राष्ट्रीय (28/09/2012) 
90 मिलियन से ज्यादा भारतीय को संवहनी रोगों का खतरा

भारत में संवहनी रोगों की घटनाएं खतरनाक रूप से बढ़ रहे हैं। 90 मिलियन से ज्यादा भारतीयों को विभिन्न प्रकार के संवहनी रोग जैसे स्ट्रोक, पैरीफिरल धमनी रोग (पीएडी), कैरोटेड धमनी रोग और ऑर्टिक ऐन्यरिजम का खतरा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री  गुलाम नबी आजाद ने आज जयपुर में इसकी जानकारी दी।

भारतीय वैस्क्यूलर सोसायटी के 19वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उनका मंत्रालय देश के 100 पिछड़े जिलों में कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक पर नियंत्रण पाने और उन्हें रोकने के लिए पहले से ही एक राष्ट्रीय कार्यक्रम का शुभारंभ कर चुका है। 30 वर्ष और इससे ज्यादा की आयु के 10 मिलियन से अधिक लोगों की अब तक मधुमेह और उच्च रक्तचाप के लिए जांच की जा चुकी है। इनमें से 7.27 प्रतिशत को मधुमेह और 6.44 प्रतिशत को उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का संदेह है। इसके अलावा देशभर के 100 जिलों में एक हृदय रोग देखभाल इकाई की स्थापना की जा रही है, जहां बुनियादी सुविधाएं, उपकरण, मानव संसाधन और औषधियां स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्वभर में होने वाली 58 मिलियन मृत्यु में से करीब 35 मिलियन का कारण पुराने गैर-संचारी रोग थे। भारत में एनसीडी जैसे सीबीडी, मधुमेह, करोनीक प्रतिरोधी फेफरे की बीमारी, कैंसर कुल होने वाली बीमारियों की करीब दो तिहाई है।

 आजाद ने कहा कि भारत में प्रत्यक एक लाख लोगों के लिए 59 चिकित्सक है जो विकसित देशों के अनुपात में काफी कम है। इसके बावजूद, देश के चिकित्सक बेहद कम संख्या में होने के बाद भी व्यापक आबादी और बीमारी की भली प्रकार से देखभाल कर रहे हैं। भारत में पिछले एक दशक से संवहनी सर्जरी से बहुत से जरूरत मंद रोगियों को मदद मिली है। लेकिन इसके बावजूद भी समय से सहायता और विशेषज्ञता की उपलब्धता न होने से बहुत से जीवन समाप्त हो रहे हैं।

उन्होंने उम्मीद जताई कि बीएसआई अन्य शहरों में भी एमएस समान्य सर्जरी के लिए छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए कार्यशालाओं का संचालन करेगा, ताक इस क्षेत्र के लाभ जहां तक संभव हो बहुत से शल्य चिकित्सों को मिल सकें।

इस अवसर पर  आजाद ने एक स्मारिका का भी बिमोचन किया।

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