(12/02/2017) 
दिल्ली में कई विभागों को सुधारने मेें लगे एन दलिप कुमार
जीवन में कुछ ही ऐसे ईमानदार व्यक्ति देखने को मिलते है जो पूरी ईमानदारी से अपने कर्तव्य को निष्पक्ष निभाते है, चाहे उसके लिए उनको कितना भी संघर्ष क्यों न करना पड़े। उनकी कार्यशैली अलग पहचान बना देती है। हम यहां आज ऐसी ही एक शख्शियत डॉ एन. दिलीप कुमार की बात कर रहे है।

एन दलिप कुमार 1987 बेंच से आईपीएस चुनकर आए थे। अपने कार्यकाल में इन्होंने ईमानदारी के साथ काम करते हुए कई मामलों का खुलाशा किया जहां बड़े पैमाने पर भ्रस्टाचार व्याप्त था। फिलहाल डॉ एन दिलीप दिल्ली सरकार सतर्कता आयोग में मेंबर के तौर पर अपनी सेवा दे रहे है। जब डॉ एन दिलीप कुमार समाचार वार्ता संवाददाता रविन्द्र कुमार से रु-ब-रु हुए तो उन्होंने कुछ इस तरह अपना अनुभव सांझा किया। 

विशेष -- डॉ एन दिलीप जी का मानना है कि इस बात से फर्क नही पड़ता कि आप किस पद पर  है या आपके पास क्या शक्ति है ? फर्क पड़ता है तो इस बात से पड़ता है कि आपकी आंतरिक शक्ति कितनी मजबूत है। 

पद -- 
1987 बेंच से आईपीएस चुनकर आए
दिल्ली पुलिस विजलेंस में जॉइंट सीपी
स्पेशल सीपी दिल्ली पुलिस 
लोकायुक्त आम आदमी पार्टी 
सदस्य, जनशिकायत आयोग, दिल्ली सरकार 

दिल्ली सर्तकता आयोग में आपको कार्य करते हुए कैसा लग रहा है ?
डॉ एन दिलीप कुमार -- मैने पुलिस में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है, वर्तमान में दिल्ली सरकार सर्तकता आयोग के लिए कार्य कर रहा हुं, मेरी लड़ाई शुरू से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ रही है।  जब में पुलिस में था तब भी में भ्रस्ट अधिकारियों के खिलाफ था और आज भी में उनके खिलाफ हुं। मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि सिस्टम में जो  भ्रष्टाचार फैला है उसको खत्म किया जा सके।  जब भ्रष्टाचार खत्म होगा तो सस्तं अपने आप सही हो जाएगा। 

प्रश्न -- दिल्ली सर्तकता आयोग में कार्य करते हुए कोई ऐसे मामले जिनमे आपको भ्रष्टाचार या अनिमित्ता देखने को मिलीं हो ?
डॉ एन दिलीप कुमार -- कई ऐसे मामले मेरे सामने आए जिनमे साफ़ साफ़ लापरवाही दिखाई दे रही थी।

पहला मामला - एक लड़की को सिर्फ इसलिए अध्यापक की नोकरी नही दी जा रही थी क्योकि उसकी आँख में तिरछापन था। इस मामले में मैने कहा की जब इस लड़की ने बचपन से पढ़ाई की, अध्यापक के पद के लिए परीक्षा पास की, और वह एक प्राइवेट स्कुल में बच्चों को पढ़ा रही है तब आप उसे कैसे नोकरी से वंचित रख सकते है आज वह लड़की सरकारी अध्यापक की जॉब कर रही है।

