राष्ट्रीय (14/02/2017) 
सिर्फ 26 प्रतिशत वारदात ही सुलझा पाई दिल्ली पुलिस
नई दिल्ली: दिल्ली में वाहन चोरी की वारदातो पर कोई लगाम नहीं लग पा रही । महानगर में पार्किंग की व्यवस्था बेहतर न होने के कारण लोग मजबूरन कहीं भी गाड़ियां पार्क कर देते हैं, जहां से चोर उनकी गाड़ियां ले भागते हैं। दिल्ली पुलिस समय का अभाव बताकर इन्हें गंभीरता से नहीं लेती। तीन साल पहले तत्कालीन पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने मोबाइल से ऑन लाइन मुकदमा दर्ज करने के लिए एप जारी किया था, लेकिन उससे आम नागरिकों की परेशानी कम नहीं हो रही है। लोग ऑन लाइन मुकदमा तो दर्ज करा देते हैं, लेकिन उनकी गाड़ियां नहीं मिल पाती हैं। इन सब के मद्देनजर ही पूर्व पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा ने बीते वर्ष मार्च महीने में पदभार ग्रहण करते ही दिल्ली पुलिस के समस्त आला अधिकारियों की बैठक लेकर वाहन चोरी के मामले को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखने व उसपर तफ्तीश करने के लिए आर्डर जारी किया था। फरमान मिलने पर जिला पुलिस समेत अन्य यूनिटों ने वाहन चोरी को गंभीर अपराध तो माना, फिर भी वाहन चोरी की घटनाओं पर अंकुश नहीं लगा पाए। आंकड़े को देखें तो 2015 में 32,729 केस दर्ज हुए। वहीं 2016 में 38,644 केस दर्ज हुए। इनमें 5340 केस को ही दिल्ली पुलिस सुलझा पाई। पिछले साल के वाहन चोरी के 33304 केस को पुलिस नहीं सुलझा पाई।आखिर वही हुआ जिसकी आशंका थी। दिल्ली पुलिस ने इस साल सालाना पत्रकार वार्ता नहीं की। विभाग ने अलीपुर रोड स्थित पुलिस मेस में मीडिया इंटरक्शन तो रखा, लेकिन पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने मीडिया से बात नहीं की। अब चर्चा है कि सालाना पत्रकार वार्ता की परंपरा को तो पूर्व आयुक्त आलोक वर्मा ने ही तोड़ दिया था। पटनायक उसी परिपाटी को आगे बढ़ा रहे हैं। पूर्व पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी, बीके गुप्ता, वाईएस डडवाल, केके पॉल, आरएस गुप्ता व अजय राज शर्मा मीडिया फ्रेंडली थे। इनके समय में हर साल दिल्ली पुलिस की पत्रकार वार्ता होती थी।जनवरी माह में इस पत्रकार वार्ता को तत्कालीन पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा को करना था। उनके जाने के बाद जब अमूल्य पटनायक आए तो उनके ऊपर दारोमदार आ गया, लेकिन अमूल्य पटनायक ने वार्ता नहीं की। पुलिस आयुक्त दोपहर करीब एक बजे कार्यक्रम में पहुंचे तो उन्हें अधिकारियों व पुलिस कर्मियों ने घेर लिया। करीब 15 मिनट रुकने के बाद आयुक्त वहां से चले गए। अमूल्य पटनायक दिल्ली पुलिस के 21 वें पुलिस आयुक्त हैं। अधिकारियों की मानें तो पूर्व पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा व वर्तमान आयुक्त अमूल्य पटनायक को छोड़ इनसे पहले रहे किसी आयुक्त ने मीडिया से दूरी नहीं बनाई। अब ऐसी स्थिति क्यों बनती जा रही है यह बात किसी अधिकारी को समझ में नहीं आ रहा है? हर साल पिछले साल हुए अपराध का लेखा जोखा, दिल्ली पुलिस की कामयाबी व उनकी अगली योजनाओं को लेकर दिल्ली पुलिस के मुखिया सालाना पत्रकार वार्ता करते रहे हैं। यह दिल्ली पुलिस का सबसे बड़ा कार्यक्रम होता है।दिल्ली पुलिस के ऑफिसर मेस में आयोजित मीडिया से मिलन समारोह के दौरान पुलिस आयुक्त्त अमूल्य पटनायक  ने पूर्व पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा की  तोड़ी परंपरा को आगे बढ़ाया, दिल्ली पुलिस ने आंकड़ों की बाजीगरी में डकैती, हत्या, हत्या के प्रयास, लूटपाट, अपहरण व दुष्कर्म जैसी संगीन अपराधिक घटनाओं को अपनी सूची में भले ही कम दिखाया हो, लेकिन हकीकत यह है कि पिछले साल राजधानी में ताबड़तोड़ अपराधिक वारदातें हुईं। रिकार्ड कुल 209519 मामले दर्ज हुए। इससे पहले 2015 में कुल 191377 मामले दर्ज हुए थे। 2016 के पुलिस के अपराधिक आंकड़े को मानें तो शहर की सबसे बड़ी समस्या महिला अपराध के कुछ मामलों जैसे दुष्कर्म, छेड़खानी, फब्ती कसने, शादी के लिए जबरन अपहरण करने जैसे मामले में कमी आई है लेकिन दहेज हत्या, पति व ससुर पक्ष द्वारा महिलाओं को प्रताड़ित किए जाने के मामले में बढोतरी हुई। दिल्ली में कोई आतंकी हमला न होने पर पुलिस ने अपनी सबसे बड़ी कामयाबी मानी है।1 स्पेशल सेल ने विभिन्न आतंकी संगठनों के करीब 12 आतंकियों को दबोच कर उनके मंसूबे को ध्वस्त कर दिया। पुलिस ने हर मामले में केस तो दर्ज कर लिया, लेकिन उन्हें सुलझाने की अधिक कोशिश नहीं की। महज 26 फीसद उन छोटे मोटे केसों को ही पुलिस सुलझा पाई, जिनमें उन्हें आसानी से सुराग मिल गया। पिछले साल 153562 केसों को पुलिस नहीं सुलझा पाई, जो नए आयुक्त अमूल्य पटनायक के लिए चुनौती बन सकता है।
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