(19/11/2016) 
डॉ उदित राज ने निजी क्षेत्रो में आरक्षिण की उठाई मांग
नई दिल्ली : अनुसूचित जाति/जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने दिल्ली में सामाजिक बदलाव की एक नई मुहीम की शुरूआत की है।

इसका मुख्य उद्देश्य निजी क्षेत्रों में आरक्षण और पदोन्नति को सुनिश्चित करना है। इसके लिए 1 नवंबर 2016 से आरक्षण बचाओ रथ यात्रा पूरी दिल्ली में घूम रही है जिसे दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यकों का व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है।

डॉ उदित राज ऑल इंडिया परिसंघ के अध्यक्ष हैं जिसका उद्देश्य है कि देश के हर हिस्से में दलितों के साथ हो रहा भेदभाव खत्म होना चाहिए और उन्हें निजी क्षेत्रों में भी आरक्षण का अधिकार मिलना चाहिए। इसके अलावा सभी संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए, किसी भी राज्य द्वारा प्रदान किया गया जाति प्रमाण पत्र पूरे देश में वैध किया जाए और सभी को समान शिक्षा मिले।

इसके अलावा डॉ उदित राज एक ऐसा कानून बनाने की मांग कर रहे हैं जिससे सरकार  राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में भी दलित आरक्षण को मानने के लिए बाध्य हो जाए। ऐसा कानून दक्षिण अफ्रीका में है जहां पांच अश्वेत खिलाड़ियों को खिलाने का कानून लागू है। प्रमोशन में आरक्षण का बिल संसद में पास होना था लेकिन वो निरस्त हो गया जिसके बाद उन्होंने अपने इस एजेंडे को पास कराने के लिए क्रांति की शुरूआत की है।

डॉ उदित राज ने वर्तमान संसद सत्र में भी सदन के सामने धारा 377 के अंतर्गत मांग उठाई है कि बिना विलंब ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विस बनाई जाए जिसमें संवैधानिक तौर पर आरक्षण लागू किया जाए जिसमें एससी/एसटी और महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिले। इसी तरह का मिलता जुलता फैसला साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट भी सुना चुकी है।

डॉ उदित राज ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की पोल खोलने के लिए भी मुहीम शुरू की है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने सफाई कर्मचारियों, कंडेक्टरों, ड्राइवरों, अध्यापकों और दूसरे श्रेणी के कर्मचारियों को वादा किया था कि वो उन्हें स्थाई करेंगे लेकिन उन्होंने अभी तक अपना वादा पूरा नहीं किया है।

रथ यात्रा के दौरान डॉ उदित राज ने कहा कि दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं, उन्होंने ये भी कहा कि कानून के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि वो आर्थिक आधार पर आरक्षण के सुझाव के खिलाफ हैं क्योंकि उच्च जाति के लोगों को हमेशा से प्राथमिकता मिलती रही है और अब उन्हें कुछ त्याग भी करने चाहिए।
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