जबलपुर । मध्यप्रदेश
हाईकोर्ट ने उस मामले को गंभीरता से लिया है जिसमें बिना कोई तथ्यात्मक जानकारी और
महज द्वेष भावना से जनहित याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि
जनहित याचिका ऐसे मकसद के लिए नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने समाज
में पब्लिसिटी पाने तथ्यहीन और आधारहीन याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश एएम खानविलकर
और जस्टिस केके त्रिवेदी की खंडपीठ ने न केवल याचिका खारिज कर दी वरन ऐसी याचिका
दायर करने वाले भोपाल के अजय दुबे पर 50 हजार रुपए का हर्जाना (कास्ट) भी लगाया।
हाईकोर्ट ने दुबे को 4 सप्ताह के भीतर हर्जाने की राशि जमा करने के निर्देश दिए।
राशि जमा नहीं होने पर कलेक्टर भोपाल को इसकी रिकवरी करने के निर्देश दिए। कोर्ट
ने कहा कि यह राशि अनावेदकों को वितरित की जाएगी। अजय दुबे ने 2013 में हाईकोर्ट
में जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि 13वें वित्त आयोग द्वारा पंचायतों के
लिए दी गई राशि दूसरे कार्यों में खर्च कर दी गई। उन्होंने अतिरिक्त सचिव पंचायत
एवं ग्रामीण विकास और आयुक्त पंचायत राज विभाग पर राशि के दुरुपयोग का आरोप लगाया
था। याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री को भी पक्षकार बनाते हुए आरोप लगाए थे। इस मामले में राज्य सरकार और
उक्त अधिकारियों ने जवाब पेश कर बताया कि राशि का ऑडिट चल रहा है और शीघ्र ही
फाइनल रिपोर्ट आ जाएगी। इसके बावजूद दुबे ने रिज्वाइंडर पेश कर पुनरू राशि के
दुरुपयोग का आरोप लगाया। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के इस कृत्य पर कड़ी नाराजगी
जाहिर करते हुए उक्त आदेश जारी किया। |