राष्ट्रीय (17/06/2015) 
डॉन डॉक्टर्स चला रहे है चिकित्सा एवं स्वस्थ विभाग निर्देशालय

जयपुर(कलसी), तबादलो की राजनीति मेँ कई सनसनीखेज खुलासे हुए है। न्यूज़व्यू राजस्थान ने अपने स्तर पर पड़ताल कि तो चिकित्सा एवं स्वस्थ विभाग में चल रही कई धांधलियों का खुलासा हुआ, एक तरफ डॉ मेघा का सोशल मीडिया पर बयान पर अनेक डॉक्टरों की प्रतिक्रियाएं और दूसरी और माउंट आबू से डॉ नरेश गोयल ने फोन पर जानकारी देते हुए कई सनसनीखेज़ खुलासे किये है। स्वस्थ विभाग में अगर किसी डॉक्टर को पदस्थापन और स्थांनातरण करवाना हो तो उन्हें तथाकथित दलालो से संपर्क करना होता है, आपके पास डिग्री कोई भी हो उससे फर्क नहीं पड़ता, मिठाई का डब्बा जितना बड़ा होगा उतने ही बड़े पदो पर आपको पदस्थापन या स्थांनातरण कर दिया जाएगा। इस धांधली के बीच आम आदमी और मरीज़ कि और देखने वाला तो कोई है ही नहीं। राजस्थान के पुरे निर्देशालय को 2-3 डॉन डॉक्टर ही मिल कर चला रहे है।

डॉ मेघा के सनसनीखेज बयान से चिकित्सा विभाग में हड़कंप

डॉ मेघा ने अपने ट्विटर और फेसबुक अकाउंट के माध्य्म से स्वास्थ्य निदेशालय में खुले आम घूम रहे कुछ दलालों के नाम उजागर किये हैं । डॉ रामावतार जायस्वाल और उनकी पत्नी डॉ रामबाबू और उनकी पत्नी MBBS होते हुए भी उच्च पदों पर है। सूत्रों की माने तो इनमे से एक जायसवाल की नियमों की धजियां उड़ाते हुए शिक्षा विभाग से नौकरी छोड़कर आई है। 70 %से अधिक प्रशासनिक डॉक्टर अधिकारी MBBS पिछले कई वर्षो से उच्च पदों पर बैठे है । अनुभव और विशेष दक्षता नही होते हुए भी ये राज्य भर की पालिसी बनाने से लेकर डॉक्टरो और मेडिकल स्टाफ के पदस्थापन और स्थांनातरण में हस्तक्षेप रखते है ।
डॉ मेघा अरिसडा और मेघ न्यूज के माध्यम से किसी राजावत का जिक्र करते हुए बताया की वो निदेशालय में डॉ सुनील सिंह के माध्य्म से  मनचायी पोस्टिंग दिलाता है। डॉ मेघा ने दावा किया है कि उनके परिचित डॉ से 1 लाख रुपये लिए गए हैं । डॉ मेघा का कहना है नियमो की खुली अवहेलना हो रही है। आम जन के स्वास्थ्य से किसी को कोई मतलब नहीं है।

वही माउंट आबू में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी पद पर कार्यरत डॉ नरेश गोयल ने एक और चौकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की रोचक जानकारी दी है। । उन्होंने बताया कि उनसे जूनियर डॉक्टर्स जो चापल्लुस और भ्रष्ट है को उच्च पद पर कार्यरत है और इस मुद्दे पर विरोध करने के बाद भी नतीजा सिफर रहा । डॉ सुनील सिंह अनेक सालोँ से MBBS होने के तुरंत बाद से सयुंक्त निदेशक राजपत्रित पद पर निदेशालय में जमे बैठे है। सभी जानते हैं कि राजावत डॉ सुनील सिंह के दलाल है।  कांग्रेस सरकार में भी वही सारे लेन-देन को अंजाम देते थे। उन्होंने सिस्टम के खिलाफ आवाज़ उठाई तो डॉ सुनील सिंह ने उनका फिक्सेशन रुकवा दिया । एक RTI की सूचना में डॉ नरेश गोयल ने जानकारी मांगी तो एक चौकाने वाला सच सामने आये कि डॉ सुनील सिंह तो निदेशालय मे कार्यरत ही नही है । और डॉ नरेश गोयल से कई साल जूनियर डॉ सुशील परमार क्महो के पद पर कार्य कर रहे है । PCPNDT कानून का उल्लंघन पाये जाने के बावजूद कई वरिष्ठ डॉक्टरों पर कोई कार्यवाही नहीँ हो रही है। डॉ नरेश गोयल ने MBBS के साथ LLB और मास्टर इन सोशियोलॉजी भी कर रखी है, इसके बावजूद भी वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी पद पर कार्यरत है.
यहाँ तक की लोकायुक्त में भी एन के शर्मा ने स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों और पद का दुरूपयोग किये जाने की शिकायत की तो विभाग ने प्रकरण न्यायलय में विचाराधीन होने का हवाला दे कर पल्ला झाड लिया ।
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