राष्ट्रीय (30/04/2010) 
रेडियोधर्मी पदार्थों पर डीयू की लापरवाही, यूरेनियम एवं प्लूटोनियम होने की आशंका
नई दिल्ली 30 अप्रैल। कोबाल्ट-60 मामले में डीयू प्रबंधन ने जिस तरह से लापरवाही बरती उसका परिणाम है कि मायापुरी के कबाड़ मार्केट में काम करने वाले आठ लोग इसके विकिरण के शिकार हो गये है जिनमें एक की पिछले दिनों मौत हो गई। अब जब इसकी जांच की जा रही है तो डीयू के भीतरी सूत्रों से मुताबिक कोबाल्ट से भी खतरनाक पदार्थ यूरेनियम और प्लूटोनियम लैब में मौजूद हैं।  करीब 20 साल पहले उन पदार्थो को लैब में दबा दिया गया था। फिजिक्स और केमिस्ट्री के विभाग मंे वे पदार्थ अब भी मौजूद है। हालांकि कहा जा रहा है कि उस समय उन पदार्थो को सुरक्षित रखा गया था लेकिन आज वह इतना जर्जर हो चुका कि उसका प्रभाव किसी भी समय देखा जा सकता है। एक खबर के अनुसार पिछले साल डीयू प्रबंधन द्वारा कुछ खतरनाक गैसों को नीलामी के तहत बेच दी गई है। जिनमें 200 गैसों के सिलेंडर है और उनमें क्लोरिन, नाइट्रोजन, आरसीन एवं कई खतरनाक गैसे हैं। माना जाता है कि पांच किलोे आरसीन गैस दो किलोमीटर तक के क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। डीयू प्रबंधन के इस लापरवाही के कारण आने वाले दिनों में और भी लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।     
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