(05/05/2017) 
निर्भया गैंगरेप : चारों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार
नयी दिल्ली, 05 मई. उच्चतम न्यायालय ने राजधानी के निर्भया सामूहिक बलात्कार के मामले में चारो दोषियों की फांसी की सजा आज बरकरार रखी, न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने चारों अपराधियों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय की दिल्ली उच्च न्ययालय के फैसले के खिलाफ अपील ठुकराते हुए फांसी की सजा बरकार रखी। न्यायालय ने निर्भया के साथ हुई बर्बर घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह जघन्य अपराध था और इसे विरलों में विरलतम (रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर) की श्रेणी में रखा जाना उचित है। तीनों न्यायाधीशों का फैसला सहमति वाला था लेकिन न्यायमूर्ति भानुमति ने इस मामले में अलग से अपना आदेश सुनाया।

शीर्ष अदालत ने भी दिल्ली हाई कोर्ट की तरह ही निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगाई . इस घटना को अविश्वसनीय बताते हुए अदालत ने कहा कि इसके बारे में सुनकर लगता है जैसे यह किसी दूसरे ग्रह की घटना है, दोषियों को माफी नहीं देने की बात कहते हुए शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि इस दुर्लभ से दुर्लभतम मामले में न्याय सुनिश्चित किए जाने के लिए अधिकतम सजा देना जरुरी है. सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.यह मामला 16 दिसंबर 2012 का है जब दिल्ली के मुनीरका इलाके में छह लोगों ने एक बस में एक छात्रा के साथ बलात्कार किया था. इसके बाद उसे बस से बाहर फेंक दिया गया था. 29 दिसंबर को पीड़िता ने सिंगापुर में एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था. इस मामले ने देश भर में तूफान खड़ा कर दिया था. इस मामले में पुलिस ने राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर और एक नाबालिग आरोपित की गिरफ्तारी की थी. पांच बालिग अभियुक्तों के खिलाफ हत्या और गैंगरेप सहित कई आरोपों के तहत चार्जशीट दाख़िल की थी. 2013 में राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली. उसी साल जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग आरोपित को गैंगरेप और हत्या का दोषी माना और उसे प्रोबेशन होम में तीन साल रखने का फ़ैसला सुनाया. 10 सितंबर 2013 को फ़ास्ट ट्रैक अदालत ने चार दूसरे आरोपितों को दोषी करार दिया और 13 सितंबर को उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. अगले साल दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी यही फैसला किया है. न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की है. अदालत का यह भी कहना था कि अपनी मौत से पहले निर्भया द्वारा दिए गए बयान पर भी संदेह नहीं किया जा सकता और इसकी पुष्टि मेडिकल टेस्ट और दूसरे सबूतों से भी होती है. शुक्रवार की सुनवाई से पहले निर्भया की मां आशा देवी ने न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास जाहिर करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखेगा. फैसले के बाद उन्होंने कहा कि इंसाफ के घर में देर भले हो, अंधेर नहीं है.
 

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