राष्ट्रीय (14/09/2012) 
वॉन्टेड मुलजिम हरविंदर टोकस 15 साल बाद गिरफ्तार

डीयू में गै्रजुएशन में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एडमिशन लेने के इल्जाम में वॉन्टेड मुलजिम हरविंदर टोकस (33) को गिरफ्तार किया गया है। साउथ दिल्ली में किशनगढ़ से पकड़े गए हरविंदर को 15 साल से तलाशा जा रहा था। वह अपनी ससुराल में रह रहा था।

1997 में कालकाजी स्थित देशबंधु कॉलेज में एडमिशन लेने वाले 18 लड़कों के खिलाफ चीटिंग केस दर्ज हुआ था। आरोप है कि इन्होंने दूसरे राज्यों के फर्जी सर्टिफिकेट और मार्कशीट दिखाकर एडमिशन लिया था। कालकाजी थाने में 29 जनवरी 1998 को एफआईआर दर्ज हुई। 17 को गिरफ्तार कर लिया गया था , लेकिन मुनीरका निवासी हरविंदर टोकस पकड़ में नहीं आया। पुलिस को खबर मिली थी कि उसने यूपी बोर्ड के 10 वीं और 12 वीं के फर्जी सर्टिफिकेट कॉलेज में जमाकर दाखिला लिया था। जब हरविंदर को खबर मिली कि चीटिंग पकड़ में आ गई है , तो उसने एडमिशन कैंसल करवाकर ओरिजिनल दस्तावेज वापस ले लिए थे। पुलिस ने उनकी फोटोस्टेट हासिल की , तब से उसकी तलाश थी।

बुधवार को कालकाजी के एसएचओ बृजेंद्र सिंह और हेड कॉन्स्टेबल सुरेंद्र कुमार की टीम ने वसंत कुंज में किशनगढ़ से हरविंदर को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उससे फर्जी ओरिजिनल दस्तावेज भी बरामद कर लिए हैं।

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