राष्ट्रीय (11/05/2010) 
उच्चतम न्यायालय ने दिया तिवारी के खिलाफ मुद्दों को निर्धारित करने का निर्देश
नई दिल्ली 11 मई। उच्चतम न्यायाल ने वरिष्ठ कांगे्रसी नेता नारायण दत्त तिवारी के खिलाफ एक व्यक्ति द्वारा दायर किये गये पितृत्व यांचिका पर संज्ञान लेते हुए इस संबंध से जुड़े मुद्दे को निर्धारित करने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्ण की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा है कि कहा है कि नीचली एवं उच्च न्यायालय के निर्णयों से प्रभावित हुए बिना तिवारी से जुड़े मुद्दों को निर्धारित किया जाये। जिससे यह साफ हो सके कि मामला क्या है। खंडपीठ ने यह  भी कि है कि अगर बंद कमरे भी अगर सुनवाई का आवेदन दिया जाता तो न्यायाधीश इसपर विचार कर सकते हैं। उल्लेखनीय कि कुछ दिन पूर्व तिवारी के डीएनए जांच के लिए अदालत ने निर्देश दिये था लेकिन अदालत के निर्देशों को ठुकराते हुए तिवारी ने डीएनए जांच कराने से इनकार कर दिया था। तिवारी की ओर से इस केस को देख रहे वकील हरीश सालवे ने डीएनए जांच कराने पर न्यायालय के उस आदेश का कड़ा विरोध करते हुए कहा था कि इससे तिवारी की छवि खराब हो सकती है। तिवारी के प्रतिद्वंद्वियों ने ऐसा जान बुझकर अपील किया था जिससे तिवारी की छवि खराब हो।  उल्लेखनीय है कि अपने आपको तिवारी का पुत्र होने का दावा करने वाला रोहित शेखर के वकील पीएस पटवारिया ने अदालत से उनके डीएनए जांच की मांग की थी।  रोहित का कहना है कि वह तिवारी और उज्ज्वला शर्मा का बेटा है। उज्जवला शर्मा से तिवारी के संबंध थे। रोहित के इस आरोपों का तिवारी के बार बार खंडन करने पर रोहित के वकील ने तिवारी के डीएनए जांच की अनुमति मांगी थी जिससे सच्चाई सामने आ सके। लेकिन तिवारी ने अदालत के आदेश के बावजूद डीएनए जांच कराने से इनकार कर दिया था। अब उच्चतम न्यायालय ने तिवारी से जुड़े मुद्दों को निर्धारित करने का आदेश दिया है।
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