राष्ट्रीय (19/09/2012) 
दिल्ली-गुडगांव टोल परियोजना के अंतर्गत समझौता

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) बोर्ड ने 13 अगस्त, 2012 को अपनी बैठक में उस सहमति पत्र को अंतिम रूप दिया था जिसमें दिल्ली-गुडगांव टोल परियोजना में रियायत समझौते को समाप्त करने के संबंध में समझौते की शर्तों को अंतिम रूप दिया गया था। सहमति पत्र रियायतग्राहियों और वित्तीय संस्थाओं (आईडीएफसी और चार अन्य बैंकों) की स्वीकृति के लिए भेजा गया था। इस मामले पर 30 अगस्त 2012 को दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई और न्यायालय ने 17 सितम्बर 2012 तक के लिए टोल नहीं देने संबंधी छूट दे दी। इस मामले पर 17 सितम्बर और 18 सितम्बर को सुनवाई हुई। आखिरकार इससे जुडे पक्षों (एनएचएआई, रियायतग्राहियों और ऋणदाताओं) ने 18 सितम्बर को न्यायालय में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए जिसमें मुख्य रूप से व्यवस्था की गई है:

स्थानीय यातायात का इस्तेमाल करने वाले लोगों को पहले छूट लेने के लिए हर महीने ई-टैग लेना पडता था। उन्हें 60 ट्रिप के लिए एक बार 1500 रूपये जमा कराने पड़ते थे। अब लोगों को ई-टैग के लिए भुगतान किये बिना केवल 40 ट्रिप के लिए भुगतान करना होगा। संशोधित योजना 15 दिन के भीतर लागू हो जायेगी। स्थानीय यातायात में निजी यातायात को 50 प्रतिशत की रियायत मिलेगी और व्यवसायिक यातायात के लिए 33 प्रतिशत रियायत दी जायेगी। इसका अर्थ है कि स्थानीय यातायात के लिए मासिक पास का मूल्य एक-तिहाई कम हो जायेगा। इससे स्थानीय यातायात का इस्तेमाल करने वाले अधिक से अधिक लोग मासिक पास लेकर छूट का लाभ उठा सकेंगे जिससे नगदी का लेन-देन कम होने के कारण टोल-प्लाजा पर भीड भाड कम हो सकेगी।

मामूली कीमत पर सस्ती टच कार्ड टैक्नोलॉजी भी शुरू की जायेगी।

टोल-प्लाजा में भीड-भाड कम करने के लिए 24 किलोमीटर पर अतिरिक्त 11 लेन और 42 किलोमीटर पर अतिरिक्त चार लेनों का निर्माण अलग-अलग चरणों में किया जायेगा। यातायात को तेजी से निकालने के लिए हाथ से चलाये जाने वाले उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जायेगा।

यातायात को सुरक्षित तरीके से चलाने के लिए प्रवेश और निकासी द्वार में तब्दीली की जायेगी।

समूची राजमार्ग परियोजना पर यातायात के बेहतर प्रबंध के लिए निगरानी और सुरक्षा, सीसीटीवी कैमरे लगाये जायेंगे और नियंत्रण कक्ष में लगे वीडियो में सभी कैमरों की छवि दिखाई देगी। आईडीएफसी और सार्वजनिक क्षेत्र के चार अन्य बैंकों की 1203 करोड़ रूपये के ऋण के साथ परियोजना के लिए ऋणदाता के रूप में पहचान की गई है जो अपने ऋण जोखिम/कर्ज को 367 करोड़ रूपये कम कर देंगे यानी 367 करोड़ रूपये रियायत ग्राही द्वारा ऋणदाता को वापस किये जायेंगे।

अगर रियायत ग्राही सहमति पत्र में किये गये उपायों को लागू नहीं करता है, एनएचएआई को यह अधिकार होगा कि वह कारण बताओ नोटिस देने के बाद रियायत समझौते को रद्द कर दे।

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