राष्ट्रीय (10/03/2016) 
घरों में महिलाओं का उत्पीडऩ रोकने के लिए सरकार ने बनाया सख्त कानून: भारद्वाज
कैथल : बाबू अनंत राम जनता कॉलेज कौल में कॉमर्स एवं लीगल लीटरेसी प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में घरेलू हिंसा निवारण अधिनियम तथा उपभोक्ता कानून को लेकर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्षों रणवीर पाराशर एवं पी.एल.भारद्वाज ने मुख्य वक्ताओं के रूप में भाग लिया। सेमिनार का शुभारंभ एवं मंच संचालन करते हुए हिंदी विभाग के अध्यक्ष डा. ऋषिपाल शर्मा ने कहा कि आज के युग में हर नागरिक को कानून की जानकारी होना जरूरी है। उन्होंने दोनों अतिथियों के बारे में भी उपस्थित बच्चों व प्राध्यापकों को विस्तृत जानकारी दी। घेरलू हिंसा रोकने संबंधी कानून के बारे में पी.एल.भारद्वाज ने बताया कि इस कानून के लागू होने के बाद मौजूदा पुरूष प्रधान समाज में उन महिलाओं को संरक्षण मिला है जिन्हें किसी न किसी रूप में अपने घरों में उत्पीडऩ सहन करना पड़ता है। कानून की बारीकियों व इससे जुड़ी प्रक्रिया के बारे में उन्होंने कहा कि निर्धारित आवेदन पत्र में याचिका अदालत में दायर की जा सकती है। जिसके बाद अदालत संरक्षण अधिकारी के पास याचिका भेजती है जहां दोनों पक्षों को लिखित बयान के लिए बुलाया जाता है। उन्होंने कहा कि पीडि़त को जब कानून ने संरक्षण प्रदान किया है तो उन्हें किसी से डरने की आवश्यकता नहीं है। भारद्वाज ने कहा कि समाज में हर तरह के अपराधी हैं और अपराध का दायरा भी समय के साथ-साथ बदलता रहा है जिस कारण सरकारों ने समय की मांग के अनुसार कानून बनाए। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान का लाभ आस पड़ौस में बांटें और जागरूकता लाएं। वरिष्ठ अधिवक्ता रणवीर पाराशर ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि पूंडरी, ढांड और कौल में शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना स्व.चौधरी ईश्वर सिंह पूर्व स्पीकर हरियाणा विधानसभा ने की थी और आज उनका वह सपना पूरा हो गया है कि हर गांव व घर से लड़कियां और लड़कें पढ़ें। उन्होंने कहा कि बदलते समाज में अज्ञानता का कोई स्थान नहीं है। अपनी सोच को ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए पढ़ाई बेहद जरूरी है। समाचार पत्रों के पढऩे की अदालत यदि हर बच्चा डाल ले तो सामान्य ज्ञान अलग से पढऩे की जरूरत नहीं रहेगा। पाराशर ने कहा कि वकालत के पवित्र पेशे में विद्यार्थियों को आने के लिए कड़ा परिश्रम करना चाहिए क्योंकि कोर्ट केसों के अलावा एक वकील समाज को समर्पित नागरिक भी होता है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता कानून केवल उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए लागू किया गया है। कोई भी उपभोक्ता पीडि़त होने पर सादे कागज पर फोरम में शिकायत कर सकता है। इसलिए हर खरीदी गई वस्तु का बिल दुकानदार से अवश्य लें। उन्होंने अन्य कानूनों के बारे में बताया कि भादसं का पारूप समय के साथ-साथ बढ़ते अपराधों के आगे छोटा पड़ता रहा इसलिए विशेष कानून बनाए गए जिनमें घरेलू हिंसा कानून, दहेज उन्मूलन कानून, बुर्जुगों के सम्मान संबंधी आदि ऐसे कानून हैं जो जरूरत के अनुसार बने। आम विद्यार्थी को कानून की जानकारी हासिल होगी तो वह अपने अभिभावकों व रिश्तेदारों से विचार विमर्श करके उन्हें समुचित राय दे सकेंगे। उन्होंने बच्चों को निरंतर पढ़ाई करने व लक्ष्य निर्धारित करने को कहा। इस अवसर पर कालेज के प्रधानाचार्य डा.बलबीर सिंह ने कहा कि ज्ञान अर्जित करना समय की आवश्यकता है। सरकार कानून तो बनाती है लेकिन उसे लागू करना आमजन का दायित्व है। इसलिए किसी अपराध की सूचना पुलिस को समय पर दें ताकि अपराधी को काबू किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा के अधिकार का कानून बनाया और बहनों को भाई के समान सम्पत्ति संबंधी अधिकार दिए। इसलिए सभी का जागरूक होना जरूरी है। उन्होंने दोनों अधिवक्ताओं के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस शिक्षण संस्थान में ऐसे आयोजन समय-समय पर आयोजित किए जाते हैं ताकि विद्यार्थियों को विभिन्न कानूनों की जानकारी दी जा सके। कार्यक्रम के दौरान मंच का संचालन डा.ऋषिपाल ने किया। सैमिनार के आयोजन में अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष एवं लीगल लीटरेसी विभाग की प्रमुख संयोजक प्रो.कुसुम ने अहम रोल अदा किया। कार्यक्रम में कॉमर्स विभाग के प्रमुख डा. समे सिंह, डा. सुभाष चंद्र, डा.संदीप कुमार, डा.पुष्पा, मनीष टाया, श्रवेश कुमार ने भी अपने विचार रखे।
(राजकुमार अग्रवाल)
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