राष्ट्रीय (07/05/2015) 
झोला छाप डॉक्टर का दावा मेरी डिग्री को हाईकोर्ट भी चैलेंज नहीं कर सकता
मथुरा में मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मिली भगत से एक झोला छाप डाँक्टर धड़ल्ले से क्लिनिक चला रहा है जिसके पास न कोई डिग्री है और न कोई डिप्लोमा उसके बाबजूद भी वह खुलेआम अपना क्लिनिक चला रहा है झोलाछाप डॉक्टर के क्लिनिक पर शाम के समय तो मरीजों की और भी अधिक भीड़ रहती है क्योकि डॉक्टर साहब के पास शायद तंत्र मन्त्र की विद्या भी है और वो झाडफ़ूक का काम भी करते है,
जी हाँ हम आपको एक ऐसे फर्जी डॉक्टर के बारे में बता रहे है जो खुले आम बिना किसी लाइसेंस के अपनी डॉक्टर और साथ ही लोगो के साथ अंधविस्वास की दुकान धड़ल्ले से चला रहा है मामला मथुरा के डाँक्टर विमल कुमार शर्मा का है डाँक्टर साहब अपना क्लिनिक सदर बाजार रैगड़ मौहल्ला में चलाते है, मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मेहरवानी से मरीजो की जान से खिलबाड़ का काम ये डाँक्टर भली भाती करता है,
कैमरे की नजर ने इस डॉक्टर के क्लिनिक के बारे जाँच पड़ताल शुरू की तो देखा की डॉक्टर की दुकान पर झाड़ फूंक का काम भी चल रहा है जहाँ ये डाँक्टर अपनी क्लिनिक पर छोटे-छोटे बच्चों के ऊपर झाड़ फूक करता भी नजर आया,  
फर्जी डॉक्टर पर जब कैमरे की नज़र पहुची तो डॉक्टर ने अपने आकाओ के पास फोन लगाया और मीडिया कर्मियो से बात करनी चाही, अपनी सफाई में डॉक्टर ने होमियोपैथिक के लाइसेंस की बात कही,
डाँक्टर विमल कुमार शर्मा का कहना हे कि मेरे पास जो डिग्री हे उन्हें मानयीय सुप्रीम कोर्ट भी चैलेंज नही कर सकती तो फिर स्वास्थ विभाग क्या चीज है।
वही शिकायतकर्ता चेतन स्वरुप सक्सेना ने डॉक्टर के खिलाफ अपना लिखित शिकायती पत्र सी एम् ओ विभाग में 21 फरवरी 2015 को दिया था 
वहीं सी एम ओ विभाग की तरफ से डॉक्टर को एक नोटिस भेजा गया जिसमे उसे 27 फरवरी को चिकित्सीय प्रमाण पत्र के साथ उपस्थित होने की चेतावनी दी गई  ऐसा न करने पर उसके खिलाफ चिकित्सीय परिसद एक्ट 1956 की धारा 15(3)  के अंतर्गत आई पी सी की धारा 419,420,जालसाजी व् 468,471 कानूनी कार्यवाही करने की चेतावनी दी गई,
शिकायत कर्ता ने मामले को ठन्डे वस्ते में जाते देख आर टी आई से 4 अप्रैल को इसकी सुचना मांगी,
वहीं जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाँक्टर सज्जन कुमार से छोला छाप डाँक्टर के खिलाफ कार्यवाही के बारे में पूछा गया तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया की हमने क्लिनिक पर दो बार छापा मरने की कार्यवाही लेकिन हमें क्लिनिक बंद मिला इसलिए कोई कार्यवाही अभी तक नहीं हो पाई है। सवाल यह है की न जाने ऐसे कितने झोला छाप डॉक्टर और होंगे, आखिर कब तक मरीजों की जान के साथ इस तरह से खिलवाड़ होता रहेगा,
मथुरा से मदन सारस्वत की रिपोर्ट
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