(14/04/2017) 
अम्बेडकर और शिक्षा
भारत में अनेकों ऐसे महापुरुष रहे हैं जिन्होंने भारत को विकास व प्रगति की ओर अग्रसर किया है।जिसमे से एक नाम डॉ भीम रॉ अम्बेडकर का है।यह एक इस नाम है जिसे सुनते ही दलित वर्ग के उत्थान व संविधान निर्माण की बात जहन में आती है।परंतु उन्होंने भी अपने जीवन में कम कठिनाईयों का सामना नहीं किया। अम्बेडकर के जीवन का हर मोड़ संघर्षपूर्ण रहा जिसका उन्होंने साहस पूर्वक सामना किया। तब जाके कहें उन्हें सफलता हासिल हुयी। जहां एक तरफ अम्बेडकर का संविधान निर्माण में योगदान रहा ।वहीँ दलितों के अधिकारों के लिए बहुत लंबी लड़ाई लड़ी।ये अलग बात है की वह खुद भी दलित थे।शायद इसी वजह से उन्हें दलितों की पीड़ा का अधिक आभास है।

भारत में अनेकों ऐसे महापुरुष रहे हैं जिन्होंने भारत को विकास व प्रगति की ओर अग्रसर किया है। जिसमे से एक नाम डॉ भीम राव अम्बेडकर का है। यह एक इस नाम है जिसे सुनते ही दलित वर्ग के उत्थान व संविधान निर्माण की बात जहन में आती है। परंतु उन्होंने भी अपने जीवन में कम कठिनाईयों का सामना नहीं किया। अम्बेडकर के जीवन का हर मोड़ संघर्षपूर्ण रहा जिसका उन्होंने साहस पूर्वक सामना किया। तब जाकर कहीं उन्हें सफलता हासिल हुई।

            जहां एक तरफ अम्बेडकर का संविधान निर्माण में योगदान रहा। वहीं दलितों के अधिकारों के लिए बहुत लंबी लड़ाई लड़ी। ये अलग बात है की वह खुद भी दलित थे। शायद इसी वजह से उन्हें दलितों की पीड़ा का भी अधिक आभास है।
अम्बेडकर ने देश के निर्धन और वंचित समाज को प्रगति करने का जो सुनहरा सूत्र दिया था, उसकी पहली इकाई शिक्षा ही थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो गतिशील समाज के लिए शिक्षा को कितना महत्त्व देते थे। इनकी सोच थी कि पढ़ो और पढ़ाओ। इसके अलावा उनका त्रि सूत्र था शिक्षा, संगठन व संघर्ष इसका अर्थ है की संगठित होने और न्याययुक्त संघर्ष करने के लिए पहली शर्त शिक्षित होने की है वह यह मानते थे की धन सम्पदा तो आनी जानी है। लेकिन शिक्षा जैसा अनमोल धन उपलब्ध नहीं है।
             इसमें कोई शक नहीं की अम्बेडकर शिक्षा को वंचित समाज के कल्याण और प्रगति का धारदार और कारगार हथियार मानते थे।लेकिन शिक्षा को वे आयेसोलेश में परिभाषित नहीं करते थे बल्कि उसकी सर्वग्राही अर्थों में ही ग्रहण करते हैं।

         अगर हम शिक्षा के सन्दर्भ में अम्बेडकर के जीवन परिचय की बात करें तो लगभग 100 वर्ष पूर्व 4 जून 1913 को अम्बेडकर और बड़ौदा नरेश के बीच के हुए करार के बाद उन्हें अमेरिका में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति मिली।यह एक ऐतिहासिक घटना थी। जुलाई 1913 के तीसरे सप्ताह में वह न्यूयार्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के लिए पहुंचे इस दौरान उन्हें पहली बार बराबरी का अनुभव हुआ। वह वहाँ के विद्यार्थियों के साथ बराबरी के साथ वार्तालाप करते, भोजन करते और घूमते थे। सभी जगह समता का वातावरण था। उस नए जगत ने उनके मन का क्षितिज विशाल किया। इसके बाद से डॉ अम्बेडकर ने गंभीरता पूर्वक सोचने शुरू किया की पददलित समाज में शिक्षा के प्रसार से ही सकारात्मक परिवर्तन लाये जा सकते हैं। डॉ अम्बेडकर ने प्राप्त अवसर का पूरा लाभ उठाया। विश्वविद्यालय में उपाधि हासिल करने के उद्देश्य से अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीति और मानवशास्त्र आदि विषयों में प्रवीणता प्राप्त करने की उनकी प्रबल महत्वकांशा थी जिसे उन्होंने पूरा किया।

       उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त डॉ अम्बेडकर ने स्वदेश लौटकर अर्जित ज्ञान का उपयोग असमानता पर आधारित भारतीय समाज के उद्धार के प्रयासों में किया। इसके कारण उन्हें दलित चेतना के प्रतीक पुरुष के रूप में जाना जाता है। इसके साथ साथ अम्बेडकर से लोगों को शिक्षा के प्रति जागरुक किया ताकि लोगों का पूर्णतः विकास हो सके।
              शिक्षा के सम्बन्ध में उनका विचार नयी दिशा व प्रेरणा देते है। जैसे शिक्षा शेरनी के दूध के समान है, जिसे पीकर हर व्यक्ति दहाड़ने लगता है। शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जिसे प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचनी चाहिए। शिक्षा सस्ती से सस्ती हो जिससे निर्धन व्यक्ति भी शिक्षा प्राप्त केर सके। शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। शिक्षा के मार्ग सभी के लिए खुले होने चाहिए। किसी समाज की प्रगति उस समाज कद बुद्धिमान, कर्मठ और उत्साही युवाओं पर निर्भर करती है। वह कहते थे कि जिस तरह मैंने शिक्षा प्राप्त की है, वैसे ही तुम भी करो। केवल परीक्षा पास करने तथा पद प्राप्त करने से शिक्षा का क्या उपयोग? आपको यह याद रखना चाहिए की कोई समाज जागृत,सुशिक्षत और स्वभिमानि होगा। अपने गरीब और अज्ञानी भाइयों की सेवा करना प्रत्येक शिक्षित नागरिक का प्रथम कर्तव्य है। बड़े अधिकारी के पद पाती ही शिक्षित भाई आपने अशिक्षित भाईयों को भूल जाते है। उनका मानना है की शिक्षा की बिना समाज को सुधरने का कोई और चारा नहीं है।
          इन सभी बातों से यह पता चलता है की डीसी अम्बेडकर शिक्षा को मानव जीवन का अभिन्न अंग मानते थे। उनके जीवन में शिक्षा का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।

गीता
समाचार  वार्ता
Copyright @ 2019.