राष्ट्रीय (29/04/2010) 
रेडिएशन फैलाने वाला कोबाल्ट-60 डीयू के लैब से लाया गया था

नई दिल्ली 29 अप्रैल। मायापुरी के कबाड़ मार्केट में  रेडिएशन फैलाने वाला कोबाल्ट 60 के बारे में दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह स्क्रैप दिल्ली विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के प्रयोगशाला से लाया था। कोबाल्ट 60 के बारे में कहा जा रहा है के विश्वविद्यलाय में इसे 1970 में कनाडा से मंगाया गया था। कोबाल्ट 60 के जरिये विज्ञान के परास्नातकोत्तर छात्रों को किसी वस्तु पर गामा किरणों के प्रभाव के बारे में बारे में बताया जाता था। 1885 में दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशाासन ने इस तरह के प्रयोग को बंद कर दिया। जिससे कोबाल्ट 60 बेकार हो गया और इसे एक रूम में बंद कर दिया गया। पिछले 25 सालों से इसका इस्तेमाल नहीं होने के कारण यह स्क्रैप के रूप मे तब्दील हो चुका था। अंत में इसे एक कबाड़ समझकर फरवरी में दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशाासन ने नीलामी के तहत कबाड़ विक्रेता के हाथों बेच दिया। कोबाल्ट 60 एक सिलेंडरनुमा लोहे के बक्सें में रखा हुआ था। कबाड़ कारोबारी ने 300 किलो वजनी लोहे के उस बक्से को किसी अन्य के हाथों बेच दिया। जांच के आधार पर कहा जा रहा है कि उस बक्से में गामा सेल का प्रभाव आ गया था। उस बक्से को भोला प्रसाद के हाथों स्क्रैप डीलर ने बेच दिया जिसे बाद में भोला प्रसाद ने दीपक जैन के हाथो बेचा। कहा जा रहा है कि जिन-जिन जगहांे पर वह स्क्रैप पहुंचा वह स्थान कोबोल्ट 60 के रेडिएशन से प्रभावित हो गया।  इस रेडिएशन से प्रभावित स्क्रैप कारोबारी दीपक जैन का भी इलाज अपोलो अस्पताल में चल रहा है। जिसकी हालत पहले से कुछ बेहतर बतायी जा रही है। दीपक जैन के यहां काम करने वाले राजेन्द्र प्रसाद की दो दिन पूर्व इस रेडिएशन के प्रभाव से मौत हो गई जबकि इस रेडिएशन के शिकार छह लोग अब भी डाक्टर की निगरानी में है।  
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