(30/11/2016) 
डॉ अर्चना श्रीवास्तव के कहानी संग्रह थाती का लोकार्पण
लखनऊ 29 नवम्बर, आगमन के गौरवशाली पलो में एक खूबसूरत यादगार लम्हा और जुड़ गया । आगमन समूह द्वारा लखनऊ के प्रतिष्टित उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के प्रेमचंद सभागार में साहित्यिक परिचर्चा, लोकार्पण, सम्मान समारोह, एवं काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं कथाकार रजनी गुप्त, विशिष्ठ अतिथि के रूप में डॉ अशोक शर्मा, डॉ आशा सिंह (कानपुर ), डॉ अर्चना श्रीवास्तव, डॉ अनीता श्रीवास्तव (संपादक रेवान्त) नमिता सचान, डॉ सफलता सरोज (कानपुर) की गरिमामयी उपस्थति एवं डॉ अनिल मिश्र,  मालविका हरिओम,  रंजना यादव ( कानपुर ) सहित अनेक सुधी साहित्यकार मित्रो एवं साहित्य प्रेमियों की सभागार में मौजूदगी ने इस धारणा को साबित किया कि लखनऊ को प्रदेश की औपचारिक राजधानी ही नहीं बल्कि साहित्यिक राजधानी भी क्यों कहा जाता है। 

माँ शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ युवा कवि मनोज शुक्ला की माँ सरस्वती की आराधना में सुन्दर प्रस्तुति से कार्यक्रम का आगाज हुआ । अतिथि स्वागत की परम्परा में कार्यक्रम की संयोजक  विजय पुष्पम पाठक, आगमन की युवा सदस्यों मोना सिंह एवं फातिमा अफशां ने सभी मंचासीन अतिथियो को शाल एवं माला पहना कर स्वागत किया एवं  रजनी गुप्त, डॉ आशा सिंह एवं डॉ अशोक शर्मा को प्रतीक सम्मान प्रदान किये । सम्मान समारोह की श्रंखला में रेवान्त पत्रिका की संपादक एवं साहित्यकार डॉ अनीता श्रीवास्तव एवं  नमिता सचान को आगमन समूह द्वारा साहित्य विदुषी सम्मान से अलंकृत किया गया ।  साथ ही डॉ अर्चना श्रीवास्तव को आगमन साहित्य सम्मान -2016, डॉ सफलता सरोज को आगमन भूषण सम्मान -2016 एवं बाल कवयित्री कुमारी सुहानी यादव को आगमन बाल प्रतिभा सम्मान -2016” से सम्मानित किया गया ।  

लोकार्पण कार्यक्रम की श्रंखला में डॉ अर्चना श्रीवास्तव के कहानी संग्रह थाती का लोकार्पण हुआ एवं इस संग्रह की 21 कहानियो पर डॉ अशोक शर्मा एवं डॉ अनीता श्रीवास्तव ने अपने समीक्षात्मक वक्तव्यों से कहानी संग्रह के बारे में परिचित कराया ।  इसी क्रम में कुसुम लता अविचल ( कानपुर ) के प्रथम काव्य संग्रह अनुभूति से अभिव्यक्ति तक का लोकार्पण हुआ एवं कुसुम लता ने अपने अत्यंत अल्प संबोधन में साहित्य के प्रति अपने समर्पण भाव का परिचय दिया ।  डॉ सफलता सरोज द्वारा सम्पादित आगमन एक खूबसूरत शुरुआत, पत्रिका के नीरज विशेषांक का लोकार्पण भी इस अवसर पर हुआ । डॉ सफलता सरोज ने अपने चिरपरिचित मनभावन अंदाज़ में इस विशेषांक पर, नीरज और आगमन समूह के बारे में अपने मनोभावों को अभिव्यक्त किया ।  श्री वीर पटेल द्वारा सम्पादित अधूरा मुक्तक का लोकार्पण भी इसी श्रंखला में हुआ । 

मुख्य वक्ता रजनी गुप्त ने अपने सारगर्भित संबोधन में आगमन समूह द्वारा किये जा रहे साहित्यिक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इतने बड़े पैमाने पर देश में मुख्य धारा के साहित्य के साथ - साथ समानांतर रचनाधर्मिता का निर्वाह हो रहा है ये देख कर आज उन्हें आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता हो रही है । साहित्य में महिला रचनाकारों की भूमिका एवं दायित्व के साथ ही उन्होंने वर्तमान स्त्री विमर्श एवं सही मायनो में आजाद स्त्री की क्या परिभाषा होनी चाहिए इस पर उन्होंने खुल कर अपने विचार व्यक्त किये ।  रजनी गुप्त के संबोधन से सम्पूर्ण सभागार सम्मोहित था । इसी के साथ डॉ आशा सिंह ने अपने संक्षिप्त संबोधन में आगमन समूह के साथ अपने जुडाव का ज़िक्र किया । 

बाल कवयित्री सुहानी यादव के बाल सुलभ काव्य पाठ से काव्य गोष्ठी प्रारंभ हुयी और फिर एक के बाद एक कवि और कवयित्रियो ने अपने काव्य पाठ से पूर्ण सभागार को काव्यमय कर दिया । नमिता सचान,  विजय पुष्पम पाठक,  मालविका हरिओम, डॉ अनिल मिश्र, डॉ अशोक शर्मा,  भावना मौर्या,  रूपा पाण्डेय,  साजिदा सबा,  आभा खरे,  शिप्रा खरे, डॉ सतीश वर्धन,  मनोज शुक्ल, सौरभ,  कुसुम सिंह,  मोना सिंह,  फातिमा अफशां, सैयद हिदायत फातिमा,  आभा चंद्रा,  रुबीना हमीद,  वीर पटेल,  श्रुति मल्ल,  ममता चंदेल आदि ने काव्य की समस्त विधाओ गीत, ग़ज़ल आदि प्रस्तुत कर कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की । 

डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में आगमन समूह, अपने कहानी संग्रह थाती पर अपने उदगार व्यक्त करते हुए अपना एक सुमधुर गीत प्रस्तुत किया । इसी कार्यक्रम में, कार्यक्रम की संयोजक विजय पुष्पम पाठक, कार्यक्रम संचालन के लिए डॉ सतीश वर्धन ( पिलखुवा , हापुड़), आगमन समूह की लखनऊ मंडल प्रभारी शिप्रा खरे ( गोला खीरी ) कार्य्रकम की सह-संयोजिका आगमन समूह की युवा सदस्यों मोना सिंह एवं फातिमा अफशां को भी सम्मान प्रतीक प्रदान किये गए ।  रंजना यादव ( कानपुर ) ने आगमन समूह की ओर से कार्यक्रम में सहभागिता के लिए आभार व्यक्त किया । 

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