राष्ट्रीय (07/06/2010) 
तिब्बत के 99 फीसदी लोग अहिंसा के समर्थक हैं: दलाई लामा
पद्दार 07 जून। तिब्बत मसले पपर बौद्ध धर्म के गुरू दलाई लामा ने कहा है कि तिब्बत की आजादी के लिए चीन के खिलाफ किये जाने वाले संघर्ष में हिंसा की कोई जगह नहीं है। हम अहिंसा का रास्ता अपनाकर स्वायत्तता को प्राप्त करेंगे। दलाई लामा ने इस बात को फिर दोहराया कि तिब्बत को चीन से स्वाय़त्तता की जरूरत है। तिब्बत का आस्तित्व उसी संस्कृतिक पहचान से हैं। उसकी भाषा और संस्कृति किसी भी कीमत पर नहीं बदलेगी और न ही तिब्बत पर किसी अन्य की भाषा और संस्कृति थोपने की जरूरत है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि तिब्बत के 99 फीसदी से ज्यादा लोग अहिंसा के समर्थक है और अहिंसा के बल पर ही स्वायत्तता चाहते हैं। दलाई लामा ने आज बौद्ध समुदाय द्वारा आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हिंसा का रास्ता अपनाने से कुछ नहीं मिलने वाला है। तिब्बती आजादी को पाने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाना चाह रहे हैं। लोगों के बीच मतभेद यही पर शुरू हो रहा है। सबसे पहले हमें यह देखना होगा कि हमारा संघर्ष का उद्देश्य क्या है। अगर एक उद्देश्य एक हैं और विचाराधारांए दो तरह के है तब उद्देश्य को पाना कठिन हो जाता है। सबसे पहले हमे तिब्बत के मसले पर एक मत और एक उद्देश्य बनाना होगा। उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग तिब्बत की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे है। जबकि हमारा संघर्ष सिर्फ तिब्बत की स्वायत्तता से जुड़ा है और हम उसे पाकर रहेंगे।  
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