राष्ट्रीय (01/08/2015) 
अधिकारी है लगा सकते है भ्रष्टाचार पर अंकुश-पूर्व न्यायाधीश प्रीतम पाल
सरकार किसी भी राजनीतिक पार्टी की हो अगर अधिकारी ईमानदारी से कार्य करें तो भ्रष्ट्राचार पर अपने आप लगाम लग जाएगी। अधिकारी को अधिकारी से पहले अपने आप को इंसान समझना चाहिए जिससे वह खुद इमानदारी से कार्य करेंगा। यह कहना है हरियाणा के लोकायुक्त एवं हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश प्रीतम पाल का जो यमुनानगर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। 
उन्होंने कहा कि सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो भ्रष्टाचार पर अंकुश तो अधिकारी ही लगा सकते हैं। अगर अधिकारी खुद ईमानदार होगा और लोगों की शिकायतों का निवारण इमानदारी व जिम्मेवारी से करेगा तो निश्चित तौर पर भ्रष्ट्राचार समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को अपने बच्चों को चरित्रवान और ईमानदार बनाना चाहिए क्योंकि आगे चलकर बच्चों ने ही देश की भाग डोर किसी ने किसी रूप में संभालनी होती है। 
इससे पहले लोकायुक्त प्रीतम पाल ने जिला सचिवालय के सभागार में जिला प्रशासन के अधिकारियों, पत्रकारों, जिला परिषद के सदस्यों, ब्लाक समिति के सदस्यों, बार एसोसिएशन के सदस्यों एवं एनजीओज के संचालकों को सम्बोधित किया। 
उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने न खाऊंगा और न ही खाने दूगां की नीति अपनाई है। उनकी इस नीति से भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में काफी मदद मिलेगी। लोकायुक्त के कानून के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि लोकायुक्त के प्रावधान अनुसार सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों तथा जनता के चुने हुए जन प्रतिनिधियों की भ्रष्ट गतिविधियों के बारे में शिकायत की जा सकती है। इसके अन्तर्गत  सरकारी सेवादार से लेकर मुख्य सचिव तक की शिकायत की जा सकती है। चुने हुए प्रतिनिधियों में पंच सरपंच से लेकर मुख्यमंत्री तक लोकायुक्त के अन्तर्गत आते हैं। उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता भ्रष्टाचार के वास्तविक मामले ही लोकायुक्त तक लेकर आएं। झूठे केस लाकर लोकायुक्त और सरकार का समय बर्बाद न करे। झूठे केस सिद्ध होने पर शिकायतकर्ता को तीन साल की कैद व 10 हजार रूपये जुर्माने की सजा का प्रावधान है। 
उन्होंने कहा कि झूठी शिकायतें और स्वार्थ से प्रेरित शिकायतें बहूमूल्य समय और ऊर्जा को समाप्त करती है। लोगों को इस तरह की बातों से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी तक लोकायुक्त को 3144 शिकायतें प्राप्त हो चुकी है। जिनमें से 2594 शिकायतों के निर्णय सुनाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेष 550 शिकायतों पर भी कार्यवाही चल रही है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत रिश्वत लेना, रिश्वत मांगना और रिश्वत लेने का प्रयास करना भ्रष्टाचार के अन्तर्गत आते हैं। 
Copyright @ 2019.