(08/02/2017) 
नाटकों के मंचन और ‘कांवड़’ कथा ने दर्शकों का मन मोह लिया!
नई दिल्ली। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित 19 वें अंतरराष्ट्रीय नाट्य महोत्सव ‘भारत रंग महोत्सव-2017’ में मंगलवार को हिंदी सहित कई भारतीय व विदेशी भाषाओं में पांच नाटकों का मंचन किया गया।

 इसके अलावा कथा कार्यकाला श्रृंखला की तीसरी कड़ी में आज ‘कावड’ कथा चित्र का प्रदर्शन किया गया। ‘कावड’ सदियों पुरानी परंपरागत चित्रशैली है, जिसका चित्रण राजस्थान शैली में प्रदर्शित किया गया है। कलाकारों, विद्यार्थियों और दर्शकों ने नाटकों के मंचन के साथ-साथ कथा कार्यशाला श्रृंखला का भी भरपूर आनंद लिया। मंगलवार को त्रिपुरारी शर्मा का ‘शायर शूटर... डाउन’, अभिषेक भारती का ‘ब्लड एंड ब्यूटी इन डोगरी’, मेघनाट भट्टाचार्या का ‘पासिंग शो’, बंगलादेश की जयिता महालनोबिस का ‘प्रोथोम पार्थो’ और बहारुल इस्लाम हंसिनी के विदेशी नाटकों का मंचन किया गया। इन नाटकों ने उपस्थित कलाकारों, विद्यार्थियों और देखने आए लोगों को भाव विह्वल कर दिया। नाट्य मंचन के बाद निर्देशक मीडिया और लोगों से रुबरु हुए। बातचीत के दौरान ‘चरित्रपुस्तकअथिलेखू ओरीडू’ के निर्देशक जोशे कोशाय ने बताया कि उनके नाटकों पर केरल के राजनीतिक इतिहास का बहुत ज्यादा असर है। ‘फागुन रातेर गप्पो’ के निर्देशक डॉ. तरुण प्रधान ने बताया कि उनके नाटकों में बंगाली संस्कृति, प्रथा, संगीत का प्रकटीकरण होता है। लेकिन इसके बावजूद वह शेक्सपीयर के ‘ए मिड समर नाइट ड्रीम्स’ की मूल भावना को अपने इस नाटक में बनाए रखते हैं। इस नाटक में ‘टिटानिया’ की भूमिका अदा करने वाली मोनालिशा चट्टोपाध्याय ने बताया कि यह शेक्सपीयर के ‘ए मिड समर नाइट ड्रीम्स’ का एक तरह से बंगाली संस्करण है, जिसे जनता ने बहुत सराहा है। इसका भारतीयकरण करने से यह दर्शकों से और भी जुड़ गया है। कथा कार्यशाला में डॉ. लियाक हुसैन, मंगीलाल मिस्त्री, बालकृष्ण शर्मा, ओझा राम, जगदीशलाल पालीवाल, राजकुमार मोगिया, विष्णु और शिव के ‘कावड़’ आर्ट की बहुत सराहना की गई। राजस्थाान की परंपराओं को प्रदर्शित करती इस चित्रकला में लकड़ी के बक्से में लगे किवाड़ जब खुलते हैं तो वह मंदिर की आकृति ग्रहण कर लेते हैं। इस पैनल पर चित्रों का निर्माण किया जाता है और इसके जरिए ही कथा कही जाती है। इस बक्से के मुख्य भाग में कथा का विस्तार प्रदर्शित किया जाता है।
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