(14/02/2017) 
‘भारत रंग महोत्सव-2017’ में प्रसिद्ध सिने अभिनेता मोहन
यह थियेटर ही है, जिसने जीवन के प्रति मेरे नजरिए को बदल कर रख दियाः मोहन अगाशे नई दिल्ली। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा सोमवावर को 19 वें अंतरराष्ट्रीय नाट्य महोत्सव ‘भारत रंग महोत्सव-2017’ में प्रसिद्ध सिने अभिनेता मोहन अगाशे ने कहा कि यह थियेटर ही है

जिसने जीवन के प्रति मेरे नजरिए को बदल कर रख दिया। दृश्य माध्यम का प्रभाव बेहद सशक्त होता है और यह हर किसी को बहुत तेजी से प्रभावित करता है। इसकी ताकत शब्दों से कहीं अधिक है।नाट्य मंचन के बाद फिल्म कलाकार डॉ. मोहन अगाशे नवोदित कलाकारों से मिले और उन्हें आगे बढ़ने का गुरु मंत्र दिया। मोहन अगाशे ने अपने थियेटर की यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने बहुत सारे कारणों की वजह से थियेटर करना शुरु किय, जिसमें से एक कारण आर्थिक भी था। स्कूल में अभिनय का प्रशिक्षण निःशुल्क दिया जाता था। वहीं रोजगार के लिए मैंने चिकित्सा क्षेत्र में स्नातक तक की पढ़ाई की। मेरी दोनों वृत्ति-चिकित्सा और थियेटर मानवीय संवेदना से जुड़ी है। चिकित्सा की पढ़ाई ने मेरे अंदर के थियेटर के ज्ञान को बढ़ाने में और योगदान ही दिया।  
मोहन अगाशे ने कहा- 20 वीं सदी पूरी तरह से प्रिंट और लिखे गए शब्दों का काल रहा है। जो लोग पढ़ और लिख सकते हैं, उन्होंने उनका शोषण किया, जो न पढ़ सकते थे और न ही लिख सकते थे। हम यह बात भूल गए कि जीवन में शब्द बाद में आता है और भाव पहले। ध्वनि और चित्र का माध्यम, शब्द और लेखन के माध्यम से कहीं ज्यादा सशक्त है। यही कारण है कि नाटक और फिल्म किताबों से अधिक अपना प्रभाव डालने में सफल रहते हैं। सत्यजीत राय ने हमें बताया कि किस तरह से ध्वनि और चित्र का प्रभावशाली प्रयोग फिल्मों के माध्यम से करें। यह थियेटर ही है, जिसने जीवन के प्रति मेरे नजरिए को बदल कर रख दिया। सोमवार को ‘भारत रंग महोत्सव-2017’ में ‘ब्लैक बर्ड’, ‘अश्वत्थामा’, ‘महारथी कर्ण’ और ‘चित्रा’ के मंचन को देखकर दर्शक बेहद भावुक को उठे। इन नाट्य मंचनों को बेब कास्ट के जरिए देश के अन्य शहरों में भी लाइव दिखाया गया। इनके अलावा मलेशिया के प्यूटेरी साडांग का मंचन पुणे में और तजाकिस्तान के ‘पुल्स कोर्ट’ का मंचन हैदराबाद में किया गया। दिल्ली के दर्शको ने लाइव वेबकास्टिंग के जरिए इसके मंचन का लुत्फ उठाया। हिमांशु कोहली और प्रशांत कुमार के ‘ब्लैकबर्ड’, सुमन शाह का ‘अश्वत्थामा- द वार मशीन’, नावेद ईनामदार का ‘महारथी करण’, डॉ श्रीपद भट्ट का ‘चित्रा’ और तुर्की के मोहम्मद खिजेली के मूक ड्रामा ‘फीनीक्स’ में भरपूर ड्रामा और इमोशन था, जिसने दर्शको को आखिरी समय तक बांधे रखा। ‘निर्देशक से मुलाकात’ कार्यक्रम में ‘आउटकास्ट’ के निर्देशक रणधीर कुमार ने बताया कि उनका नाटक समाज के हासिए पर पड़े व्यक्ति और समाज के दर्द को समाज के समक्ष रखता है। ‘अकल्प’ के सहायक निर्देश मैनुल हक और ‘आद्योशेष रजनी’ के निर्देशक ब्रत्या बासु ने अपने-अपने नाटकों में छिपे सामाजिक संदेश के बारे में जानकारी दी और रंग मंच के कलाकारों व विद्यार्थियों के मन में इनको लेकर उठने वाले प्रश्नों का जवाब दिया। मंगलवार को पांच नाटकों का मंचन किया जाएगा, जिसमें देवाशीष राय का बंग्ला नाटक ‘इला गुरहिशा, सरन्य रामप्रकाश का कन्नड़ नाटक ‘अक्षयंबरा’, कन्नड़ में ही एम.एल.समागा का ‘बाली वध’, हैप्पी रणजीत का ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ और श्रीलंका के चमिका हथलाहवट्टे का ‘राजा मन्हवाला’ का मंचन शामिल है। 
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