राष्ट्रीय (09/03/2016) 
सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय की 105 वीं जयंती पर परिचर्चा का आयोजन
अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ,नई दिल्ली के तत्वावधान में आज संघ के मुख्यालय बरवाला,रोहिणी सेक्टर-36 में चिंतक विनोद कुमार शुक्ल की अध्यक्षता एवं संघ के महासचिव शिक्षाविद् दयानंद वत्स के सान्निध्य में सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार स्वर्गीय सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय की 105वीं जयंती पर अज्ञेय का व्यक्तित्व एवं कृतित्व परिचचा्र्र का आयोजन किया गया। संघ के महासचिव दयानंद वत्स ने स्वर्गीय अज्ञेय के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें उनके कृतज्ञ प्रषंसक पाठकों की और से श्रद्धासुमन अर्पित किए। अपने संबोधन में वत्स ने कहा कि अज्ञेय का व्यक्तित्व एवं कृतित्व विराट स्वरुप लिए हुए था। हिंदी और अंग्रेजी पर उनका समान अधिकार था। वे एक सहृदय व्यक्तित्च के स्वामी, मृदु स्वभाव के धनी और लेखनी के प्र्रखर विद्धान थे।
 साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका अविस्मरणीय योगदान सदैव स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। बहुआयामी साहित्यकार स्वर्गीय अज्ञेय एक कवि, उपन्यासकार के साथ-साथ एक उमदा इंसान और संपादक भी रहे। उन्होने हर क्षेत्र में अपनी छाप छोडी। शेखर एक- जीवनी, नदी के द्वीप,अपने अपने अजनबी आज भी कालजयी कृतियां हैं। 1964 में साहित्य अकादमी, 1978 में ज्ञानपीठ और 1983 में गोल्डन वरेथ एवं भारत-भारती से सम्मानित अज्ञेय ने नई कविता, प्रयोगवाद और आधुनिक हिंदी साहित्य को समृद्ध किया।
परिचर्चा में उनके साहित्य के प्रशंसक सर्वश्री दयानंद वत्स, वीरेन्द्र कुमार, प्रदीप श्रीवास्तव, देवेन्द्र मलिक, राजेश शर्मा ने अज्ञेय को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और एक स्वर से अज्ञेय को इस सदी का सबसे सफलतम भारतीय साहित्यकार एवं पत्रकार बताया।
 -दयानंद वत्स, महासचिव
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