मौन ही साधे हुए है महिलाओं के
लिए आवाज उठाने वाला संगठन सिवनी । जिले में महिलाओं के साथ अन्याय की खबरें मीडिया की
सुर्खियां बनी हुई हैं और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कथित तौर पर पाबंद
माने जाने वाले मातृशक्ति संगठन ने अब तक अपनी सक्रियता नहीं दिखाई है। जिले में
हाल ही में दो वाक्ये हुए हैं जिनमें मातृशक्ति का मौन चर्चित ही माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा का ढिंढोरा पीटने
वाले मातृशक्ति संगठन के द्वारा अब तक स्व-संज्ञान से शायद ही किसी पीड़ित महिला की
मदद के लिए कदम आगे बढ़ाए गए हों। मामला चाहे पूर्व सांसद नीता पटेरिया के
साथ मंच पर पल्लू कांड का रहा हो या कोई और, सदा ही मातृशक्ति संगठन के जबड़े
भिंचे ही दिखे। फरवरी माह के अंत से लखनादौन में आयुष विभाग की एक महिला कर्मचारी ने
अपने ही विभाग के जिला प्रमुख पर कार्यस्थल पर यौनाचार के आरोप लगाए। यह मामला
मीडिया की सुर्खियों में रहा। इसके लिए कर्मचारी संगठन लामबंद हुए। आज भी इस मामले
में कुछ न कुछ मीडिया में प्रकाशित और प्रसारित हो ही रहा है। इसके अलावा शहर में ख्यातिलब्ध डी.पी.चतुर्वेदी महाविद्यालय के बलात्
हटाए गए प्रबंधक के.के.चतुर्वेदी पर वहीं कार्य करने वाली एक महिला शिक्षिका के
द्वारा अपहरण करने और शादी के कागजात पर हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया गया।
डी.पी.चतुर्वेदी महाविद्यालय के बलात् हटाए गए प्रबंधक के.के.चतुर्वेदी और विज्ञान
संकाय पढ़ाने वाली उक्त शिक्षिका 27 मार्च से घर से गायब थे। बताया जाता है कि 31 मार्च को शिक्षिका लौटीं और एक अप्रैल को उसने पुलिस को बताया कि
डी.पी.चतुर्वेदी महाविद्यालय के बलात् हटाए गए प्रबंधक के.के.चतुर्वेदी ने अपने
साथियों के साथ मिलकर उसका (शिक्षिका का) अपहरण किया था। इसके बाद वे अमरकंटक के
एक हॉटल में रहे और शहडोल जाकर अदालत में उस पर दबाव डालकर डी.पी.चतुर्वेदी
महाविद्यालय के बलात् हटाए गए प्रबंधक के.के.चतुर्वेदी ने शादी के कागजात पर
हस्ताक्षर करवा लिए थे। कहा जा रहा है कि महिलाओं की प्रताड़ना से संबंधित ये दो मामले ऐसे
हैं जिनमें तो महिलाओं के अधिकारों की रक्षा का कथित तौर पर दावा करने वाले
मातृशक्ति संगठन को स्वसंज्ञान से ही आगे आकर महिलाओं के साथ खड़े दिखना चाहिए था।
मातृशक्ति संगठन के द्वारा महिलाओं के अन्याय के मामलों में चीन्ह-चीन्ह कर संज्ञान लेने पर अब तरह-तरह की
चर्चाओं का बाजार गर्मा गया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि मीडिया के चीत्कार से इस संगठन को कुछ
लेना-देना नहीं है। अगर कोई महिला इस संगठन के दरवाजे खटखटाती है तो भी इसकी
तंद्रा नहीं टूटती है। एक दंपत्ति ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर कहा कि एक
निजि शिक्षण संस्थान के द्वारा उनके साथ ज्यादती की गई, इसकी मौखिक सूचना मातृशक्ति संगठन
के सदस्यों को देने के बाद भी संगठन के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। |