राष्ट्रीय (02/08/2015) 
BSF और BGB के महानिदेशक स्तरीय सीमा समन्वय सम्मेलन की उत्पति
सीमा प्राधिकरणों हेतु भारत-बांग्लादेश के संयुक्त दिशा-निर्देश 1975 की परिकल्पना, जिसमें इस बात पर जोर था कि दो पड़ोसी देशों के सीमाओं के तात्कालिक सीमावर्ती प्रशासनिक मुद्दों को सुलझाने और उस पर चर्चा के लिये सीमा रक्षक बलों में परस्पर संवाद अत्यावश्यक है। इसी परिकल्पना को साकार करने के लिये 02 दिसंबर 1975 कलकत्ता (अब कोलकाता) में सीमा सुरक्षा बल के तत्कालीन महानिदेशक अश्विनी कुमार के नेतृत्व में सीमा सुरक्षा बल के प्रतिनिधि मंडल तथा मेजर जनरल काजी गुलाम दस्तगीर, तत्कालीन महानिदेशक बंगलादेश रायफल्स (अब बी.जी.बी.) के प्रतिनिधित्व में बांग्लादेश के प्रतिनिधि मंडल के बीच तत्कालीन सीमा समस्याओं पर बातचीत हुई। तब से दोनों ही बलों के महानिदेशक स्तर का यह सम्मेलन वर्ष में एक बार (बारी-बारी) से एक वर्ष भारत में तो दूसरी बाऱ बांग्लादेश में आयोजित किया जाने लगा।
कालांतर में दिनांक 07 से 09 अक्टूबर 1993 तक के बीच संपन्न हुई भारत और बंगलादेश के गृह सचिव स्तर की वात्र्ता के पश्चात इस सम्मेलन के आयोजन को वर्ष में एक बार की जगह दो बार करने का निर्णय लिया गया। वात्र्ता के सहमति पत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया कि दोनों देशों की सीमाओं से संबंधित 5 समस्याएं आपसी सार्थक संवाद और घनिष्ठता के माध्यम से सुलझाई जा सकेंगी। तब से ये परंपरा अनवरत जारी है और एक बार दिल्ली तो अगली बार ढाका फिर दिल्ली, इस तरह बारी-बारी से प्रत्येक छह महीने के अंतराल पर आयोजित इस सम्मेलन के माध्यम से दोनों देशों की सीमा संबंधी समस्याओं को सौहार्दपूर्ण वातावरण में सुलझाने का प्रयत्न किया जाता है। प्रत्येक वार्ता के दस्तावेज अग्रिम कार्यार्थ हेतु गृह मंत्रालय में संप्रेषित किये जाते हैं।
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