राष्ट्रीय (20/04/2010) 
शनि! सच्चाई या भ्रम
जन्म के साथ ही हर व्यक्ति रिश्तों से जुड़ जाता हैए पर भारत में वह रिश्तों से नहीं बल्कि नक्षत्रों से जुड़ जाता है। उन्हीं नक्षत्रों में से एक है शनि। जिसे ईश्वर का रूप मानकर शनि देव भी कहा जाता है। परन्तु इसकी धारणा लोगों में अन्य ईश्वरों की तरह नहीं बल्कि विपरित है। हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में ईश्वर का वास होए लेकिन शनि देव की छाया से लोग भयभीत हो जाते हैं। आखिर क्योघ् लोगों की मानसिकता में शनि के प्रति भय व्याप्त है। लोग शनिवार का अशुभ दिन बताते हैं। भ्रमित व्यक्ति की नजर में शनि सबसे भारी ग्रह और दंड देने वाले ईश्वर हैं शनिदेव। शनि के मायाजाल के कारण लोग इतने भयभीत हैं कि किसी भी कार्य को करने से पहले दिन जरूर याद रखते हैं और शनिवार को शुभ दिन नहीं मानते हैं। यहां पर सवाल यह उठता है कि यह सच्चाई है या भ्रम जिसके कारण मनुष्य एक कदम आगे बढ़ाकर दो कदम पीछे हो जाता है। भारत जैसे प्रगतिशील देश में एक तरफ विज्ञान को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र हो चुका है। विज्ञान फलित सूचना क्रांति से विज्ञान और तकनीकी शिक्षा का प्रसार हो रहा है। वहीं नक्षत्रों के प्रकोप से बचने के लिए नरबलि जैसी घटनाएं भी सुनने को मिलते हैं। शनि देव को प्रसन्न करने के लिए न जाने कैसे कैसे कर्म कांड किये जाते हैं। जैसे शनि देव पर तेल चढ़ानाए उपवास रखनाए लोहे के वर्तन में खानाए काला कपड़ा पहनना इन सबसे यह साबित होता है कि लोगों पर शानिदेव का प्रभाव कम लेकिन भ्रम का प्रभाव ज्यादा है। शनि के भय के चलते भारत का कोई भी हिस्सा भयहीन नहीं है। भारतीय सिनेमा में भी शनि की छाया को चित्रित इस अंदाज में किया जाता है जिससे लोगों में भय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। सदी के महानायक अभिताभ बच्चन भी शनि के प्रकोप से बच नहीं पाये हैं। शनि के प्रकोप से बचने के लिए उन्हें भी शनि के मंदिरों में पूजा करते देखा गया है। बड़े बड़े उद्योगपति अपने ग्रह दशा को सही चलने के लिए शनि के मंदिरों में नतमस्तक होते देखे जाते हें। वह ऐसा आस्थापूर्वक नहीं बल्कि भय से करते है। जिससे शनि महाराज का प्रकोप उनपर न पड़े। इन सभी तथ्यों से साफ झलकता है कि चाहे कोई आम व्यक्ति हो खासए पढ़ा लिखा हो या अनपढ़ए गांव हो या शहरए शनि के इस मायाजाल में सभी उलझे पड़े हैं। शनि के माया को बढ़ा चढ़ाकर पेश कर लोगों की भावनाओें के साथ खिलवाड़ कर कई अपना रोजगार चला रहे हैं। अंधविश्वास के चलते उनका धंधा खुब फल फूल रहा है। वह शनि की पूजा पाठ का भ्रम फैलाकर लोगों की जेब ढीली करते हैं। इसमें कितने लोगोें का पैसा व्यर्थ में व्यय हो रहा है। उन लोगों से ठगने वाले साधु संत हो या शहरों में लाल बत्ती पर काले वर्तन में काला तेल लिए कोई अन्य व्यक्ति। शनि के प्रति लोगांे में पनपे इस भ्रम पर पंडित प्रताप राजस्थानी कहते हैं कि वह मुर्ख हैं जो शनि को अशुभ बताते हैं। वे कहते हैं शनि बड़े कृपालू हैंए वे सभी पर कृपा करते हैं। सप्ताह में सातों दिन शुभ है। सातों दिन किसी न किसी देवताआंें के आराध्य दिन हैं। शनिवार अपने कष्टों को दूर करने का आराध्य दिन है। इससे अच्छा दिन और कौन हो सकता है। वेबजह लोंगों में शनि के प्रति भ्रम फैलाई जा रही है। जिस देश में भगवान कृष्ण और राम आदि देवताओं को भयरहित माना जाता है वहीं शनिदेव को भयपूर्ण माना जाता है। ईश्वर तो ईश्वर है और सभी दयालु हैं। ऐसे चाहे जो भी कहा जाये शनि के प्रति लोगों में भ्रम और भय व्याप्त है। आज लोग चांद पर पहुंच चुके हैं और वहां अपना भविष्य ढूंढ रहे हैं। वहीं धर्म.नक्षत्र के प्रति हम पुर्वाग्रह से ग्रसित हैं और अपने सुख दुख को ग्रह नक्षत्रों के प्रकोप मान बैठते हैं। जबकि गीता में लिखा है कि कर्म करो। कर्म ही व्यक्ति का जीवन सुनिश्चित करते हैं। हमे अपने कर्म को सुधारने की आवश्यकता है तभी मनुष्य का जीवन सफल हो पायेगा। . राहुल खान
  
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