राष्ट्रीय (28/09/2012) 
कुतुब मीनार पर ई-टिक्टिंग का पूर्व परीक्षण

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) यंत्रीकरण कार्यक्रम के भाग के रूप में एक माह की अवधि के लिए 1 अक्तूबर, 2012 से कुतुब मीनार पर पूर्व परीक्षण के रूप में ई-टिक्टिंग जारी करेगा। पूर्व परीक्षण की अवधि 1.10.2012 से 31.10.2012 तक रहेगी।

यह अभ्यास इसलिए किया जा रहा है कि ताकि जनहित में इस प्रणाली की उपयुक्तता का पता लगाया जा सके और इसके साथ ही इसकी कमियों का भी आकलन किया जा सके। इस प्रणाली का डिजाइन, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्मार्ट गवरमेंट (एनआईएसजी) द्वारा प्रायोगिक आधार पर तैयार किया गया है। स्मारकों के लिए ई-टिक्टिंग की शुरूआत करने का मूल भाव यह है कि पेपर टिकटों को जारी करने की वर्तमान प्रणाली को और सहज बनाया जाये, जिससे कि दर्शकों को लाईनों में खड़ा न होना पड़े और उनका कीमती समय खराब न हो। इस प्रणाली में राजस्व वसूली का बेहतर लेखांकन, दर्शकों से संबंद्ध आंकड़ों को इक्ट्ठा करना एवं वर्तमान प्रणाली में भ्रष्टाचार की संभावनाओं को कम करना प्रस्तावित है।

1.10.2012 से 31.10.2012 की अवधि के दौरान व्यक्ति तथा दर्शकों का समूह कुतुब मीनार पर टिकट काउंटर से ई-टिकट प्राप्त कर सकते हैं। इस अवधि के दौरान कुतुब मीनार पर मैनुअल टिकट नहीं मिलेगें। उक्त पूर्व परीक्षण प्रणाली बार-कोड प्रौद्योगिकी पर आधारित है और यह सरल तथा उपयोग करने में आसान है। एनआईएसजी के विशेषज्ञों और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों द्वारा इसकी निगरानी तथा लेखा परीक्षा की जायेगी, जिससे कि इस प्रौद्योगिकी की कमियों का पता लगाया जा सके तथा उसमें और सुधार किया जा सके।

वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रण के तहत देश में 116 स्मारकों में प्रवेश टिकटों के माध्यम से प्रवेश किया जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की यह योजना है कि प्रौद्योगिकी के सही होने तथा कमियों को दूर किये जाने के बाद चरणबद्ध तरीके से स्मारकों में ई-टिक्टिंग की शुरूआत कर दी जाये। पूर्व परीक्षण के लिए कुतुब मीनार का चयन इस प्रयोजन से किया गया है कि ताजमहल के बाद दूसरा स्थान कुतुब मीनार का है, जहां पर दर्शक ज्यादा जाते हैं। एक बार कुतुब मीनार पर चयन की गई ई-टिक्टिंग प्रणाली सफल साबित हो जाती है, तो इसे अन्य स्मारकों पर लागू किये जाने में आसानी होगी।

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