राष्ट्रीय (27/09/2012) 
कश्मीर विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति का भाषण

राष्ट्रपति  प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि मूल्यों और चरित्र निर्माण पर जोर देने वाले उच्च शिक्षण संस्थान छात्रों में जिम्मेदारी की और अधिक भावना पैदा करने तथा सभी मुद्दों पर तर्कसंगत रवैया विकसित करने में प्रभावकारी भूमिका निभा सकते हैं। इस संदर्भ में शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे अपने छात्रों को नैतिक और सौंदर्यपरक मूल्यों के साथ ज्ञान दें।

राष्ट्रपति कश्मीर विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की बौद्धिक और साहित्यिक गतिविधि की गौरवशाली परम्परा रही है और इसने अपनी शुरूआत के बाद लंबा सफर तय किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और दुनियाभर में पढ़ाई का माहौल पहले की तुलना में आज कहीं ज्यादा रोमांचक है। सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति ने असीमित अवसर प्रदान किये हैं। इसने हमारे छात्रों को अधिक आधुनिक, प्रगतिशील और प्रासंगिक शिक्षा प्रदान की है।

सरकार ने अपनी 12वीं पंचवर्षीय योजना में इसे पूरा करने के लिए सुपरिभाषित रणनीति तैयार की है। इसमें क्षेत्रीय समानता के साथ बुनियादी सुविधाओं का विस्तार, कार्य निष्पादन पर विशेष ध्यान, बेहतर मानव संसाधन प्रबंध, पाठ्यक्रम में सुधार, गुणवत्ता अनुसंधान को बढ़ावा देना शामिल है। इसके साथ ही ऐसा माहौल तैयार करना है जिसमें प्रतिभाएं आकर्षित हों। सरकार ने हाल ही में दो केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना की है।

राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने कहा कि नई प्रौद्योगिकी को अपनाने की जरूरत है जिसकी अध्यापन, अध्ययन और पेशेवर विकास में उपयोगिता हो। इससे हमारे अध्यापन और अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार होगा। विश्वविद्यालयों को सृजनात्मकता और नये परिवर्तनों को बढ़ावा देना चाहिए। यह भी आवश्यक है कि भारत और विदेश में उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थानों के बीच सहयोग और संपर्क कायम हो ताकि विचारों और जानकारी का आदान-प्रदान किया जा सके।

उन्होंने छात्रों और अनुसंधानकर्ताओं का आहवान किया कि वे कश्मीर की खूबसूरती को ध्यान में रखते हुए पारिस्थितिकी और पर्यावरण के संरक्षण को ध्यान में रखें। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कश्मीर विश्वविद्यालय जैसे संस्थान अपने और भावी पीढि़यों के फायदे के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। छात्रों को जलवायु परिवर्तन और जमीन, ताजा पानी और समुद्री संसाधनों की कमी के प्रभावों की जानकारी होनी चाहिए।

राष्ट्रपति मुखर्जी ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत के युवा एक ऐसे मजबूत और शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण करेंगे जो राजनैतिक दृष्टि से परिपक्व और आर्थिक दृष्टि से मजबूत होगा, जहां जनता न्याय, मौलिक अधिकारों और समानता के साथ गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकेगी।

उन्होंने कहा कि अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों का दक्षता से और तेजी से समाधान करने की जरूरत है। केन्द्र सरकार और जम्मू कश्मीर सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रत्येक कश्मीरी समान अधिकारों और समान अवसरों के साथ सम्मानपूर्ण जीवन बिताए। जम्मू कश्मीर भारत के नये भविष्य के निर्माण में अग्रणी हो सकता है और शांति, स्थिरता और समृद्धि क्षेत्र में बदलकर शेष भारत और दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कश्मीर विश्वविद्यालय के विद्वानों और छात्रों को बधाई दी और कामना की कि वे कामयाबी की नई ऊंचाइयों को छुएं।

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