राष्ट्रीय (19/04/2015) 
सपा राज में हुए सांप्रदायिक हिंसा में कातिलों को कैसे मिली जमानत अखिलेश जवाब दें - रिहाई मंच
हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद, कानपुर जनसंहारों पर गठित जांच आयोगों की रिपोर्टों को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर 15 अप्रैल से चल रहा रिहाई मंच का जनसंपर्क और नुक्कड़ सभा शनिवार को भी बिल्लौजपुरा में जारी रहा। गौरतलब है कि इस अभियान के दौरान 20 अप्रैल सोमवार को विधानभवन के सामने मशाल मार्च और 26 अप्रैल को गंगा प्रसाद मेमोरियल हाॅल, अमीनाबाद में 'हाशिमपुरा जनसंहार: इंसाफ विरोधी प्रदेश सरकार के खिलाफ सम्मेलन' का आयोजन होना है।
बिल्लौजपुरा के अलकरीम होटल के सामने आयोजित नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि 26 अप्रैल को आयोजित होने वाले सम्मेलन में पीडि़त परिवारों के सदस्य इसलिए बुलाया जा रहा है ताकि प्रदेश सरकार द्वारा फैलाए जा रहे इस झूठ का पर्दाफाश हो सके कि दोषी पुलिसकर्मियों को अदालत ने छोड़ा है, सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है। जबकि सच्चाई यह है कि जब-जब समाजवादी पार्टी सत्ता में आई उसने इस मामले से जुड़े तथ्यों को मिटाया, हत्यारोपी पुलिस अधिकारियों को बचाया और लंबे समय तक मामले की पैरवी ही नहीं होने दी। उन्होंने कहा कि सपा सरकार के इस रवैए और अदालतों के एक सांप्रदायिक हिस्से के गठजोड़ का ही नतीजा है कि तमाम ऐसी दस्तावेजी सुबूत जिसमें हत्यारे पुलिस और सैन्य कर्मियों की तस्वीरें तक हैं, जिन्हें कोई भी पहचान सकता है को अदालतों ने छोड़ दिया।
रिहाई मंच राज्य कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने कहा कि सोनभद्र में कनहर बांध बनाने के नाम पर जिस तरीके से गांवों में पुलिस ने निरीह आदिवासी जनता पर फायरिंग की उसने साफ किया कि अखिलेश सरकार और छत्तीसगढ़ व अन्य प्रदेशों की भाजपा नीति सरकारों में कोई अंतर नहीं है। सभी सत्ताधारी पार्टियां इस बात पर एकमत हैं कि विकास के नाम पर गरीब मजलूम जनता से उनके हक अधिकार छीन लिए जाएं। रिहाई मंच कनहर गोली कांड और पुलिस ज्यादती की कड़ी भत्र्सना करते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता है। 20 अपै्रल के रिहाई मंच के प्रस्तावित जुलूस में कनहर गोली कांड व  हासिमपुरा जनसंहार के खिलाफ मशाल उठाई जाएगी।
रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम और फहीम सिद्दीकी ने कहा कि हाशिमपुरा ही नहीं सपा सरकार में हुई सांप्रदायिक हिंसा चाहे वह फैजाबाद, अस्थान प्रतापगढ़, कोसी कलां, मुजफ्फरनगर सभी जगहों पर हत्यारोपियों को जमानत मिलना यह साबित करता है कि सपा सरकार उनके खिलाफ पैरवी नहीं कर रही है।
मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा में रासुका में निरुद्ध संगीत सोम व सुरेश राणा पर से न सिर्फ रासुका हटवाती है बल्कि रिहाई मंच द्वारा इनके खिलाफ तहरीर देने के बावजूद एफआईआर नहीं दर्ज करती है, जो साफ करता है कि भाजपा-सपा का सांप्रदायिक गठजोड़ वोटों की सियासत के लिए जनता की बलि देने पर उतारू है। सैयद वसी, मोहम्मद आफाक और लक्ष्मण प्रसाद ने सभा में मौजूद लोगों से एकजुट होकर सपा के इंसाफ विरोधी और साम्प्रदायिक राजनीति का मुकाबला करने का आह्वान करते हुए कहा कि हाशिमपुरा पर आए अदालती फैसले पर समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह की खामोशी ने उजागर कर दिया है कि उनकी दिलचस्पी साम्प्रदायिक हिंदू वोटरों को खुश करने की है। जिसे अब मुसलमान भी समझ गया है। इसलिए हाशिमपुरा पर आया फैसला सपा से मुसलमानों के मोहभंग की शुरूआत साबित होने जा रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से रिहाई मंच के इस अभियान को जनसमर्थन मिल रहा है उससे सपा के खिलाफ मुसलमानों के गुस्से का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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