राष्ट्रीय (30/08/2022) 
मोदी के प्रभाव में कैसे आए कांग्रेस के ‘गुलाम‘ गुलाम नबी आजाद की बिदाई समारोह में मोदी ने दे दिए थे संकेत!


कांग्रेस के खाटी नेता गुलाम नबी कांग्रेस से त्यागपत्र देकर, अब आजाद हो चुके हैं। देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली के सियासी गलियारों में इस बात पर शोध चल रहा है कि आखिर गुलाम नबी का कांग्रेस से मोहभंग कैसे हुआ! इतना ही नहीं वे नरेंद्र मोदी के इतने करीब कैसे आ गए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि, गुलाम नबी आजाद का डीएनए मोदी मय हो चुका है। इस बात के निहितार्थ भी लगाए जा रहे हैं। गुलाम नबी आजाद आखिर मोदी मय कैसे हो गए, इस बारे में सियासी बियावान में तरह तरह की बातें तैरती नजर आ रही हैं।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि गुलाम नबी आजाद जब राज्य सभा में थे, उस वक्त भाजपा के कद्दावर नेता अरूण जेटली के साथ उनका वैचारिक सामान्जस्य जबर्दस्त हुआ करता था। उस दौर में अरूण जेटली के द्वारा ही गुलाम नबी आजाद को नरेंद्र मोदी से सीधे मिलवाया और उसके बाद नरेंद्र मोदी और गुलाम नबी आजाद के बीच बेहतरीन दोस्ताना भी बन गया था।
उक्त नेता की मानें तो दोनों के बीच सामंजस्य और संबंध इस कदर प्रगाढ़ हो गए थे कि नरेंद्र मोदी के द्वारा कभी कभार गुलाम नबी आजाद को चाय पर भी बुला लिया जाता था। यही कारण था कि दोनों के बीच आपसी सामंजस्य और संबंध बहुत ही ज्यादा प्रगाढ़ हो गए थे।
वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान यह भी बताया कि कांग्रेस के द्वारा गुलाम नबी आजाद को राज्य सभा में एक बार फिर मौका नहीं दिए जाने की बात को जब नेताओं ने नरेंद्र मोदी के संज्ञान में लाया तो राज्य सभा की बिदाई भाषण में नरेंद्र मोदी ने सभी को यह कहकर चौंका दिया था जिसमें उन्होंने गुलाम नबी आजाद से कहा था कि ‘आपको खाली नहीं बैठने देंगे |
इस बात से सभी वाकिफ हैं कि गुलाम नबी आजाद बिना जनाधार वाले नेता हैं और वे पिछले दरवाजे अर्थात राज्य सभा या सियासी गलियारों में जिसे ड्राईंग रूम पालिटिक्स कहा जाता है को करने के आदी थी। गुलाम नबी आजाद के संबंध अपनी पार्टी के साथ ही विरोधी दलों के नेताओं से भी सदैव ही मधुर रहे हैं। इसी का फायदा वे उठाते रहे हैं।
उक्त नेता का कहना था कि अब सवाल यह उठता है कि आखिर भाजपा के द्वारा आजाद को इतनी तवज्जो क्यों दी जा रही है, इसका सीधा सा कारण है कि कुछ समय के बाद जम्मू काश्मीर में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। परिसीमन के बाद जम्मू विधान सभा का दायरा बढ़ गया है, जहां गुलाम नबी आजाद का प्रभाव है।
उक्त नेता ने इस बात के संकेत भी दिए हैं कि जम्मू काश्मीर के चुनावों में गुलाम नबी आजाद को नई पार्टी बनाकर उतारा जा सकता है, जिससे नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी आदि को सीधे सीधे नुकसान हो सकता है और भाजपा को परोक्ष तौर पर इसका फायदा होने की उम्मीद है।
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