राष्ट्रीय (01/08/2015) 
महान क्रांतिकारी परमानंद का जीवन चरित्र स्कूलों व कालेज पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग
कैथल :-  8 मई 1911 को हुए लार्ड हार्डिंग बमकांड में दोषी करार दिए तथा इसी मामले में फांसी की सजा भुगत चुके महान स्वतंत्रता सेनानी डा. बालमुकंद के पौत्र भाई परमजीत छिब्बर ने आज यहां मीडिया सैंटर में पत्रकार वार्ता में राज्य व केंद्र सरकार से मांग की है कि प्रमुख समाज सुधारक, चिंतक, दार्शनिक और स्वतंत्रता सेनानी भाई परमानंद के जीवन चरित्र को स्कूल और कालेजों में व्यापक तौर पर पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए ताकि उनके जीवन से हमारी अगली पीढि़ वाकिफ होकर देशप्रेम से ओतप्रोत हो जाए। इसी प्रकार आगामी 4 नवम्बर को उनकी 139वीं जयंती भी राजकीय तौर पर मनाई जाए। भाई परमानंद के बारे में अपने बुर्जुगों से हासिल की गई जानकारी देते हुए भाई परमजीत ने कहा कि शहीद भगत सिंह का डी.ए.वी.कालेज लाहौर में प्रवेश भाई परमानंद की संस्तुति पर ही हुआ था और वे शहीद भगत ङ्क्षसह के क्रांतिकारी विचारों के गुरू भी माने जाते हैं। उन्हें 1914 में ब्रिटिश साम्राज्य के विरूद्ध युद्ध छेडऩे के लिए मृत्यु दंड सुनाया गया था जिसे बाद में अंडेमान में आजीवन कारावाश के रूप में परिवर्तित कर दिया गया था। समाज को अंधविश्वास से मुक्त देखने का सपना देखते हुए भाई परमानंद ने लाहौर में राष्ट्रीय विद्यापीठ विश्वविद्यालय की स्थापना की और वे उसके पहले कुलपति भी बने। 4 जनवम्बर 1874 को जिला झेलम तहसील चकवाल के अधीन गांव करियाला में जन्मे भाई परमानंद के छोटे भाई बालमुकंद के पुत्र डा. कुंदन लाल कैथल जिले के राजौंद में सबसे पहले एम.बी.बी.एस. चिकित्सक बने। अब उनके पुत्र परमजीत राजौंद में ही रह रहे हैं तथा शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
बाक्स भाई परमानंद के पुत्र डा. भाई महाबीर ने बिताए 19 महीने रोहतक जेल में आपात काल के दौरान 19 महीने तक रोहतक जेल में बिताने वाले मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल और आजादी के क्रांतिकारी सेनानी स्व.भाई परमानंद के पुत्र डा.भाई महाबीर बेशक इन दिनों दिल्ली में बीमारावस्था में अपने घर पर हों, लेकिन उनके पूर्वजों का योगदान सुन और पढ़कर आज भी रौंगटे खड़े हो जाते हैं। ङ्क्षचतक, दार्शनिक और 1905 में पूर्व दक्षिणी अफ्रीका में महात्मा गांधी के साथ एक माह बिताने वाले भाई परमानंद के जीवन के क्र ांतिकारी लहमों को आज उनके बड़े भाई डा. बालमुकंद के पौत्र भाई परमजीत ने प्रैस के साथ कार्यक्रम में सांझा किया। उन्होंने कहा कि गांधी जी के अखबार यंग इंडिया के 19 नवम्बर 1919 के अंक में स्वयं महात्मा गांधी ने भाई परमानंद की इस यात्रा के बारे में कहा कि वह एक माह तक उनके प्रतिष्ठित मेहमान बनकर अफ्रीका में उनके साथ रहे।
बाक्स सरकारी नीति के तहत मिले सम्मान सिटीजन फोरम ने मांग की है कि भाई परमजीत ङ्क्षसह का परिवार स्वाभिमानी परिवार रहा है तथा कभी सरकार से किसी प्रकार कोई सहायता नहीं ली और न ही लेने का कोई इरादा है क्योंकि उनके पूर्वजों ने देश की आजादी के लिए काम किया लेकिन इतना जरूरी है कि जब राज्य सरकार ने यह नीति घोषित की है कि आपात काल के दौरान जेलों में बंद लोगों का सम्मान किया जाएगा तो उस नीति के तहत भाई परमानंद के पुत्र डा. भाई महाबीर को यह सम्मान अवश्य मिले वे इसके हकदार हैं।
बाक्स ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़ा है परिवार भाई परमजीत सिंह का परिवार क्र ांतिकारियों बालमुकंद व भाई परमानंद के बुर्जुगों के बलिदान के कारण ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़ा है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि औरंगजेब के आदेश पर गुरू तेगबहादुर का बलिदान लेने का जब फैसला सुनाया गया तो गुरू से पहले भाई मतिदास  के शरीर को 9 नवम्बर 1675 में चीरकर दो टुकड़े कर दिए गए। उन्होंने यह बलिदान अपने गुरू तेगबहादुर के सम्मान में उनसे पहले दिया था। उन्हीं की पीढ़ी के सभी क्रांतिकारी भाई बालमुकंद, भाई परमानंद, भाई डा. महाबीर और अब भाई परमजीत हैं। वर्ष 1998 में तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्व. भाई परमानंद के बलिदान को सलाम करते हुए उनके पुत्र भाई डा. महाबीर को मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाया।
राजकुमार अग्रवाल
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