राष्ट्रीय (10/04/2015) 
'बच्चे खाना मांगते हैं, जी करता है इसी खेत में मर जाऊं'

मथुरा । ऐसा लग रहा था जैसे कप्तान के ढाई एकड़ खेतों को हाथियों ने रौंद दिया हो। सारी फसल बर्बाद होकर खेत में सपाट पड़ी थीं। सुनहरे अनाज काले पड़ गए थे। 38 साल के कप्तान अपने खेत में घुसते हैं, उनके पांव दो इंच गहरे कीचड़ में धंस जाते हैं। चार दिनों पहले ओलावृष्टि से कई खेत पूरी तरह से बर्बाद हो गए थे और उनमें अभी भी पानी भरा हुआ है।

कप्तान ने बुझी हुई आवाज में कहा, 'अब कोई भी फसल अब कटने के लिए बची ही नहीं। खेत सूखने में अभी 10 दिन का टाइम लगेगा। घर में बच्चे खाना मांगते हैं। मन करता है कि इस खेत में ही जान दे दूं।' पिछले साल मथुरा में सूखे का मौसम था। जिससे चावल का दाम गिर गया था और किसानों को इसका घाटा भुगतना पड़ा। फरवरी के महीने में लगातार बारिश हुई, उस समय आलू की फसल लगभग तैयार थी। सब्जियों के दाम बुरी तरह गिर गए। बेमौसम बारिश किसानों और फसलों पर पूरी तरह से बेरहम रही।

पिल्होरा गांव के पूर्व प्रधान केशव देव ने कहा,'किसान उम्मीद पर जीते हैं लेकिन जो भी गेहूं खेतों में बचा है वह खाने लायक नहीं है।' मथुरा के डीएम राजेश कुमार ने कहा,'जिले में गेहूं की 50 फीसदी से ज्यादा फसल बर्बाद हो चुकी है। हमने 331 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है। इनमें से आधा मुआवजा केंद्र सरकार की ओर से आएगा।' हालांकि किसानों के मन में इस मुआवजे को लेकर शंका है। राजबीर ने कहा,'पिछले साल सूखा पड़ने के बाद भी हमें मुआवजा देने की बात कही गई थी लेकिन हमें कुछ नहीं मिला। साल 2006 में भी ओले से हमारी फसल बर्बाद हुई थी और इसके बदले मुझे मुआवजे के तौर पर सिर्फ 1,000 रुपये मिले।'

गांव से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर वृदांवन में मथुरा की सांसद हेमा मालिनी की फोटो वाली होर्डिंग्स लगी हैं। तस्वीरों में वह अपनी बेटियों के साथ डांस की पोज में हैं। ये तस्वीरें हेमा के सुझाव पर होने वाले मंहगे ब्रज महोत्सव की प्रमोशन के लिए इस्तेमाल की जा रही थीं। ब्रज महोत्सव 11-12 अप्रैल को होने वाला था लेकिन किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद इसे टाल दिया गया है।

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