(12/02/2017) 
महिलाओं को गर्भधारण का फैसला लेने का अधिकार है जस्टिस सिकरी
नई दिल्ली;उच्चतम न्यायलय के न्यायधीश न्यायमूर्ति एके सिकरी ने कहा कि संतान जनना,गर्भपात रोकने एवं गर्भावस्था रोकने जैसे मामले में निर्णय लेना महिला का अधिकार है।आज जिस तरह हमारे समाज में महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है। इसको देखते हुए न्यायधीश सिकरी का बयान आया जिसमे उनका कहना है कि एक महिलाओं को गर्भधारण करने का अधिकार है। एक महिला पर उसके पति या उसके परिवार का ही मर्जी चलता है।

उन्होंने कहा, मैं किसी का सहयोग न लेते हुए,इन बातों पर गौर करता हूँ कि हमारी मानवता तब कहा चली जाती है जब किसी के अधिकार पर दबाव डालते हैं।इंसान के तौर पर हमने कैसे इंसानियत को शर्मशार कर दिया है।
                           जहाँ 21वीं के उन्नति प्रौद्योगिकी आंतरिक्ष मे बार बार कदम रखने और कृत्रिम बुद्धिमता के विकास कि बात करते हुए उन्होंने इस विषय पर चिंता जताई।न्यायमूर्ति सिकरी यहाँ जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय की भारतीय अदालतों में प्रजनन अधिकार  प्रगति पर खुशी मनाना तथा चुनौतियों को पहचानना एवं आगे के मार्ग पर चर्चा विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे।
                  उन्होंने कहा, "प्रजनन अधिकार, जो वाकई एक मानव अधिकार है, मानवीय मर्यादा पर आधारित है। जब हम प्रजनन अधिकारों की बात करते हैं ता वे महिला के अन्य अधिकारों के साथ जुडे होते हैं और वह यौन अधिकार है। जब हम भारत में प्रजनन अधिकार की बात करते है तो फिर परिवार में पति की पसंद या अन्य बड़े क्या कहते हैं, की चलती है जब बच्चा होता है जब वह लड़का होगा या लड़की आदि आदि वह भी परिवार ही तय करता है।"
                            उन्होंने भ्रूणहत्या की आपराधिक प्रथा और उसमें पुरूषों या परिवारों की भूमिका पर भी विस्तार से चर्चा की। न्यायमूर्ति सिकरी ने कहा, "बच्चा जन्मने, गर्भपात करने या गर्भावस्था रोकने की महिला की पसंद उसके शरीर से जुड़ी है। आखिरकार उसे ही शरीर रचना विज्ञान के हिसाब से पूरी प्रक्रिया से गुजरना होता है यह उसका शरीर है,यह उसका अधिकार है, पसंद भी उसकी ही हो,महियाओं का सम्मान ही देश को सर्वमान बनायेगा।"

नदीम खान 
समाचार वार्ता
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