(01/04/2017) 
सीक्वल फिल्मों में काम करना ही चुनौती हैः
बॉलीवुड में चर्चाएं गर्म हैं कि फिल्मी माहौल में पले बढ़े वरुण धवन भी सलमान खान की ही तरह कॉमेडी, एक्शन, छिछोरापन करते हुए नजर आ रहे हैं।

वरुण धवन के अंदर ‘मास अपील’ भी नजर आती है। जबकि वरुण दावा करते हैं कि वह तो अपनी शैली अपनाते हैं। फिलहाल वह करण जौहर निर्मित और शशांक खेतान निर्देशित फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ को लेकर चर्चा में हैं, जो कि आलिया भट्ट के साथ उनकी तीसरी फिल्म है। आपके सफल हो रहे करियर पर ‘ढिशुम’ ने रोक लगा दी?-मैं कभी नहीं मानता कि ‘ढिशुम’ असफल थी। वास्तव में ‘ढिशुम’ बच्चों के लिए खास फिल्म थी। बच्चों ने मुझे बहुत पसंद किया। जब मैं बच्चों से मिलता हूं, तो वह मेरे सामने ढिशुम के मेरे किरदार जुनैद अंसारी की नकल करते हैं। जुनैद अंसारी का किरदार बच्चों के लिए ही था। मैंने कभी नहीं कहा कि मैंने यह फिल्म वयस्क बड़े दर्शकों के लिए की थी। मैं निजी स्तर पर खुश हूं कि फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कलैक्शन की। बच्चों के बीच मुझे लोकप्रिय बनाया। लेकिन अब ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ बच्चे व बड़े हर वर्ग के लिए है।
क्या फिल्म हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ का सीक्वल है। ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’
जी हाॅ,यह फिल्म ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ का सीक्वल है। पर इसमें कहानी बहुत अलग है। यह कहानी झांसी के बद्रीनाथ बंसल और कोटा की वैदेही त्रिवेदी की है। जब यह दोनो मिलते हैं, तो क्या होता है, यह देखना काफी रोचक होगा। यूं तो यह दोनों छोटे शहर से हैं। मगर लिंग भेद व समाजिकता को लेकर दोनों की मानसिकता में काफी फर्क है। इसी के चलते दोनों की आइडियोलॉजी के बीच जबरदस्त टकराव होता है, जबकि दोनों एक दूसरे की अच्छाई से प्रभावित हैं। यह फिल्म प्यार, इमोशन, छोटे शहरों के परिवार व सामाजिक सोच की एक यात्रा है। इसमें मैंने बद्रीनाथ बंसल का किरदार निभाया है, जो कि पहली मुलाकात में ही वैदेही त्रिवेदी से प्रभावित होकर प्यार कर बैठता है।सीक्वल फिल्म में काम करना कितना कठिन हो जाता है?
-कलाकार के तौर पर दबाव होता है। क्योंकि एक फिल्म सफल रही है। दर्शकों का प्यार हासिल कर चुकी है। तो अब हमारे सामने उसको बरकरार रखना चुनौती हो जाती है। क्योंकि लोग चाहते हैं कि सीक्वल उससे ज्यादा हिट हों। अपने किरदार बद्री को लेकर क्या कहेंगे?-एक साहूकार का लौंडा है। जिंदगी में उसे कोई फिक्र नहीं है। प्यार और साहूकारी के बीच उसकी जिंदगी चल रही है। उसका किरदार गे्र है। उसकी सोच पुरुषवादी है, पर वह दिल का बुरा नहीं है। फिर उसकी मानसिक सोच में बदलाव कैसे आता है? वैदेही और बद्री की जिंदगी में क्या क्या हादसे होते हैं? फिल्म सिंगापुर भी जाती है। तो इसमें यात्रा काफी बड़ी है। बद्री का किरदार मेरे लिए न सिर्फ खास है, बल्कि मेरे दिल के काफी करीब है। मुझे उम्मीद है कि लोगों को मेरा बद्री का किरदार पसंद आएगा।बद्रीनाथ का किरदार आपके लिए खास क्यों हैं?-क्योंकि निजी जीवन में मेरा नाम बद्री भी है। मेरा एक दोस्त पिछले 15 वर्षों से मुझे बद्री बुलाता आ रहा है। बद्री का मतलब ब्रदर है। पर वह मुझे ब्रदी कहकर बुलाता था और कहता रहा कि यदि हिंदी फिल्मों में मेरा करियर नहीं बना, तो भोजपुरी फिल्मों में तो काम मिल ही जाएगा। भोजपुरी फिल्मों में किरदारों के नाम इसी तरह के होते हैं।फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ के ट्रेलर में आप शराबी नजर आते हैं?-इस फिल्म के किरदार बद्री को निभाने के लिए मुझे काफी शराब पीनी पड़ी। क्योंकि बद्री शराबी है। मैंने अब तक जो भी फिल्में की हैं, उन फिल्मों के मुकाबले यह फिल्म काफी इमोशनल है और मेरा किरदार भी काफी इमोशनल है। इसमें फन है, पर संजीदगी बहुत ज्यादा है। सेट पर कई बार ऐसा हुआ, जब मुझे आलिया और निर्देशक शशांक पर गुस्सा भी आया।बद्रीनाथ का ट्रेलर देखकर लोग कहते हैं कि इसमें गोविंदा की झलक नजर आती है?-देखिए, मैंने तो इस ढंग का काम पहली बार किया है। हर पीढ़ी के साथ चीजें बदलती हैं। मनोरंजन बदलता है। मैंने जो कुछ भी किया है, वह बद्री के हिसाब से किया है। इस फिल्म की शूटिंग करते समय गोविंदा मेरे दिमाग में बिल्कुल नहीं थे। पर यदि गोविंदा की झलक नजर आ रही है, तो अच्छी बात हैं। गोविंदा बहुत बड़े मनोरंजन करने वाले कलाकार हैं। पर मैं खुद अपनी तरह काम करने की कोशिश करता हूं।क्या आप अपनी इमेज बदलने पर आमादा है?
-जी नहीं! मैं अपनी इमेज नहीं बदलता। क्योंकि मेरी इमेज दर्शकों का मनोरंजन करने वाले अभिनेता की है। फिर चाहे नगेटिव, पॉजीटिव, हॉरर या कोई भी किरदार निभाऊं। मेरी सोच पूरे देश के दर्शकों का मनोरंजन करना होता है। मेरी कोशिश रहती है कि मैं उन फिल्मों में अभिनय करूं, जिन्हें हर कोई देखना चाहे। मेरी फिल्म को समझ सके। करण जौहर ने हमेशा इसी वीजन के साथ मेरे लिए फिल्में बनाई हैं। इसीलिए मैं उन फिल्मों में अभिनय करना पसंद करता हूं, जो ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंच सकें। उन्हें पसंद आ सके। मैं लोगों को बोर नहीं करना चाहता।आपके अभिनय में क्या बदलाव आया?-अब थोड़ा सा स्मूथर हो गया हूं। अब मेरे अंदर हाईपरनेस कम हो गई है। जल्दबाजी नहीं रही। अब मैंने किरदारों को उनके माहौल के अनुसार बदलना शुरू किया है। रहन सहन व भाषा पर काम करना शुरू किया है।
किस तरह की फिल्मों को करना आपके लिए ज्यादा सहज होता है?
-सच कहूं तो मुझे डार्क सिनेमा पसंद है। थ्रिलर सिनेमा पसंद है। पर दर्शक मुझे डांस करते हुए देखना चाहते हैं। फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ में हमने पुरानी फिल्म के गीत ‘तम्मा तम्मा.. पर डांस किया है। रोमांटिक फिल्मों में देखना चाहते हैं। कॉमेडी करते हुए देखना चाहते हैं। आगे चलकर मैं ड्रामैटिक किरदार निभाना चाहूंगा।आप फिल्म ‘जुड़वा’ का सीक्वल ‘जुड़वा 2’ कर रहे हैं?
-जी हां! इस फिल्म का निर्देशन मेरे पिता कर रहे हैं। ‘मैं तेरा हीरो’ के बाद मैं दुबारा उनके साथ काम कर रहा हूं। इस बीच थोड़ा समय गुजर चुका है। मेरे पिता चाहते हैं कि मैं धर्मा प्रोडक्शंस व दूसरे निमार्ताओं के साथ काम करूं। इसीलिए मैंने श्री राम राघवन,रोहित शेट्टी, साजिद नाडियाडवाला सहित दूसरे लोगों के साथ काम किया। मेरे पिता का मानना है कि कलाकार के तौर पर हमें अलग-अलग निर्देशकों के साथ काम करते रहना चाहिए। इस बीच मेरे पिता ‘जुड़वा 2’ की स्क्रप्टि पर काम करते रहे। ‘जुड़वा’ से ‘जुड़वा 2’ कितनी अलग होगी?
-बहुत अंतर आएगा। पटकथा में काफी बदलाव किए गए हैं। कहानी और किरदार को समसामायिक बनाया गया है। ह्यूमर आज का है, कलाकार और गाने नए है।
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