(24/11/2016)
रेल हादसों की तमाम जांच रिर्पोटों का परिणाम क्या ?
हमारे देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक परिवहन सेवा भारतीय रेलवे है। लाखों - करोड़ों लोग प्रत्येक दिन इससे सफर करते हैं। इतनी बड़ी जिम्मेवारी के बावजूद भी यात्रियों की सुरक्षा को लेकर भारतीय रेलवे गंभीर नहीं नजर आता। बार - बार हादसे हो रहे हैं। हम लगातार एक ही गलती की पुनरावृति करते चले जा रहे हैं। हर
हादसे के बाद रेल प्रशासन अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ने में लगा रहता है
और राजनीतिज्ञ हादसे की जांच की बात कहकर फिर सबकुछ भूल जाते हैं। जांच
के आदेश के बाद क्या होता है ? यह पूरा देश जानता है। यदि पूर्व में किसी
घटना की जांच हुई भी तो फिर रेलवे प्रबंधन ने सबक क्यों नहीं लिया? अधिकतर
ट्रेन दुर्घटनाओं के कारण एक जैसे हैं। पर दूर्घटना न हो यह सुनिश्चित
करने के लिए रेलवे ने क्या कदम उठाए? आखिर तमाम जांच रिपोर्टों का हासिल
क्या है? बार - बार के रेल हादसे
बताते हैं कि तकनीकी रूप से और कर्मचारियों के कर्तव्य पालन की कसौटी पर
रेलवे का कामकाज संतोषजनक नहीं है। सवाल यह है कि दुर्घटनाओं के
जाने-पहचाने कारणों को दूर करने के लिए रेलवे को कितना वक्त लगेगा? हमारे नीति नियंता भारतीय रेल सेवा को विश्वस्तरीय बनाने का दम भरते रहते हैं लेकिन परिणाम सबके सामने है। रेलवे
के आम मुसाफिरों में प्रबंधन के प्रति जबरदस्त असंतोष है। यात्रियों की
सुरक्षित रेल यात्रा ,समय से परिचालन और साफ-सफाई आदि को लेकर रेल प्रशासन
संवेदनशील नजर नहीं आता। इस
बिंदू पर आज तक पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। रेल सुरक्षा और रेलवे के
आधुनिकीकरण को लेकर अब तक कई कमेटियां बन चुकी हैं लेकिन आज तक उनको
अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। अगर इस तरह रेल हादसे होते रहेंगे तो देश में बुलेट ट्रेन कैस चलेगी? दरअसल भारतीय रेल की मूल समस्या उसका ढ़हता बुनियादी ढांचा है। रेल
मंत्रालय को रेल सुरक्षा पर अनिल काकोदकर समिति और रेलवे के आधुनिकीकरण
पर सैम पित्रोदा समिति ने दूरगामी प्रभाव वाले सुझाव दिये थे, लेकिन आज तक
इन सिफारिशों पर कोई अमल नहीं हुआ। भारत
में भीषण ट्रेन हादसों का लम्बा इतिहास है। हादसों से सबक लेते हुए सबसे
पहलेे ट्रेन और ट्रेन यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। लगातार ट्रेन
हादसों से हमारे रेल नेटवर्क के विश्वस्तरीय होने पर सवाल खड़े होते हैं। भारतीय
रेल की विश्वसनीयता संदिग्ध होती जा रही है। इसलिए रेलमंत्री और रेल
प्रशासन हादसे से सबक लें आगे बढ़ें और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में रेल
यात्रा मौत का सफर न बने। पुखरायां
ट्रेन हादसे में 130 से अधिक लोगों की मौत हो गई है जबकि डेढ़ सौ से ज्यादा
लोग घायल हो गये। आखिर ऐसे हादसों के लिए जिम्मेदार कौन हैं ? यह
कब सुनिश्चित होगा कि रेल यात्रा करने वाले यात्री अपने गंतव्य तक
सुरक्षित पहुंचेंगे? सिर्फ संवेदना व्यक्त करने से क्या होगा? अब सख्त कदम
उठाने की जरूरत है। रेल हादसे के
बाद जो भी इस त्रासदी के लिये जिम्मेदार हों उन्हें दंडित किया जाए ताकि
जिम्मेदारों को व्यवस्था सही ढंग से संचालित करने के लिए बाध्य होना पड़े।
वरना देश में ऐसे हादसों का दौर तो चलता ही रहेगा। तंत्र
की विफलता के कारण देश में रेल यात्रियों को सुरक्षित यात्रा की गारंटी तक
नहीं मिल पा रही है। सरकारी तंत्र को अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से क्यों
समझ में नहीं आती है? सरकारी तंत्र
क्यों एक हादसे के बाद दूसरे हादसे का इंतजार करता रहता है? आखिर ऐसे
हादसों की जिम्मेदारी किसी न किसी को तो लेनी ही पड़ेगी । कभी
रेल की पटरी उखड़ जाती है तो कभी धुंध के चलते रेल हादसे हो जाते हैं तो
फिर रेलवे द्वारा आखिर देशवासियों से भारी राजस्व क्या मौत के लिए वसूला
जाता है? आखिर दर्दनाक दुर्घटनाओं को महज हादसा मानकर जिम्मेदारियों से भागने की कोशिश कब तक चलती रहेगी? यह
सब सहन योग्य नहीं है। विश्व के दूसरे देशों में भी रेलवे विभाग है वहां
से तो लगातार हादसों की ऐसी खबरें नहीं आती। विदेशों में भी लोग रेल यात्रा
करते हैं लेकिन उन्हें इस ढंग से हादसों का शिकार नहीं होना पड़ता इसका
सबसे बड़ा कारण यह है कि वहां की व्यवस्था में संवेदनशीलता व जवाबदेही है। हमारे देश में तो आज भी अपनी जवाबदेही दूसरों पर थोपने तथा जिम्मेदारियों से बचने की ही कोशिशें होती रहती हैं। सिर्फ कोरी घोषणाओं से सकारात्मक परिणाम नहीं निकलेंगे। जिम्मेदार लोगों को धरातल पर काम करके दिखाना होगा। मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना होगा कि अब भविष्य में कोई रेल हादसा नहीं होगा। रेलवे आज भी खुद को साबित करने में अक्षम रहा है। भारतीय रेलवे पर हादसों से प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। हर घटनाओं के बाद एक जांच कमिटी बना दी जाती है। देश की जनता जानना चाहती है कि उन कमिटियों की रिर्पोटों का हासिल क्या है? लेख-संजय मेहता। निवास - हजारीबाग,झारखंड संपर्क - 9472777378 शिक्षा - पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर। वर्तमान में विधि में अध्ययनरत। |
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