राष्ट्रीय (16/09/2012) 
किसानों की हर तरह से अनदेखी

कैथल, 15 सितंबर।सरकार की अनदेखी के चलते भारतीय किसान यूनियन हाबड़ी गुट ने शनिवार को पाई के मार्केट कमेटी कार्यालय में सचिव को यूनियन की तरफ से एक मांग पत्र सौंपा गया। जिसमें मांग की गई कि सरकार द्वारा किसानों की हर तरह से अनदेखी की जा रही है। मंडियों में लगे शैड़ों को सरकार द्वारा गेहंू रखकर अपने गोदाम बना लिए है और गेहं न उठने के कारण किसानों को अपनी फसल बाहर सड़कों पर ही डालनी पड़ रही है। वर्षा के समय किसानों की फसल भीग जाने के कारण किसानों को बहुत भारी नुकसान होता है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय सलाहकार अजीत सिंह हाबड़ी ने कहा कि 28 अगस्त को पानीपत के रेस्ट हाऊस में किसानों की एक बैठक हुई थी। जिसमें सभी मंडियों से गेहंू को उठाने की मांग की गई थी, परन्तु अभी तक सरकार सोई पड़ी है। उन्होंने बताया कि पाई में 2 शैड है और दोनों के नीचे 2 वर्षों से सरकारी गेहंू लगी हुई है और किसानों को अपनी फसल बाहर सड़क पर डालनी पड़ रही है। जिससे उनकी फसल में मिट्टी मिलने के साथ-साथ वर्षा में भीग कर खराब हो जाती है। उन्होंने यह भी मांग की है कि सरकार बाद में बोनस की घोषणा करती है जो किसानों को नहीं मिलता। उन्होंने बताया कि 2008 और 2009 में किसानों द्वारा बेची गई धान का लगभग 13 करोड़ का बोनस अब भी बकाया पड़ा है। परन्तु बार-बार मांग करने के बावजूद भी सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही। जबकि किसान इन चार वर्षों में इतनी ही धनराशि ब्याज के रूप में साहूकारों को दे चुके है। उन्होंने कहा कि डीजल के दाम बढऩे, खाद, बीज, दवाई व मजदूरी आदि के दाम बढऩे के कारण किसानों का उत्पादन खर्चा भी काफी बढ़ गया है। जिस कारण से उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसानों को कम से कम 500 रुपए प्रति क्विंटल धान का मूल्य बढ़ाने या फिर बोनस देने की घोषणा करें। उन्होंने बासमती, मुच्छल तथा 1121 धान का भी समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग की है। इसके साथ-साथ उन्होंने सौंपे मांग पत्र में मांग की है कि कृषि कार्य करने के दौरान घायल हुए या मृतक व्यक्ति को आर्थिक सहायता 2-2, 3-3 साल नहीं मिलती। जो उनके परिवारों के साथ अन्याय है। उन्होंने मांग की है कि यह आर्थिक सहायता मृतक के परिवार जनों व घायल व्यक्ति को 6 महीने से पहले दी जानी चाहिए। उन्होंने मार्केट कमेटी सचिव से भी अपील की है कि वे मंडी के आसपास व पीछे पड़ी खाली जमीन पर मिट्टी डलवाकर समतल बनवाया जाएं। ताकि किसान अपनी फसल आराम से डाल सके। उनके साथ इस अवसर पर बूरा राम, बलवान, शमशेर आदि अनेक किसान उपस्थित थे। पाई अनाज मंडी से गेहंू न उठाने को लेकर उन्होंने प्रदर्शन भी किया और कहा कि 20 सितंबर को ढांड अनाज मंडी में विशाल प्रदर्शन करेंगे।

अनाज मंडी से गेहंू उठाने के बारे में कई बार जिला प्रशासन को अवगत करवाया गया: मंडी प्रधान
इस बारे में मंडी प्रधान दिलबाग ढुल ने कहा कि उन्होंने शैडों के नीचे से गेहंू उठाने के बारे में कई बार जिला प्रशासन को अवगत करवा चुके है परन्तु सिवाए आश्वासन के कुछ भी नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि यदि यह गेहंू नहीं उठी तो किसानों को अपना पीला सोना सड़कों पर डालना पड़ेगा।

इस बारे में मार्केट कमेटी सचिव सतवीर सिंह राविश ने कहा कि वे जिला एवं खाद्य आपूर्ति विभाग को शैड़ों के नीचे से गेहंू उठाने के लिए लगभग 2 दर्जन लैटर लिख चुके है, परन्तु कोई जवाब नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि शैड की स्थिति जर्जर है। जिसको सीजन से पहले ठीक करना है। ठीक करने वाले स्थान से नामात्र लगभग 10 हजार कट्टे ही गेहंू के उठाए गए।

स बारे में डीएफएससी सुरेंद्र सैनी ने बताया कि बेशक गेहंू खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का है परन्तु उठान उठाने का कार्य एफसीआई का है वे एफसीआई को कई बार कह चुके है उनके बार-बार कहने पर अब की बार जिला कैथल में से लगभग 1 लाख कट्टे उठाए जा चुके है और आशा है कि सीजन से पहले पहले पाई अनाज मंडी से गेहंू के लदान का कार्य किया जाएगा। अगर थोड़ी बहुत रह गई तो बाद में उठाई जाएगी।

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