(12/02/2017) 
पटकथा लेखकों को लेखन के एक से बढ़कर एक गुर सिखाए गए!
नई दिल्ली। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित 19 वें अंतरराष्ट्रीय नाट्य महोत्सव ‘भारत रंग महोत्सव-2017’ में शनिवार को पटकथा लेखकों के लिए विशेष कक्षा का आयोजन किया गया। इसमें लेखकों को लेखन को बेहतरीन बनाने के गुर सिखाए गए। ‘द हिंदू पुरस्कार-2016 से सम्मानित व पूर्व राजनयिक किरण देसाई ने नए लेखकों को बताया कि वह उसी भाषा में लिखें, जिसमें वो सोचते हैं।

 दूसरी बात, उन्हीं विषयों पर लिखें, जिसके बारे में उन्हें अच्छी जानकारी है। तीसरी बात, वह अपने चरित्रों का चित्रण वास्तविक जीवन के आसपास करें। पांचवीं बात, यह बात ठीक है कि सृजनात्मकता ईश्वर का आशीर्वाद है, लेकिन यह आशीर्वाद भी तभी सफल होती है, जब उसे निखारने के लिए कड़ी मेहनत की जाए। आखिरी बात, वही पटकथा लोगों के दिल में उतर पाती है, जिसका संपादन बेहत चुस्त और कसा हुआ है। संपादकों की भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी कि पटकथा लेखकों की। शनिवार को ‘द हिंदू पुरस्कार-2016 की विजेता किरण देसाई को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। किरण एक बेहतरीन उपन्यासकार हैं। उनके उपन्यास ‘ जिन्ना ऑफन कम टू आवर हाउस’ प्रेम, दर्द, विश्वासघात जैसे कई रंग लिए है। किरण देसाई पूर्व राजनयिक रहे हैं। वह इतिहास, राजनीति और कानून के विद्यार्थी रहे हैं। उनका एक अन्य उपन्यास ‘बर्ड ऑफ पैसेज’ भी कई तरह के मानवीय संवेदनाओं को उकेरती है। उन्हों ने कई लघु कथाओं का लेखन भी किया है। आज प्रोकाश भट्टाचार्य का नाटक ‘मनसा मंगल’ तपन भट्ट का ‘राजपुताना’, एन अमुसाना देवी का ‘मणिपुरी होली’ हैदराबाद के रंगकल्प समूह का सत्यव्रत राउत द्वारा निर्देशित हिंदी नाटक ‘तुम्हारे विन्सेंट’, एनएसडी का राजेंद्र नाथ द्वारा निर्देशित ‘घासीराम कोतवाल’ के नाटकों को दर्शकों ने खूब सराहा। इसके अलावा आज डांडिया, हरियाणवी फाग, लावनी का रंगा रंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया, जिस पर दर्शक झूम उठे। निर्देशकों के साथ मुलाकात कार्यक्रम में थियेटर का जाना-माना नाम व ‘मुगल तमाशा’ के निर्देशक गुरु गौरंग बारिक, ‘आनंद रघुनंदन’ के निर्देशक संजय उपाध्याय, ‘गुंडा’ के निर्देशक बिजेंद्र कुमार टांक ने अपने-अपने नाटकों में छुपे संदेश को मीडिया और आम जनता से साझा किया। 
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