राष्ट्रीय (11/09/2012) 
मुख्यमंत्री को एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड-2012 प्रदान--हिमाचल प्रदेश

मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल को प्रमुख नीतिगत प्रयासों और कृषि, बागवानी, दुग्ध उत्पादन तथा पशुपालन क्षेत्रों में नवीन कार्यक्रम आरम्भ करने के लिए एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड-2012 से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार 19 सितम्बर, 2012 को नई दिल्ली में प्रदान दिया जाएगा। एग्रीकल्चर टुडे पत्रिका के मुख्य संपादक डा. एम.जे. खान ने यह जानकारी प्रदान की।

पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्डस-2012 की आयोजन समिति की नई दिल्ली में आयोजित बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता भारत में हरित क्रांति के जनक प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन ने की। मुख्यमंत्री को पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय नीतिगत प्रयासों के बेहतर प्रदर्शन के आधार पर किया गया। इन प्रयासों के फलस्वरूप कृषि संसाधनों का बेहतर प्रबन्धन सुनिश्चित हुआ, बागवानी तकनीकी मिशन के तहत फसल विविधिकरण को बढ़ावा मिला, सेब आधारित आर्थिकी को नई दिशा, एफ एंड वी के लिए विपणन सहायक कार्यक्रम, जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया गया, मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड योजना आरम्भ की गई तथा बजट आवंटन में विशेष बढ़ौतरी सुनिश्चत बनाई गई, जिनके कारण प्रदेश ने विविध कृषि उत्पादन में सत्त वृद्धि हासिल की। इसके परिणामस्वरूप कृषकों की आय में हुई वृद्धि से राज्य की ग्रामीण आर्थिकी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र में समावेशी वृद्धि को प्राप्त करने के लिये विभिन्न योजनाएं एवं कार्यक्रम आरम्भ किए। इनमें 321 करोड़ रुपये की फसल विविधिकरण को प्रोत्साहन परियोजना एवं जैविक खेती योजना शामिल है। 353 करोड़ रुपये की पंडित दीनदयाल किसान बागवान समृद्धि योजना भी आरम्भ की गई है, जिसके अन्तर्गत 11 लाख वर्गमीटर क्षेत्र में 12,500 पाॅलीहाउस का निर्माण तथा 12,500 हेक्टेयर क्षेत्र को लघु सिंचाई योजना के अन्तर्गत लाया जा रहा है। योजना से कृषि आय में कई गुणा वृद्धि और 50 हजार लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। सरकार ने योजना के द्वितीय चरण के लिए 190 करोड़ रुपये भी स्वीकृत किए हैं। राज्य में 2200 करोड़ रुपये की लागत का 13.50 लाख टन सब्जी उत्पादन हुआ है। इसका घरेलू सकल उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के अन्तर्गत कृषि क्षेत्र में उच्च लाभ प्राप्त करने के लिए 100 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं। इसके लिए जिला व राज्य स्तरीय कृषि योजना तैयार की गई है। शिमला जिला के पराला में 100 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक फल एवं सब्जी विपणन मण्डी स्थापित की जा रही है। इसी तरह की एक मण्डी 100 करोड़ रुपये की लागत से ऊना जिला में भी स्थापित

की जा रही है ताकि किसानों व बागवानों को बेहतर विपणन अधोसरंचना उपलब्ध हो सके। हिमाचल प्रदेश सरकार ने एपीएमसी अधिनियम में 2005 में संशोधन किया है, जिसके प्रावधानों के अन्तर्गत सीधे विपणन, निजी विपणन व अनुबंध खेती, जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। राज्य में 2011 में जैविक खेती नीति को भी अधिसूचित किया गया है और राज्य में 4.14 लाख वर्मी कम्पोस्ट इकाइयां स्थापित की गई है और इस वर्ष के दौरान राज्य जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी कार्यशील की जाएगी। 5.95 लाख कृषि स्वास्थ्य कार्ड किसानों को प्रदान किए गए हैं और इस वर्ष के अंत तक सभी किसानों को कृषि स्वास्थ्य कार्ड प्रदान कर दिए जाएंगे। मृदा परीक्षण सेवा को हिमाचल प्रदेश सेवा गारंटी अधिनियम के अन्तर्गत लाया गया है।

सभी मुख्य फसलों जिनमें व्यावसायिक फसलें भी शामिल है, को फसल बीमा योजना के अन्तर्गत लाया गया है और राज्य द्वारा प्रीमियम पर दिए जाने वाले अनुदान को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया गया है। 10 लाख तक के कृषि ऋणों को स्टैम्प व पंजीकरण शुल्क से छूट दी गई है। 43,485 किसानों के 4.95 करोड़ रुपये के वर्ष 1950-60 के दौरान के तकाबी व भूमि संरक्षण ऋणों को माफ किया गया है। लघु सिंचाई व वर्षा जल संग्रहण को सिंचाई में प्राथमिकता दी जा रही है। प्रदेश में जल स्रोतों के सही योजना विकास व प्रबन्धन के लिए हिमाचल प्रदेश जल प्रबन्धन बोर्ड गठित किया गया है।

300 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी दूध गंगा योजना आरम्भ की गई है, जिससे 5000 परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। किसानों को 5 लाख तक ऋण के कम ब्याज दरों पर प्रदान किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री आरोग्य पशुधन योजना आरम्भ की गई है, जिसके अन्तर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक पशु चिकित्सा संस्थान खोला जा रहा है। योजना के अन्तर्गत 1272 पशु औषधालय खोले जा रहे हैं। भेड़ पालन समृद्धि योजना भी आरम्भ की गई है, जिसके अन्तर्गत भेड़ व मेंढ़े खरीदने के लिए एक लाख तक के ऋण प्रदान किए जा रहे हैं, जिस पर 33 प्रतिशत उपदान दिया जा रहा है। पुराने सेब के पौधों के स्थान पर अधिक ऊपज देने वाले सेब के गुणात्मक पौधे लगाने के लिए 85 करोड़ रुपये की सेब नवीकरण योजना आरम्भ की गई है। योजना के अन्तर्गत 5000 हेक्टेयर क्षेत्र लाया जा रहा है। फसलों को ओले से बचाने के लिए शिमला जिला में प्रायोगिक आधार पर एंटी हेल राडार व गन स्थापित की गई है।

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