राष्ट्रीय (11/09/2012) 
"वर्तमान शिक्षा प्रणाली में है परिवर्तन की जरूरत.

साक्षरता मानव अधिकार तथा व्यक्तिगत सशक्तिकरण का एक उपकरण है और सामाजिक और मानव विकास के लिए एक पूंजी है. शैक्षिक अवसर पूरी तरह साक्षरता पर निर्भर करते हैं.8 सितम्बर अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 1965 में यूनेस्को द्वारा घोषित किया गया.यूनेस्को की रिपोर्टों के अनुसार, विभिन्न प्रयासों के बावजूद, साक्षरता दुनिया भर में एक कठिन लक्ष्य रहता है.इस दिन का उद्देश्य व्यक्तियों, समुदायों और समाजों के बीच साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालना है.

इस अवसर पर बोलते हुए श्रीमती रेशमा गांधी (सतयुग दर्शन ट्रस्ट के प्रबंधन ट्रस्टी) ने कहा कि साक्षरता का मुख्य उद्देश्य दुनिया में अपनी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करना तथा एक सभ्य,सक्षम समाज का निर्माण करना है .एक अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा विद्यार्थियों को सफल जीवन के लिए तैयार करती है. उन्होंने  सभी के लिए साक्षरता के बुनियादी मानव अधिकार का समर्थन किया.

उन्होंने समाज के बीच एक सन्देश देते हुए कहा की आज एक सही शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है जो एक सम्पूर्ण तथा संतुलित व्यक्तित्व को बढ़ावा दे ताकि जीवन में कठिन समय में भी व्यक्तिगत संतुलन विकृत न हो. एक सफल शिक्षा मॉडल प्रणाली के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों को सिर्फ उनके बोद्धिक स्तर पर ही नहीं बल्कि भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तर पर भी तैयार किया जाना चाहिए.

सतयुग दर्शन स्कूल, बी एड कॉलेज और टेक्निकल कैम्पस भी विभिन्न गतिविधियों और कार्यशालाओं के माध्यम से जागरूकता लाने तथा शिक्षा के क्षेत्र में एक सही मूल्य प्रणाली को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यरत है. हमारा संगठन वास्तव में सभी के लिए शिक्षा के विचार का समर्थन करता है और विश्व साक्षरता दिवस पर शिक्षा के माध्यम से उन्नति पाने के लिए सभी को प्रोत्साहित करता है.

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