राष्ट्रीय (17/09/2012) 
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का आंखों की पुतली का सत्यापन अध्ययन सफल
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने कर्नाटक के मैसूर जिले में आंखों की पुतली के सत्यापन प्रमाण का अध्ययन सफलतापूर्वक संचालित किया है। अध्ययन से आंखों की पुतली के सत्यापन में उच्च स्तर की सटीकता (99 दशमलव 2 प्रतिशत) प्राप्त हुई है। आंखों की पुतली और उंगलियों के निशान की पहचान की सहायता से सार्वभौमिक समावेशन के लक्ष्य को पाया जा सकता है तथा आधार परियोजना के सत्यापन के अनुसार ही इसके सफलतापूर्वक इस्तेमाल पर आगे बढ़ा जा सकता है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की सफलता की तर्ज पर ही तथा किसी सेवा को आरंभ करने से पहले संकल्पना के सत्यापन के साबित हो चुके प्रचलन के अनुसार आंखों की पुतली के ऑन लाइन सत्यापन प्रणाली की विशेषता का अध्ययन किया गया। यह अध्ययन 27 मई, 2012 से 30 जुलाई, 2012 के बीच कर्नाटक के मैसूर जिले के नांजनगुड तालुक में किया गया जो उपनगरीय क्षेत्र है। इसके तहत वहां के 5,833 निवासियों के 2,15,342 पुतली सत्यापन व्यवहार का अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में छह विभिन्न ओईएम के माध्यम से आईरिस कैमरे के आठ मॉडल इस्तेमाल किये गये। इस अध्ययन से भी बॉयोमिट्रिक इको सिस्टम में विशेष सुधार के क्षेत्र का पता लगा, जिससे कि इसकी सटीकता और बढ़ाई जा सके। इस विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट को प्रलेखित किया गया, जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की वेब-साइट पर प्रकाशित किया जा रहा है, इसके बाद एक कार्यशाला आयोजित की जायेगी जिसमें कलन-विधि तथा युक्ति में सुधार के लिए विशेष कार्यप्रणाली के लिए निर्देशित किया जायेगा। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण इसके बाद आगे और विशेष अध्ययन करेगा। इन अध्ययनों से सत्यापन तथा इन्हें स्थापित किये जाने के उद्देश्य के लिए आईरिस उपकरण का निरूपण हो सकेगा। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि बॉयोमिट्रिक इकोसिस्टम की प्रतिपुष्टि के परिणाम स्वरूप उंगलियों के निशान के सत्यापन संबंधी प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार हुआ। अब आंखो की पुतली संबंधी सत्यापन में भी इसी तरह का परिणाम अपेक्षित है। यह इस बात को इंगित करता है कि आंखों की पुतली से सत्यापन की गुंजाईश 99 दशमलव 5 प्रतिशत से अधिक की सटीकता प्रदान करने की है।
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