राष्ट्रीय (05/03/2016) 
हिंसक घटनाओं से प्रदेश की छवि को नुकसान हुआ - स्वामी रामदेव
महर्षि दयानंद की हमें बहुत बड़ी देन रही है कि उन्होंने हमें अंधविश्वास एवं आडम्बरों से मुक्ति दिलाई

कैथल :- हरियाणा के ब्रांड एंबेसडर एवं योग ऋषि स्वामी रामदेव ने प्रदेश वासियों का आह्वान किया कि सभी वर्ग मिलजुल कर शांति पूर्वक रहें, ताकि हमारा प्रदेश और देश उन्नति के शिखर तक पहुंच सके।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में सभी बिरादरियां प्राचीन समय से आपसी मेल जोल से रहती आई हैं और अब आगे भी सभी एक साथ मिलकर रहें। भगवान ने सभी को एक इंसान के रूप में बनाया है तथा किसी प्रकार का कोई भेदभाव नही किया है। योग ऋषि स्वामी रामदेव आज भारत स्वाभिमान एवं पतंजलि योग समिति कैथल द्वारा स्थानीय नई अनाज मंडी में महर्षि दयानंद सरस्वती की 192वीं जयंती के अवसर पर आयोजित योगदीक्षा सभा में उपस्थित योग साधकों से रूबरू थे।
उन्होंने विभिन्न योगासनों एवं प्राणायामों का प्रदर्शन भी किया तथा लोगों को स्वयं के लिए हर रोज योग हेतू कुछ समय देने को भी कहा। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हरियाणा में वर्तमान में 35 बिरादरी एवं एक बिरादरी की पनपती विचारधारा को पनपने से रोकना है तथा सभी 36 बिरादरियों को प्रदेश एवं देश के विकास तथा समाज की मजबूती के लिए मिलकर कार्य करना है। सभी आत्माओं में परमात्मा का निवास होता है। सभी व्यक्ति जाति-पाति का द्वेष न करें, क्योंकि परमात्मा ने सभी को समान बनाया है।  उन्होंने कहा कि सभी बिरादरियों में अच्छे एवं बुरे व्यक्ति होते हैं, लेकिन अच्छे व्यक्तियों की संख्या ज्यादा होती है। हमें अपने मध्य दीवार नही खिंचनी है तथा ज्ञान से सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करना है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि हमें ऐसे हरियाणा का निर्माण करना है, जहां पर एक गलती करने वाले इंसान को रोकने के लिए हजारों व्यक्ति एक साथ आकर खड़े हों। उन्होंने कहा कि सभी वर्ग शांति पूर्वक अपनी बातें कहें तथा कभी भी हिंसक घटनाओं में शामिल न हों। उन्होंने कहा कि गत दिनों हुई हिंसक घटनाओं से प्रदेश की छवि को नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई हम सभी को मिलजुल कर करनी है। स्वामी रामदेव ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं को उन्होंने 9 वर्ष की आयु में आत्मसात किया और 14 वर्ष की आयु तक सभी वेदों का ज्ञान हासिल किया। महर्षि दयानंद सरस्वती ने सच के लिए जीवन कुर्बान कर दिया। आज हमें उनके दिखाए रास्ते पर चलना है।
उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद की हमें बहुत बड़ी देन रही है कि उन्होंने हमें अंधविश्वास एवं आडम्बरों से मुक्ति दिलाई। उनका कहना था कि सन 1857 में शुरू हुई स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई के मूल में महर्षि दयानंद सरस्वती ही थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए वीरों को प्रेरित किया। उन्होंने सर्व प्रथम हिंदी में वेदों को भी प्रतिष्ठित किया तथा हिंदी के सर्व प्रथम सर्व श्रेष्ठ ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश की रचना की। उन्होंने महर्षि दयानंद के व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि देखा न कोई दुजा ऋषिवर महान जैसा ईक और सारी दुनिया ईक और थे महर्षि अकेला। उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती की अंतिम ईच्छा के बारे में बताया कि उन्होंने कहा था कि हे आर्याे तुम मेरी मृत्यु के बाद समाधी मत बनाना, राख मेरे तन की खेतों में गिराना। स्वामी रामदेव ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने महिलाओं के मान-सम्मान के बारे में भी समाज को यह संदेश दिया था कि जहां पर महिलाओं की पूजा होती है, ऐसे स्थानों पर ही देवता निवास करते हैं। हमें वर्तमान में महिलाओं को वही मान-सम्मान दिलाने की जरूरत है। स्वामी रामदेव ने कहा कि हमें स्वयं, धर्म, मातृभूमि पर विश्वास करना है। जीवन में कर्म का फल ही होता है। हमें वर्तमान में जीना है तथा आज के कार्य को आज ही संपन्न करना है।
