किए गए जिनमें मिठाई और तरह-तरह के भोज्य पदार्थ शामिल थे। उसके बाद श्री श्री राधा वृंदावनचंद्र के उत्सव श्री विग्रहों को पूरे दिन झूलन सेवा के लिए मंदिर प्रांगण में लाया गया। वृंदावन चंद्रोदय मंदिर में पहली बार भगवान का दो बार महाभिषेक किया गया, एक बार शाम 6 बजे और दोबारा रात 10 बजे। यह भगवान का भव्य स्नान समारोह है जिसमें आराध्य को दूध, दही, शहद, घी, मीठे पानी, जड़ी-बूटियों के पानी और फलों के रस स्नान करवाया जाता है। उन पर हल्दी का लेप लगाया जाता है, कई तरह की आरती की जाती है और परंपरागत रूप से 108 कलशों के पानी से स्नान करवाया जाता है। उसके बाद भगवान को कपूर, इलायची और केसर जैसे मसालों के पानी से स्नान करवाया जाता है और बाद उन पर खुशबूदार पुष्पों से पुष्पवर्षा की जाती है। ये सब क्रियाकलाप वैदिक मंत्रों और संकार्तन के साथ किया जाता है जो मंत्र मुग्ध कर देता है। शाम 6:30 बजे भजन संध्या का आयोजन हुआ जिसमें श्रीमती अनुपमा देशपांडे ने भक्तों से खचाखच भरे खुले प्रांगण में कृष्ण भजन गाए। रात 10 बजे के दूसरे महाभिषेक कार्यक्रम के बाद श्रीमन् चंचलपति दास ने भरे प्रेक्षाग्रह में भगवान कृष्ण के बारे में व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि जन्माष्टमी रोजमर्रा की जिंदगी से मिला एक महत्वपूर्ण सुअवसर है। यह भक्तिपूर्ण भावना की स्फूर्ति से भर देता है। हमें खुद को प्रभु की श्रेष्ठ सेवा में पुनः अर्पित करना चाहिए औऱ उनके देवत्व से ओतप्रोत होकर समय व्यतीत करना चाहिए। आधी रात होते ही पूरा प्रांगण श्री श्री राधावृंदावनचंद्र की महा मंगलआरती और भावविभोर संकीर्तन से गुंजायमान हो गया। सभी खुशी से नृत्य करने लगे। उसके बाद सभी उपस्थित जनों को महाप्रसादम परोसा गया। आनंदित समारोहों से भरा एक दिन जो देर रात तक चला, ने हजारों भक्तों के जीवन को भक्ति भाव और सेवा की तरोताजा प्रेरणा से भर दिया।
Copyright @ 2019.