राष्ट्रीय (22/04/2015) 
किसान कर रहे हैं खुदकुशी, नेता कर रहे हैं रैली
बुंदेलखंड का महोबा जनपद किसानों की मौतों का कब्रगाह बनता जा रहा है ! आज महोबा में एक महिला किसान सहित तीन किसान मौत के गाल में समा गए ! इन किसानों पर कुदरत का कहर क्या पड़ा घर की मुफलिसी ने परिवार को तोड़ दिया ! सरकार मुआवजा तो देने का दम भर रही है लेकिन जमीनी हकीकत,किसान को धेला नसीब नहीं हो रहा है ! किसान इस कदर मजबूर है कि घर में जवान लड़कियों का विवाह करने की सोच ही उनकी मौत का सबब बन रही है ! पेश है महोबा से हमारे संवाददाता इरफ़ान पठान की रिपोर्ट !

बढते कर्ज की फ़िक्र और पूरी तरह तबाह हो चुकी फसलों ने बुन्देलखंड को एक बार फ़िर से किसानो की कब्रगाह बना दिया  जिस तरह एक के बाद एक किसान अपने आप खुद की जान ले रहे है वो मुआवजे के नाम पर खुद की पीठ थपथपाने वाली सरकारों के मुँह पर किसी तमाचे से कम नहीं है . गौरतलब बात यह है कि शासन अपने जिस प्रशासनिक अंग  की दम पर किसानों की बदहाल जिन्दगी  को संवारने का दम रहा है असल मै वही अंग और उसकी भ्रष्ट कार्यशैली बुन्देली क्रषकों की मौत का मुख्य कारण भी है ! ये हम नहीं कहते बल्कि ये दावा घटना की पृष्ठभूमि और उससे जुडे वो तमाम पहलू कर रहे हैं जिन पर शायद किसी की नज़र नही पड़ रही ! बीते एक माह मे आत्महत्याएं कर चुके किसानों की मौत और उसके पीछे के कारणो पर निगाह डालें तो एक कारण प्रबल रूप से उभरकर सामने आता है वो है कर्ज ! कभी साहूकार की शक्ल मे तो कभी बैंक के रूप मे ! अभी हाल ही में किसानों को सरकारी इमदाद के नाम पर मिलने वाली मदद में रिस्वतखोरी से परेशान किसानों ने अपनी चैके फाड़ कर विरोध भी जताया था ! आज महोबा में तीन किसानों की हुई मौतें ,किसानो की बदहाली को बखूबी जाहिर कर रहा है ! चरखारी कोतवाली के ग्राम गौरहारी में एक महिला किसान प्रेमबाई ने अपने पति की मौत के बाद 15 बीघा खेती को सुलभ बनाने के लिए ट्रैक्टर भी लिया जिसके लिए इलाहाबाद बैंक शाखा गुढ़ा से 4 लाख का कर्ज लिया यही नहीं परिवार पालने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड से 2 लाख का कर्जा ले रखा था लेकिन कुदरत की तबाही से फसल क्या बर्बाद हुई घर की मुखिया प्रेमाबाई को परिवार के भरण-पोषण के लिए सदमा घर कर गया उस पर यतीम नातिन की 7 मई को होने वाली शादी ने प्रेमबाई को पूरी तरह तोड़ दिया ! दिमागी परेशानी इस कदर बढी की वृद्ध प्रेमा के दिमाग की नश फटने से उसकी मौत हो गई ! मृतिका के पुत्र ने बताया की घर में किस कदर गरीबी है कि खाने के लिए दाना तक मौजूद नहीं है खेत में हुई फसल बेंच कर मृतिका का अंतिम संस्कार किया गया ! प्रेमबाई की मौत के बाद अब परिजन अपने जीवन यापन को लेकर चिंतित है साथ ही उन्हें चिंता है अनाथ क्रांति की शादी की ! परिजानो इस  बात का मलाल है कि सरकारी इमदाद के नाम पर मिलने वाली मुआवजे की चेकें भी उन्हें नहीं दी गईं !

ऐसी ही दुःख भरी  घटना चरखारी के ही ग्राम बगरौन में घटी ! जहाँ 32 वर्षीय युवा दलित किसान जगमोहन अहिरवार ने घर पर ही फांसी के फंदे में लटक कर अपनी जान दे दी ! जगमोहन अपने परिवार का मुखिया था ! खेती के अलावा जगमोहन घर पर ही सिलाई और गांव के बाहर ईट के भट्टे पर मजदूरी करता था ! उसके ऊपर गांव के ही साहूकारों का दो लाख रुपये का कर्ज था उस पर चचेरी बहिन क्रांति की 22 अप्रैल को होने वाली शादी ने जगमोहन को पूरी तरह तोड़ दिया और किसान जगमोहन ने फांसी लगाकर खुदखुसी कर ली ! घर में सजा मड़वा और बहिन के हाथों में लगी हल्दी पर भाई की मौत से परिजन खासे सदमे में है ! बहिन भी भाई की मौत से न केवल चिंतित है बल्कि अपने भविष्य को लेकर परेशान है !
मृतक के पिता रतना जवान बेटे की मौत के बाद परिवार को पालने की सोच से चिंतित तो है ही साथ ही घर में होने वाली क्रांति की शादी को लेकर भी परेशान है ! उसे सरकारी मदद की दरकार है !
शहर कोतवाली के ग्राम घुटवई में भी कर्ज के बोझ तले दबे युवा किसान नत्थू अहिरवार ने घर की छत से कूदकर जान दे दी ! नत्थू अपनी 8 बीघा खेती से होने वाली आमदनी से अपने पांच बच्चों और पत्नी का पेट पालता था मगर इस वर्ष पडी कुदरत की मार ने उसे मौत को गले लगाने के लिए मजबूर कर दिया ! नत्थू पर इलाहाबाद बैंक का 3 लाख रुपये का कर्ज था तो साहूकारों से भी उसने 5 लाख रुपये कर्ज ले रखा था ! इतनी बड़ी रकम को चुकाने में असमर्थ नत्थू ने मौत का रास्ता का रास्ता चुना और छत से कूदकर मौत को गले लगा लिया ! अब मृतक की पत्नी भगवती अपने बच्चों को लेकर चिंतित है !
महोबा में तीन किसानों की हुई मौतों पर प्रशासन ने वही रटा रटाया जबाब दिया कि मौतों की जानकारी हुई है पोस्टमार्टम होने के बाद जाँच कर शासन को रिपोर्ट भेजी जायेगी ! प्रशासन का यह दाबा भी खोखला नजर आया जिसमे किसानों को मुआवजे की मदद पहुँचाने की बात कही जा रही है !
महोबा में तीन किसानों की मौतों से इतना तो साफ़ है की कर्ज का बोझ और उस पर आसमानी सितम किसानों के लिए मौत का सामान है ! ऐसे भी प्रदेश और केंद्र सरकार का किसान हिमायती चेहरा अगर धूमिल कहे तो गलत नहीं होगा ! इरफ़ान पठान, संवाददाता, महोबा
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