भविष्य पर किसी भी कार्य को नही टालना है। संपूर्ण समाज में ज्ञान का प्रकाश बहुत जरूरी है। उन्होंने अंधविश्वास फैलाने वाले धर्म गुरूओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कोई मुह्र्त अशुभ नही होता। हमें जरूरत है दृढ़ विश्वास, कठोर परिश्रम तथा मजबूत ईच्छा शक्ति की और यदि यह सब हम कर सकते हैं तो हमें सफलता प्राप्त करने में कोई दिक्कत नही होगी। उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन परम्परा रही है कि यहां पर गुरूओं, माता-पिता, बुजुर्गों का पूरा मान-सम्मान किया जाता रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि माता-पिता की सेवा से बढ़कर कोई तीर्थ स्थल नही है। उन्होंने कहा कि संपूर्ण सृष्टि भगवान का मूर्त रूप है। उन्होंने उपस्थितगण से मौके पर हर प्रकार का नशा त्यागने की अपील करते हुए कहा कि नशे की आदत से कई अन्य बुराईंया हमें जकड़ लेती हैं। इसलिए सभी आज से हर प्रकार केे नशे को त्याग दें और योग को अपनाएं। योग और प्राणायाम से एनर्जी मिलती है, जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि शरीर में एनर्जी की कमी से एलर्जी जैसी बीमारियां हो जाती है। हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए महान ऋषि मुनियों द्वारा दिखाए गए योग के मार्ग पर चलना होगा।इस मौके पर महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के मूल में महर्षि दयानंद सरस्वती थे। उन्होंने संपूर्ण विश्व में वेदों का प्रचार किया। उन्होंने कहा कि मिट्टी के कण-कण में भगवान का वास होता है। उन्होंने स्वामी रामदेव के बारे में कहा कि भारत की भोर में रामदेव जी ने आशा की किरण जगाई है। उन्होंने देश में सकारात्मक वातावरण बनाया है। स्वामी रामदेव जी को इतिहास में भारत के भाग्य उदय के लिए जाना जाएगा। उन्होंने नि:स्वार्थ भाव से देश वासियों को देश प्रेम तथा राष्ट्रभक्ति के लिए जगाने का कार्य किया है।
उन्होंने रामलीला मैदान से गत दिनों भारत के भाग्य के कपाट खोलने का पहला सफल प्रयास किया है। उनके मॉडल से समग्र जीव जंतुओं का कल्याण होगा। वे मिट्टी के कण-कण की चिंता करते हैं। इस मौके पर विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट तथा पतंजलि योग समिति के पदाधिकारियों ने स्वामी रामदेव तथा महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि जी महाराज से आशीर्वाद लिया। डीएवी स्कूल पूंडरी के विद्यार्थियों द्वारा योग अध्यापक दिलबाग सिंह के नेतृत्व में विभिन्न योगासनों का प्रदर्शन किया। इस मौके पर पलवल के गायक सुंदर पांचाल ने महर्षि दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं, देश के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी तथा अनेक शहीदों द्वारा दी गई कुर्बानियों को गीतों के माध्यम से प्रस्तुत करके योग साधकों की खूब तालियां बटोरी। रॉकी मित्तल ने गाय की रक्षा तथा स्वामी रामदेव के व्यक्तित्व पर गीत प्रस्तुत किए। सुदीप आर्य ने भी एक भजन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर आचार्य नरेंद्र, स्वामी खुशीनाथ सत्यानंद, गुहला के विधायक कुलवंत बाजीगर, भाजपा के जिलाध्यक्ष सुभाष हजवाना, राव सुरेंद्र सिंह, प्रवीण पुनिया, रामचरण, अशोक मितल, हरिओम, अमर राविश, बदन सिंह आर्य, विरेंद्र सिंह, मदन प्रकाश टाया, मुकेश मित्तल, राजेश खुरानिया, राजेंद्र गोकला, मदन लाल, चरण दास, टेक चंद, जितेंद्र भाणा सहित विभिन्न सामाजिक संस्थाओं, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट एवं पतंजलि योग समिति के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
(राजकुमार अग्रवाल)
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