(30/01/2017) 
पूर्वोत्तर फिल्म महोत्सव सांस्कृतिक एकीकरण का मंच है- श्री अजय मित्तल, सचिव, सूचना एवं प्रसारण
सूचना एवं प्रसारण सचिव ने पूर्वोत्तर की खुशबू के साथ पूर्वोत्तर फिल्म महोत्सव की पुणे के भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार (एनएफएआई) में शुरूआत की तीन दिवसीय महोत्सव 28 से 30 जनवरी तक चलेगा


सूचना एवं प्रसारण सचिव  अजय मित्तल ने कहा है कि पूर्वोत्तर फिल्म महोत्सव (एनईएफएफ) पूर्वोत्तर की सुगंध लिए वहां की फिल्मों, भोजन, संस्कृति और हस्तशिल्प विविधता को दिखाता है और देश के बाकी हिस्सों को इस क्षेत्र के सांस्कृतिक प्रारूप से परिचय कराता है। उन्होंने कहा  कि इस महोत्सव के वर्तमान संस्करण का पुणे में आयोजन माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” कार्यक्रम के उद्देश्य के तहत पूर्वोत्तर की संस्कृति से देश के अन्य क्षेत्रों के लोगों को परिचित कराने के लिए किया गया था। “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” विजन के तहत इस महोत्सव को देश के अलग-अलग शहरों में प्रत्येक वर्ष आयोजित करने की परिकल्पना की गई थी।  मित्तल ने ये बातें आज पुणे के भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार (एनएफएआई) में इस उत्सव के उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में कही है। 

 उद्घाटन फिल्म “कोथानोडी” और पूर्वोत्तर क्षेत्र के फिल्मी कलाकरों के साथ सूचना एवं प्रसारण सचिव सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर में फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए किए गये पहलों पर प्रकाश डालते हुए मित्तल ने कहा कि इस क्षेत्र पर ध्यान देते हुए आईएफएफआई में कार्यशालाओं, फिल्म महोत्सवों, आदान-प्रदान सत्रों और विशेष प्रदर्शनों के माध्यम से मंच देने का काम किया जा रहा है। नई पहल के तहत मंत्रालय ने गोवा में आयोजित आईएफएफआई में भाग लेने के लिए पहली बार पूर्वोत्तर के 10 फिल्म निर्माताओं को प्रायोजित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र के युवा और उभरते फिल्म निर्माताओं को आईएफएफआई में आये विदेशी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कराना और उत्तर-पूर्व के फिल्मों के लिए व्यापक पहुंच और दर्शक उपलब्ध कराने हेतु अंतरराष्ट्रीय फिल्म प्रोडक्शन हाउस के साथ सहयोग के रास्ते तलाशने हेतु मंच उपलब्ध कराना है। फिल्म समारोह निदेशालय ने हैदराबाद में आयोजित इंडिवुड फिल्म कार्निवल में पूर्वोत्तर फिल्म उद्योग पर एक विशेष सत्र का आयोजन भी किया।मंत्रालय ने पहल करते हुए पूर्वोत्तर के आईएफएफआई अध्याय के पहले संस्करण का आयोजन दिसंबर 2016 में मणिपुर फिल्म विकास निगम के साथ साझेदारी कर आयोजित किया। सूचना एवं प्रसारण सचिव प्रख्यात अभिनेत्री सीमा बिस्वास को सम्मानित करते हुए इस क्षेत्र की फिल्मों की उत्कृष्टता के बारे में बताते हुए मित्तल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और भारतीय पैनोरमा ने पूर्वोत्तर की प्रतिभाओं खासकर वैसी भाषाओं में जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची के अलावा अन्य निर्दिष्ट नहीं है, को खोजकर सम्मानित करने का काम किया है। इनमें से कुछ फिल्मों ने दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कार जीत लिया था। भारतीय पैनोरमा ने इस वर्ष पूर्वोत्तर क्षेत्र से वैसी आठ फिल्मों को चुना था। अपने संबोधन के दौरान सचिव  मित्तल ने पुणे के इस संस्थान के पूर्वोत्तर क्षेत्र के छात्रों को इस तीन दिवसीय महोत्सव में भाग लेते हुए वहां की संस्कृति और भोजन से लोगों को परिचित कराने के लिए बधाई दी। इस शहर से प्राप्त उत्साहजनक प्रतिक्रिया से प्रभावित होकर श्री मित्तल ने आश्वासन दिया कि ऐसे महोत्सव और स्क्रीनिंग (प्रदर्शन) अब पुणे में नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे। 

  उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सूचना एवं प्रसारण सचिव

 इस समारोह की उद्घाटक फिल्म “कोथानोडी” निर्देशक भास्कर हजारिका की पहली फिल्म है, इस फिल्म में चित्रित लोक कहानियों के काव्यात्मक चित्रण ने अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को काफी प्रभावित किया। इस समारोह में भारतीय पैनोरमा द्वारा चयनित फिल्म “लोकतक लैराम्बी” को भी प्रद्रशित किया गया है। बुसान में फिल्म के प्रीमियर के बाद से ही इस फिल्म की अंतरराष्ट्रीय फिल्म जगत में काफी चर्चा है और इसे अब आगामी बर्लिन फिल्म महोत्सव के लिए भी चयनित किया गया है। यह तीन दिवसीय महोत्सव 28 से 30 जनवरी तक भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार (एनएफएआई) में आयोजित किया जा रहा है

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