राष्ट्रीय (30/05/2010) 
मुख्यमंत्री शिबु सोरेन का इस्तीफा, झारखंड में राष्ट्रपति शासन की संभावना
रांची 31 मई। अल्पमत में आई सरकार को बचाने के लिए अंततः मुख्यमंत्री शिबु सोरेन असफल रहे और रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। पहले यह कयास लगाये जा रहे थे कि शिबु सोरेन कांग्रेस के साथ मिलकर सराकर बनाने की जुगाड़ में हैं। उन्होंनंें खुद कहा भी था कि भाजपा के समर्थन वापसी के बाद वह झारखंड के मुख्यमंत्री बने रहेगे और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चलाएंगे। लेकिन कांग्रेस ने झारखंड मामले से खुद को दूर रखा जिसके परिणाम आज झारखंड में पुनः राजनीतिक संकट उफान पर है। कटौती प्रस्ताव में यूपीए के पक्ष में मतदान करने के कारण भाजपा ने शिबु सोरेन से समर्थन वापस लेने का फैसला किया था। झारखंड में झामुमों और भाजपा की गठबंधन सरकार शिबु सोरेन के नेतृत्व में चल रही थी। भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा हाइकमान को सोरेन ने कहा था कि समर्थन वापसी का फैसला टालकर एक नया नेता चुन लंे। वह अपने पद से हटने को तैयार हैं और भाजपा नेतृत्व सरकार को झामुमो समर्थन भी देगा। झारखंड में नये मुख्यमंत्री को लेकर करीब एक महीने किये गये माथापच्ची के बाद अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सरकार चलाने का फैसला किया गया। लेकिन ऐन मौके पर शिबु सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से इंकार करते हुए झारखंड में राजनीतिक संकट और बढ़ा दी। सोरेन इस उम्मीद में थे कि उन्हें कांगे्रस का समर्थन मिल जाएगा। लेकिन कांग्र्रेस ने इस मामले से खुद को दूर ही रखा। जिससे शिबु सोरेन को कहीं से समर्थन मिलने की संभावना नहीं दिखी। झारखंड के राज्यपाल द्वारा दिये गये तय सीमा के अंदर विश्वासमत हासिल करने में असफल रहे शिबु  सोरेन ने राज्यपाल के अपना इस्तीफा सौप दिया। अब राज्य में राष्ट्रपति शासन की संभावना जताई जा रही है।
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