राष्ट्रीय (29/07/2015) 
जमीन अधिग्रहण को लेकर दसवे दिन भी जारी रहा किसानो का धरना
कैथल :- राष्ट्रीय राजमार्ग के लिये जमीन अधिग्रहण करने को लेकर किसानों के द्वारा दिया गया धरना बुधवार को दसवें दिन में प्रवेश कर गया और सरकार व किसानों के बीच इस को लेकर चार दौर की बैठके भी हो चुकी है, जो अभी तक असफल रही है। न ही सरकार झुकने को तैयार है और न ही किसान। किसान सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण के लिये जो कानून बनाये है, उसके अनुसार अपनी जमीन की कीमत मांग रहे है। हर रोज किसानों को विभिन्न संगठनों का समर्थन मिल रहा है। अब यह धरना सैकड़ों किसानों का न रह कर, अपितु हजारों की संख्या में बदल गया। धरने को किसान यूनियन के प्रधान गुरनाम चढूनी व सुरेश कोथ सम्भालें हुये है। सरकार वार्ता में इनको शामिल नही करना चाहती है और बिना इनके किसान सरकार के साथ वार्ता को तैयार नही है। 

प्रदेश सरकार न तो कुछ कर रही और न ही कुछ कर रही- माजरा
धरने के बुधवार को दसवें दिन पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा व धर्मपाल छौत ने धरने को सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश व केन्द्र की दो भाजपा सरकारें निकम्मी है। ये न तो किसी की सुनती है और न ही कुछ करती है। जब सरकार के द्वारा जमीन अधिग्रहण के लिये कानून बना दिये गये तो ये सरकारें अपने द्वारा बनाये कानून से क्यों भाग रही है। इनकी कथनी व करनी में बहुत ज्यादा अन्तर है। उन्होंने कहा कि किसान आज अपने हक के लिये अपनी धान की फसल को छोड़ कर बैठा है। किसानों की फसल खराब हो रही है और ये सरकारें कुछ नही कर रही है। ये किसानों को बर्बाद होते देखना चाहती है। धर्मपाल छौत ने कहा कि आरक्षण के मामले में भी भाजपा के द्वारा कुछ नही किया गया। उल्टा जात पात का जहर घोलने के लिये सांसद राजकुमार सैनी के द्वारा एक संगठन बनवा दिया गया, ताकी ये राज करते रहे और जाट समुदाय व अन्य जातियां आपस में भिड़ती रहे। 

अब तक क्या हुआ
20 जुलाई को जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों द्वारा तीतरम मोड़ पर अनिश्चितकालीन धरना रखा गया।
21 जुलाई को सरकार  के नाम उपायुक्त के माध्यम से एक मांग पत्र दिया गया और साथ में दो दिन का समय दिया गया। 
23 जुलाई को सरकार द्वारा कोई जवाब न आने पर जाम लगाया गया और तंग आकर सरकार के द्वारा प्रशासन के माध्यम से मिलने का समय देकर रात दस बजे के लगभग जाम खुलवाया और लगभग 150 व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
24 जुलाई को किसानों का एक शिष्टमंडल मुख्यमंत्री से मिला और मुख्यमंत्री ने नितिन गडकरी से मिल समस्या का समाधान करने का आशवासन दिया। 
27 जुलाई को उपायुक्त कैथल के द्वारा सरकार के कहने पर विफल वार्ता की। 
27 जुलाई को देर सांय भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला व धर्मपाल शर्मा के द्वारा धरना उठाने के लिये असफल बैठक की। 
29 जुलाई को सरकार के कहने पर जिला पुलिस अधीक्षक ने भी असफल प्रयास किया गया। 
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