राष्ट्रीय (01/08/2015) 
तेहरवे दिन भी जारी रहा किसानो का धरना और भूख हड़ताल
कैथल :- शनिवार को किसानों ने कहा कि ले भई सरकार की नींव तो हिल गई और अब सिर्फ गिरना बाकी है। यह शब्द किसान उस समय कहने को मजबूर हो गये जब आज विपक्षी पार्टियों के नेता, अध्यक्ष, मौजूदा एवं पूर्व विधायक, सांसद सहित अनेक किसान यूनियनों के द्वारा किसानों की भाजपा सरकार से इस लड़ाई में अपना समर्थन दे दिया गया। आज धरने का तेरहवां व भूख हड़ताल का दूसरा दिन है। सुबह से ही नेताओं के आने होड़ लगनी शुरू हो गई थी। आने वाले नेता किसानों से सम्भल नही रहे थे। आने वालों में विधायक एवं इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला, रामपाल माजरा, अशोक अरोड़ा, जसविंदर सिंह सिंधु, बुटा सिंह, सिरसा के सांसद चरणजीत रोड़ी , कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक तवंर, बॉबी मान, आदि अनेक नेताओं ने अपना समर्थन दिया। सभी नेताओं ने धरने को सम्बोधित करते हुये भाजपा को जमकर कोसा। सभी नेताओं ने बोलते हुये कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास प्रदेश सरकार चलाने की ताकत नही है। यह मात्र एक मुहर का काम कर रहे है। सरकार को तो नरेन्द्र मोदी चला रहे है। जिस कारण से उनको प्रदेश के किसानों से कुछ लेना देना नही। यदि मनोहर के हाथ में कुछ होता तो वे 23 जुलाई को किसानों से मिलने के बाद नितिन गडकरी से मिलने क्यों भागते और वहां से खाली हाथ कैसे लौट आये। अब किसानों की समस्या हल करे बिना विदेश जाना कहा कि इन्साफी है। किसान ही नही अपितु सभी वर्ग इस सरकार से दुखी है। इस सरकार के नेता अपने नेताओं की खुद जासूसी करवा रहे है। 
दूसरे दिन शनिवार को ये बैठे भूख हड़ताल पर शनिवार को किसान संघ के प्रधान सुरेश कोथ, भीम फौजी ग्यौंग, सुरजभान सेगा, रामपाल चहल नरड़, सतवीर प्यौंदा, दरबारा प्यौंदा भूख हड़ताल पर बैठे। कल रविवार को भूख  का अन्तिम व तीसरा दिन होगा। उसके बाद सांय समिति की एक बैठक आयोजित की जायेगी। जिसमें अगली रणनीति पर विचार होगा। 
किसानों का तम्बु पड़ गया छोटा धरने पा बैठे लोगों की शनिवार को संख्या ज्यादा होने से किसानों का तम्बु छोटा पड़ गया। जिस कारण से पहले लगे तम्बु में महिलाओं को बैठा गया और किसानों ने जो बैठने से वंचित रह गये, उन्होंने धरने के चारों ओर खड़े होकर गुजारा किया। क्योंकि तम्बु बड़ाने के जगह भी कम है। लाल झंडी वाली कार किस की थी।
शनिवार को तीतरम मोड़ से लगभग तीन बजे एक लाल झंडी वाली कार गुजरी। उसके साथ आगे पीछे पुलिस की दो जिप्सियां थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे कोई मंत्री आया हो। कुछ सैंकिंड़ के लिये वह रुकी और आगे नरवाना कि ओर चलती बनी। वह क्यों रुकी यह अपने आप में एक पहलु है। क्या वह धरने में आना चाहता था, जो वहां पर पहले से ही खड़ी पीली बत्ती व झंडी वाली विपक्षियों के वाहनों को देख कर चली गई। 
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