दूसरा मामला -- एक प्रधानाचार्य १९९२ में रिटायर्ड हुए थे, उनकी पत्नी को अभी तक उनकी ग्रेज्यूटी और पीएफ के पैसे नही मिले थे, जब इस सम्बन्ध में एमसीडी से पूछा गया तब बताया गया कि इस परिवार द्वारा एमसीडी का मकान खाली नही किया गया है इसलिए इनको भुगतान नही किया गया, जबकि बुजुर्ग महिला पहले ही मकान खाली कर चुकी थी। इस मामले में मैने अधिकारी से पूछा कि आपने इस समय इस मकान को किसको दिया हुआ है तब उन्होंने उस व्यक्ति का नाम बताया, और बताया की १९९२ के बाद किन-किन लोगों को मकान अलॉट किया गया है। मैने तब उनसे कहा कि जब इस बुजुर्ग महिला ने अभी तक वह मकान खाली नही किया तो तुमने उसे अलॉट कैसे कर दिया।  उसके बाद उस बुजुर्ग महिला को ब्याज सहित पैसे दिलवाए गए। 

तीसरा मामला -- एक बुजुर्ग व्यक्ति की पेंशन रोक दी गयी थी जिसमे कारण बताया जा रहा था कि उनके जिन्दा होने का सबूत नही मिल रहा था। जबकि वह बुजुर्ग स्वयं अपने जिन्दा होने का सबूत पेश कर रहा था इस मामले में उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए गए।  जिसने उस बुजुर्ग के घर बिना जाए लिखकर दिया था कि बुजुर्ग नही है। 

इसी तरह अभी तक सैकड़ो लापरवाही और भ्रष्टाचार के मामले सामने आये है। 



प्रश्न -- आयोग की तरफ से पुलिस की कार्यशैली में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा रहे है ?
डॉ एन दिलीप कुमार -- लगातार हमारे पास शिकायते आ रही थी कि थानों में या तो सीसीटीवी कैमरे नही है और जो कैमरे लगे है उनमे से ज्यादातर खराब है। तब दिल्ली पुलिस से बोला गया कि थानों के महत्वपूर्ण जगह सीसीटीवी कैमरे लगवाये जाए और उनके सभी कैमरे काम करते हुए होने चाहिए, अगर कोई कैमरा ख़राब हो जाता है तो उसे तभी ठीक करवाया जाए ताकि इस बात का बहाना न बनाया जा सके कि कैमरा ख़राब है।  कैमरा ख़राब दिखाने का मतलब है कि कुछ न कुछ गड़बड़ है किसी बात को छिपाया जा रहा है। 

प्रश्न -- एमसीडी के हथोड़े के रूप में फैले भ्रष्टाचार पर किस तरह अंकुश लगाया जा रहा है ?
डॉ एन दिलीप कुमार --  एमसीडी में देखा गया है अवैध निर्माण की शिकायत मिलने पर उक्त निर्माण कार्य के लेटर या दीवारों में पेंचर ( हाल ) कर दिए जाते है। और कुछ दिनों में वह निर्माण बन कर भव्य  ईमारत के रूप में खड़े दिखाई देते है इसलिए मेरा मानना है कि अवैध निर्माण को पूर्ण रूप से ध्वस्त करना चाहिए। इस तरह के कई मामलों में सीबीआई की जांच करवाई जा रही है ताकि भ्रष्ट अधिकारियों को सजा मिल सके। 

प्रश्न -- आयोग को मिलने वाली शिकायतों के अलावा आप किस तरह लोगों की समस्याओं को महसूस करते है ?
डॉ एन दिलीप कुमार -- कुछ दिनों पहले मुझे खिड़की एक्सटेंशन जाना पड़ा था वहां मैंने देखा लोगों ने फुटपाथ पर अवैध रूप से कब्ज़ा किया हुआ था मुझे लगा कि यह गलत है जो जगह लोगों के चलने के लिए है वहां अवैध कब्ज़ा किया जा रहा है जिसे खाली करवाने के लिए एमसीडी से बोल दिया गया है।  इसके अलावा उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मंडोली इलाके में चल रही 173 फैक्ट्रियां वहां रहने वाले लोगों के जीवन में जहर घोल रही है जिनमे से 145 फेक्ट्रियां को तुरन्त बंद करने की जरूरत है वहां पर भी इन फैक्ट्रियों के खिलाफ करवाई की गयी है ताकि लोगों को प्रदूषण से मुक्ति मिल सके।
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