राष्ट्रीय (21/09/2012) 
117 महाविद्यालय में आयुष की स्नातकोत्तर शिक्षा

आयुष के स्नातक छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए आयुष महाविद्यालय में स्नातकोत्तर शिक्षा की शुरूआत की गई है। 01 अप्रैल, 2011 तक 2424 छात्रों की क्षमता वाले 117 महाविद्यालय में स्नातकोत्तर शिक्षा प्रदान की जा रही थी। इनमें से 33.8 प्रतिशत प्रवेश क्षमता वाले, 29.7 प्रतिशत स्नातकोत्तर महाविद्यालय सरकारी क्षेत्र से, 53.3 प्रतिशत प्रवेश क्षमता वाले 55.8 प्रतिशत महाविद्यालय आयुर्वेद से, 37.7 प्रतिशत प्रवेश क्षमता वाले 35.1 प्रतिशत होम्योपेथी महाविद्यालय से हैं। 6.4 प्रतिशत प्रवेश क्षमता वाले 6.3 प्रतिशत महाविद्यालय आयुष की अन्य प्रणालियों से संबंधित है।

इन महाविद्यालयों में से 216 छात्रों के प्रवेश क्षमता वाले 6 महाविद्यालय विशेष तौर पर स्नातकोत्तर संस्थान है। यूनानी और सिद्ध प्रणाली के लिए विशेष तौर पर 38 और 46 प्रवेश क्षमता वाले एक-एक महाविद्यालय कर्नाटक और तमिलनाडु में, जबकि विशेष तौर पर आयुर्वेद की स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए 50 और 10 प्रवेश क्षमता वाले दो महाविद्यालय गुजरात और पश्चिम बंगाल में कार्यरत है। विशेष तौर पर होम्योपेथी क्षेत्र में स्नातकोत्तर शिक्षा प्रदान करने के लिए 36 और 36 प्रवेश क्षमता वाले एक-एक महाविद्यालय महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में है।

आयुष प्रणाली में स्नातकोत्तर शिक्षा प्रदान करने के लिए मांग में वृद्धि देखी गई है। इस मांग को पूरा करने के लिए स्नातकोत्तर शिक्षा की सुविधा एक अप्रैल, 2011 तक 18 राज्यों में उपलब्ध थी। महाराष्ट्र राज्य में सर्वाधिक आयुष महाविद्यालय (36 प्रतिशत) होने के साथ-साथ सबसे अधिक आयुर्वेद (36.9 प्रतिशत) और होम्योपेथी (35.9 प्रतिशत) स्नातकोत्तर महाविद्यालय है, जबकि उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक यूनानी (40 प्रतिशत) महाविद्यालय है। अरूणाचल प्रदेश, गोवा, हरियाणा, झारखंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और संघ शासित प्रदेशों में दिल्ली को छोड़कर किसी भी राज्य में एक भी स्नातकोत्तर आयुष महाविद्यालय नहीं है। यूनानी स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने वाले महाविद्यालय केवल आंध्र प्रदेश, दिलली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में हैं, जबकि सिद्ध स्वास्थ्य प्रणाली में स्नातकोत्तर शिक्षा देने वाले महाविद्यालय केवल तमिलनाडु में है।

1993 के मुकाबलें वर्ष 2011 में स्नातकोत्तर आयुष महाविद्यालयों की औसतन वार्षिक वृद्धि दर में 5.4 प्रतिशत और प्रवेश क्षमता में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 1993 से 2011 की अवधि के दौरान आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध महाविद्यालयों की संख्या में क्रमश: 4.2 प्रतिशत, 5.2 प्रतिशत और 3.9 प्रतिशत की औसतन वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गई है।

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