(21/01/2017) 
आरक्षण खत्म करने संबंधी वैद्य के बयान पर गरमाई सियासत
आरएसएस के प्रमुख प्रचारक मनमोहन वैद्य द्वारा आरक्षण नीति की समीक्षा संबंधी मामले पर दिये गये बयान ने राजनीति में हलचल पैदी कर दी है। दरअसल मामला जयपुर के साहित्य महोत्सव का है ,जहाँ एक परिचर्चा के दौरान वैद्य कहा, "अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का विषय एक अलग संदर्भ में आया था। यह उनसे हुए ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए संविधान में लाया गया था। वह हमारी जिम्मेदारी थी इसलिए उनके लिए आरक्षण का प्रावधान हमारे संविधान में आरंभ से ही किया गया था। यद्यपि अंबेडकर ने भी कहा था कि उसका हमेशा जारी रहना सही नहीं है। इसकी एक समय-सीमा होनी चाहिए।"

उन्होंने कहा कि "लगातार इसे जारी रखने की बजाय लोगों को शिक्षा एवं अन्य चीजों के लिए समान अवसर मुहैया कराने के प्रयास किये जाने चाहिए। इसके हमेशा जारी रहने से अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा।"

वैद्य द्वारा आरक्षण नीति की समीक्षा पर की गयी यह टिप्पणी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा को संभावित रूप से नुकसान पहुंचा सकती है।आपको बता दे कि इससे पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी बिहार चुनाव से ठीक पहले आरक्षण नीति की समीक्षा को लेकर कुछ ऐसी ही टिप्पणी की थी जिसका बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा था क्योंकि पिछड़ें वर्गों का वोट नितीश कुमार की ओर चला गया था।

    वैद्य के बयान पर लालू प्रसाद यादव ने कहा कि आरएसएस पर ब्राह्मणों का नियंत्रण है और आरक्षण संविधान में पिछड़ें वर्गों के लिए मुहैया कराया गया है।  उन्होंने  ट्वीट करते हुए कहा कि, "मोदीजी आपके आरएसएस प्रवक्ता आरक्षण पर फिर अंट-शंट बके हैं। बिहार में रगड़ रगड़कर धोया, शायद कुछ धुलाई बाकी रह गई थी जो अब उत्तर प्रदेश करेगा।"उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, "आरक्षण संविधान प्रदत्त अधिकार हैं। आरएसएस जैसे जातिवादी संगठन की खैरात नहीं। इसे छीनने की बात करने वालों को औकात में लाना हमें आता है।" 

 कांग्रेस ने भी वैद्य की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, "आरएसएस-भाजपा के दलित विरोधी एजेंडा को वैद्य के आरक्षण समाप्त करने के आह्वान ने उजागर कर दिया है। जाति एवं साम्प्रदायिक विभाजन उनके डीएनए में है।"

 उधर टिप्पणी को लेकर आलोचना का सामना कर रहे वैद्य ने यह कहते हुए अपना बचाव किया कि जब तक भेदभाव है, आरक्षण जारी रहना चाहिए। उन्होंने  इसकी समयबद्ध जांच की मांग की और यह भी कहा कि उसका लाभ लक्षित लोगों तक क्यों नहीं पहुंचा है? उन्होंने कहा, "समाज में जब तक भेदभाव है, आरक्षण जारी रहना चाहिए। हमें जितना जल्दी संभव हो भेद-भाव समाप्त करना चाहिए। यद्यपि इसकी एक निष्पक्ष जांच होनी चाहिए कि कमजोरों में सबसे कमजोर को स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्षों के बाद भी आरक्षण का लाभ क्यों नहीं मिला?"

अब देखने वाली बात यह है कि वैद्य कि इस टिप्पणी से भाजपा को आने वाले पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कितना नुकसान होता है??

 

तेज बहादुर सिंह

दिल्ली विश्वविद्यालय

समाचार वार्ता

 

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